ध्रुवीय क्षेत्र पृथ्वी के बर्फ वाले हिस्से हैं जो उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों तक फैले हुए हैं तथा इन्हें बहुत ठंडे इलाके या ध्रुवीय क्षेत्र भी कहा जाता है। ध्रुवीय इलाकों में पृथ्वी की ओजोन परत के छिद्र, जहां समतापमंडल की ओजोन का स्तर काफी कम हो गया था, हाल के दशकों में जलवायु परिवर्तन की वजह से यह चर्चा में रहा है। समतापमंडल पृथ्वी की सतह से 10-20 किमी ऊपर के हिस्से को कहा जाता है।
इसका प्रमुख कारण मानवजनित कारणों से निकले वाली क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) है, जो फ्रिज, एयर कंडीशनर और स्प्रे कैन जैसे घरेलू सामानों से निकली है। वायुमंडल में सीएफसी का जीवनकाल कई दशकों का होता है। इसलिए उनके उपयोग पर प्रतिबंध लगाने से ओजोन छिद्र को भरने में मदद मिली है।
ओजोन के नुकसान से निपटने के अंतर्राष्ट्रीय समझौतों में से एक, साल 1987 में किया गया मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल था। आर्कटिक और अंटार्कटिक पर 2045 से 2066 तक ओजोन के इन छिद्रों को ठीक करने के लिए ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के उत्पादन और खपत को रोकने का लक्ष्य रखा गया है।
इस प्रकार 2000 की शुरुआत से, आर्कटिक में समतापमंडल की ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाली अकार्बनिक क्लोरीन और ब्रोमीन के स्तर में कमी आई है, हालांकि यह कमी बहुत धीरे-धीरे आ रही है।
इस निराशाजनक पूर्वानुमान के बीच, नए शोध ने आने वाले अच्छे भविष्य की ओर इशारा किया है। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में पृथ्वी वैज्ञानिकों और उनके सहयोगियों ने साल 2023 से 2024 तक की सर्दियों के दौरान, ओजोन की मात्रा मार्च 2024 को 1970 के दशक के बाद से सबसे अधिक पाई गई।
सितंबर 2024 तक औसत से ऊपर ओजोन का स्तर बना रहा। यह अहम है क्योंकि, पहले, वसंत ऋतु को ओजोन की कमी से जोड़ा गया है जब सीएफसी स्तर बढ़ गया।
शोध टीम इस बात को सामने लाई कि सीएफसी का स्तर अब कम हो रहा है, ताकि ओजोन परत को ठीक होने में मदद मिल सकेगी। शोधकर्ताओं के मुताबिक ओजोन पृथ्वी की प्राकृतिक सनस्क्रीन की तरह है, जो पूरी धरती पर रहने वालों को सूर्य से निकलने वाली यूवी किरणों से बचाती है।
ओजोन परत में इस तरह के बदलाव का पता लगाने के लिए, शोधकर्ताओं ने 1979 से कुल ओजोन या पृथ्वी की सतह से वायुमंडल के किसी विशेष जगह के शीर्ष तक ओजोन की कुल मात्रा का निरीक्षण करने के लिए मौसम विज्ञान और उपग्रह बैकस्कैटर पराबैंगनी आंकड़ों की जांच-पड़ताल की।
अध्ययन के मुताबिक, मार्च 2024 का ओजोन का औसत 477 डॉबसन इकाइयों (डीयू) पर पहुंच गया, जो मार्च 1979 में पिछले रिकॉर्ड से छह डीयू अधिक है और अध्ययन अवधि (1979 से 2023) के औसत से 60 डीयू अधिक है। आर्कटिक के लिए रोजमर्रा के रिकॉर्ड स्तर महीने के लगभग आधे समय के लिए हुआ, जिसमें 20 मार्च को अधिकतम 499 डीयू देखा गया।
जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि समताप मंडल के सबसे निचले हिस्से में महीने के 23 दिनों तक रिकॉर्ड अधिक तापमान रहा, जो निचले स्तरों से समताप मंडल में ऊपर की ओर बढ़ने वाले गर्म मौसम प्रणालियों के कारण ओजोन के इन ऊंचे स्तरों के साथ मेल खाता है।
शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा कि जलवायु मॉडल 2000 से 2025 तक आर्कटिक ओजोन में 10 से 30 डीयू की वृद्धि का अनुमान है, जिसके चलते वायुमंडल में ओजोन को कम करने वाले पदार्थों में कमी और ग्रीनहाउस गैस का स्तर बढ़ जाता है।
इसके अलावा इन आंकड़ों के आधार पर दोपहर में साफ आसमान के पराबैंगनी (यूवी) सूचकांक की गणना करने पर पता चलता है कि यह 2024 आर्कटिक के अधिक ओजोन स्तर के चलते ज्यादा यूवी किरणों को रोकता है, जिससे 1979 से 2023 के अध्ययन के दौरान औसत की तुलना में यूवी सूचकांक में पांच फीसदी की कमी आती है।
पृथ्वी पर जीवन की रक्षा के लिए ओजोन की बहाली बहुत जरूरी है, अन्यथा अंतरिक्ष से आने वाली खतरनाक यूवी विकिरण के अनेक तरह के नुकसान हो सकते हैं। इसके कारण पौधों के विकास रुक सकता है और शुरुआती उत्पादकों को प्रभावित करके समुद्री खाद्य श्रृंखलाओं में अड़चने पैदा करना, लोगों में त्वचा का कैंसर और प्रतिरक्षा कमी जैसे विकारों की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है। शोधकर्ताओं ने शोध में अब उम्मीद जताई है कि एक दिन ये ओजोन छिद्र पूरी तरह भर जाएंगे।