भारत के इन हिस्सों में दिखे नए फ्लैश फ्लड हॉटस्पॉट, अध्ययन में खुलासा

भारतीय हिमालय अपने ढलानदार भू-भाग और नाजुक भू-आकृतियों के कारण अचानक बाढ़ के लिए विशेष रूप से संवेदनशील बना हुआ है।
देश भर में लगभग तीन-चौथाई अचानक बाढ़ अत्यधिक बारिश और नमी या गीली जमीन के मिले जुले असर के कारण आती है
देश भर में लगभग तीन-चौथाई अचानक बाढ़ अत्यधिक बारिश और नमी या गीली जमीन के मिले जुले असर के कारण आती हैफोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स
Published on

हिमालय और पूरे भारत में अचानक आने वाली बाढ़ (फ्लैश फ्लड) के पीछे इस क्षेत्र की भू-आकृति विज्ञान और जल विज्ञान संबंधी विशेषताएं हैं। गांधीनगर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के द्वारा चेतावनी दी है कि अचानक आने वाली बाढ़ अब पारंपरिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि बदलते जलवायु पैटर्न अब पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में खतरे वाले नए इलाके बना रहे हैं।

एनपीजे नेचुरल हैजर्ड्स नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने भारत का एक पूरा मानचित्र तैयार करने के लिए चार दशकों के मौसम और आपदा संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया। उनके निष्कर्ष एक चिंताजनक प्रवृत्ति की ओर इशारा कर रहे हैं, पहले जहां बाढ़ नहीं आती थी वहां अब लगातार तीव्र और भीषण बारिश के कारण अचानक आने वाली बाढ़ में बढ़ोतरी हो रही है।

यह भी पढ़ें
बादल फटना क्या है, हिमालयी इलाकों में क्यों बढ़ रही हैं घटनाएं, क्या जलवायु परिवर्तन है जिम्मेवार?
देश भर में लगभग तीन-चौथाई अचानक बाढ़ अत्यधिक बारिश और नमी या गीली जमीन के मिले जुले असर के कारण आती है

अध्ययन में कहा गया है कि अचानक आने वाली बाढ़ के हॉटस्पॉट मुख्यतः हिमालय, पश्चिमी तट और मध्य भारत में केंद्रित हैं, जहां हिमालय में भू-आकृति संबंधी कारण और पश्चिमी तट तथा मध्य भारत में जल-विज्ञान संबंधी कारण अचानक बाढ़ के लिए जिम्मेवार हैं।

अध्ययन से पता चला है कि देश भर में लगभग तीन-चौथाई अचानक बाढ़ अत्यधिक बारिश और नमी या गीली जमीन के मिले जुले असर के कारण आती है, जो लंबे समय तक या हाल ही में हुई बारिश के कारण होती है। जबकि एक-चौथाई घटनाएं केवल अत्यधिक बारिश के कारण होती हैं।

यह भी पढ़ें
पिछले 40 सालों में भारत में बाढ़ व जल आपूर्ति पैटर्न में आया भारी बदलाव
देश भर में लगभग तीन-चौथाई अचानक बाढ़ अत्यधिक बारिश और नमी या गीली जमीन के मिले जुले असर के कारण आती है

अध्ययन के मुताबिक, अत्यधिक बारिश और गीली स्थितियों के कारण अधिकतर अचानक बाढ़ों को जन्म देता है, जबकि शेष बाढ़ें पूरी तरह से अत्यधिक बारिश के कारण होती हैं।

शोधकर्ताओं ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 1981-2020 के तापमान रिकॉर्ड और आपातकालीन घटना डेटाबेस (ईएम-डीएटी) के आंकड़ों का उपयोग करके, टीम अचानक आने वाली बाढ़ को अन्य प्रकार की बाढ़ों से अलग करने और उनके विशेष पैटर्न और कारणों की जांच करने में सफल रही।

यह भी पढ़ें
जलवायु परिवर्तन: एशिया के पर्वतीय इलाकों में बढ़ा बाढ़ और हिमस्खलन का खतरा
देश भर में लगभग तीन-चौथाई अचानक बाढ़ अत्यधिक बारिश और नमी या गीली जमीन के मिले जुले असर के कारण आती है

अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि अचानक आने वाली बाढ़ स्थानीय और तीव्र होती है, जिससे अक्सर समुदायों को बारिश शुरू होने और बाढ़ के चरम पर पहुंचने के बीच छह घंटे से भी कम समय मिलता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिकतर बाढ़ केवल 18 घंटों में हुई बारिश के कारण आती है।

अध्ययन में कहा गया है कि एक अहम जानकारी यह है कि वर्तमान में कम संवेदनशील माने जाने वाले कई बेसिन या घाटियां अब उभरते हुए खतरों के संकेत दे रहे हैं। अत्यधिक बारिश कई बेसिनों में आम और तीव्र होती जा रही है, जहां अचानक बाढ़ का खतरा नहीं होता, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि गर्म होती जलवायु भविष्य में अचानक बाढ़ के नए हॉटस्पॉट का कारण बन सकती है।

यह भी पढ़ें
ग्लोबल साउथ में बाढ़ का खतरा: भारत में हैं सबसे अधिक असुरक्षित बस्तियां
देश भर में लगभग तीन-चौथाई अचानक बाढ़ अत्यधिक बारिश और नमी या गीली जमीन के मिले जुले असर के कारण आती है

भारतीय हिमालय अपने ढलानदार भू-भाग और नाजुक भू-आकृतियों के कारण अचानक बाढ़ के लिए विशेष रूप से संवेदनशील बना हुआ है। अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय हिमालय की भू-सतह की विशेषताएं इस क्षेत्र को असामान्य और चरम मौसम की घटनाओं, जैसे बादल फटना, भयंकर बारिश, अचानक बाढ़ और हिमस्खलन, के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील बनाती हैं। वैज्ञानिक ऐसी घटनाओं में वृद्धि का कारण मानवजनित जलवायु परिवर्तन को मानते हैं।

पांच अगस्त, 2025 को यह संवेदनशीलता एक बार फिर उजागर हुई जब उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई, जिसमें भारी जान-माल का नुकसान हुआ। जिससे प्रभावी जलवायु लचीलापन रणनीतियों की तत्काल जरूरत का पता चलता है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in