
भारत के अधिकांश हिस्सों में धूप के घटते घंटे चिंता का विषय बन गए हैं।
रिपोर्ट में पाया गया कि अध्ययन अवधि के दौरान उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में धूप के घंटों में सबसे तेज गिरावट आई है, वहां हर साल धूप के औसतन 13.2 घंटे घटे हैं। वहीं पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्रों में यह गिरावट 8.6 घंटे प्रति वर्ष दर्ज की गई।
स्टडी के अनुसार, पिछले तीन दशकों में धूप के घंटे कम हो रहे हैं, जिससे सौर ऊर्जा उत्पादन और कृषि पर असर पड़ सकता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रदूषण और मौसम में बदलाव इसके प्रमुख कारण हैं।
भारत के अधिकांश हिस्सों में धरती तक पहुंचने वाली धूप का वक्त लगातार घट रहा है और यह बदलाव अब चिंता का विषय बनता जा रहा है। अंतराष्ट्रीय जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि पिछले तीन दशकों में देश के अधिकांश हिस्सों में धूप के घंटे कम होते जा रहे हैं।
यह अध्ययन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (आईआईटीएम), पुणे और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) से जुड़े वैज्ञानिकों के दल द्वारा किया गया है।
अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 1988 से 2018 के बीच देश के नौ भौगोलिक क्षेत्रों में फैले 20 से अधिक स्टेशनों से जुटाए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया है।
उत्तर भारत में दर्ज सबसे तेज गिरावट
स्टडी रिपोर्ट में पाया गया कि अध्ययन अवधि के दौरान उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में धूप के घंटों में सबसे तेज गिरावट आई है, वहां हर साल धूप के औसतन 13.2 घंटे घटे हैं। वहीं पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्रों में यह गिरावट 8.6 घंटे प्रति वर्ष दर्ज की गई।
इसी तरह हिमालयी क्षेत्र में 9.47 घंटे, पूर्वी तट पर 4.9 घंटे, दक्कन के पठारी क्षेत्रों में 3.05 घंटे, और मध्य भारत में 4.7 घंटे प्रति वर्ष की कमी दर्ज की गई है। इसी तरह अरब सागर के द्वीपीय इलाकों में 5.7 घंटे की कमी आई है। वहीं बंगाल की खाड़ी में मौजूद द्वीपों में भी 6 घंटे की कमी दर्ज की गई।
सिर्फ उत्तर-पूर्वी भारत में स्थिति कुछ बेहतर रही, जहां इसमें मामूली सुधार दर्ज किया गया है। अध्ययन में मासिक आधार पर धूप के घंटों के विश्लेषण में पाया गया है कि अक्टूबर से मई के बीच धूप के घंटे बढ़ते हैं, लेकिन जून-जुलाई में छह क्षेत्रों में तेज गिरावट दर्ज हुई है। इसके विपरीत हिमालयी क्षेत्र और उत्तरी भारत के अंदरून इलाकों में मासिक आधार पर यह रुझान कुछ अलग रहा है।
देश में क्यों घट रही है धूप?
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस कमी के लिए कई कारण जिम्मेवार हैं, इनमें मौसम में आने वाले क्षेत्रीय बदलाव और प्रदूषण से उत्पन्न सूक्ष्म कण (एरोसोल्स) जिम्मेवार हैं। इसमें औद्योगिक प्रदूषण और वाहनों से निकलने वाले सूक्ष्म कण, जैव ईंधन (बायोमास) जलाने से उठने वाला धुआं शामिल हैं।
इसके साथ ही मानसून और उसके बाद के महीनों में बढ़ते बादल भी सूरज की रोशनी को धरती तक पहुंचने से रोक रहे हैं।
अध्ययन में यह भी चेताया गया है कि धूप में आती गिरावट सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। इससे भारत में अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य खतरे में पड़ सकते हैं। साथ ही इसकी वजह से फसलों की पैदावार भी घट सकती है, जिससे कृषि उत्पादन पर गंभीर असर पड़ेगा।