रूस-यूक्रेन संघर्ष ने विमानों को रास्ता बदलने के लिए किया मजबूर, एक फीसदी बढ़ा उत्सर्जन

संघर्ष के चलते हर दिन करीब 1,100 उड़ानें प्रभावित हुई। विमानों द्वारा लम्बे रास्तों को अपनाने की वजह से 2023 में करीब 82 लाख टन अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हुई
रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के यह निशान युद्ध की भयावहता को बयां  करने के लिए काफी है; फोटो: आईस्टॉक
रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के यह निशान युद्ध की भयावहता को बयां करने के लिए काफी है; फोटो: आईस्टॉक
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2023 में दुनिया भर में विमानों से होने वाले उत्सर्जन में एक फीसदी की वृद्धि हुई क्योंकि विमानों को रूसी हवाई क्षेत्र से बचने के लिए लंबा रास्ता अपनाना पड़ा था।

यह जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किए नए अध्ययन में सामने आई है। गौरतलब है कि फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद, पश्चिमी एयरलाइनों को रूस के ऊपर से उड़ान भरने पर प्रतिबंधित कर दिया गया।

इससे उन्हें यूरोप, उत्तरी अमेरिका या पूर्वी एशिया के बीच लंबे मार्ग लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसकी वजह से कहीं अधिक ईंधन की खपत हुई। नतीजन इसकी वजह से उनके द्वारा हो रहे उत्सर्जन में भी वृद्धि हुई।

जर्नल कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक यूक्रेन युद्ध के चलते उड़ान के दौरान विमानों को औसतन 13 फीसदी अधिक ईंधन का उपयोग करना पड़ा। यूरोप और एशिया के बीच चलने वाली उड़ानों पर इसका कहीं अधिक प्रभाव पड़ा। इन उड़ानों की ईंधन की खपत में 14.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं उत्तरी अमेरिका और एशिया के बीच उड़ानों को 9.8 फीसदी अधिक ईंधन खर्च करना पड़ा।

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रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के यह निशान युद्ध की भयावहता को बयां  करने के लिए काफी है; फोटो: आईस्टॉक

प्रकृति को भारी पड़ रहा इंसानों का संघर्ष

अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता प्रोफेसर निकोलस बेलौइन ने इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति में कहा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद एयरलाइनों को अपने मार्ग में बदलाव करना पड़ा। इसकी वजह से पश्चिमी देशों और पूर्वी एशिया के बीच उड़ानें कम हो गई। समय के साथ उड़ानें फिर से शुरू हुईं, लेकिन उन्हें लंबे चक्कर लगाने। प्रतिबंधों की वजह से इन्हें रूस के दक्षिण या आर्कटिक के ऊपर से उड़ान भरनी पड़ी।

उनके मुताबिक इससे हर दिन करीब 1,100 उड़ानें प्रभावित हुई। इन लम्बे मार्गों की वजह से 2023 में वैश्विक स्तर पर विमानों ने करीब 82 लाख टन अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित की।

शोधकर्ताओं ने नए मार्गों पर खर्च हुए अतिरिक्त ईंधन को मापने के लिए उड़ान ट्रैकिंग डेटा और कंप्यूटर मॉडल का उपयोग किया है। इस दौरान उन्होंने हवा के पैटर्न को भी ध्यान में रखा, जो ईंधन की खपत को प्रभावित करते हैं।

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लीबिया, सीरिया और यमन में संघर्ष की वजह से हवाई क्षेत्र पर लगाए प्रतिबंधों और उनके प्रभावों का भी अध्ययन किया है। इनकी वजह से प्रत्येक देश में संघर्ष की वजह से रोजाना 60 से 100 उड़ानें प्रभावित हुई। अध्ययन के मुताबिक लीबिया के हवाई क्षेत्र से बचने वाले विमानों ने औसतन 2.7 फीसदी अधिक ईंधन का उपयोग किया, जबकि सीरिया के मामले में खपत में 2.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

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वहीं यमन के आस-पास के चक्कर लगाने वाले विमानों पर कहीं ज्यादा प्रभाव पड़ा, जिनके ईंधन की खपत में 4.3 फीसदी की वृद्धि रिकॉर्ड की गई। हालांकि इन देशों में चूंकि अपेक्षाकृत कम उड़ाने प्रभावित हुई और उनके यात्राएं भी उतनी अधिक नहीं थी। इसलिए वैश्विक विमानन उत्सर्जन पर इनका प्रभाव 0.2 फीसदी से कम रहा। 

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