
एक ऐसी दुनिया जहां जलवायु परिवर्तन से शुष्क भूमि पर रहने वाले दो अरब से अधिक लोगों को खतरा है, वहीं भारत का थार रेगिस्तान नई उम्मीदें जगा रहा है। जहां कई रेगिस्तान भयानक सूखे का सामना कर रहे हैं, वहीं थार में खेती और हरियाली बढ़ती दिख रही है।
भारत के थार रेगिस्तान में पिछले 20 सालों में तेजी से बदलाव आया है। 2001 से 2023 तक यहां वनस्पति में 38 फीसदी की बढ़ोतरी और बारिश में 64 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि धरती पर किसी अन्य रेगिस्तान में इसी अवधि में बारिश, हरियाली और लोगों में इतना इजाफा नहीं देखा गया।
सेल रिपोर्ट्स सस्टेनेबिलिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन में उपग्रह और स्थानीय आंकड़ों का उपयोग करके इन बदलावों पर नजर रखी गई। इसमें पाया गया कि थार हरा-भरा होने के साथ-साथ दुनिया के 14 रेगिस्तानों में फसलों, शहरों और आबादी में भी सबसे तेजी से बढ़ोतरी दर्ज हो रही है।
शोध में कहा गया है कि साल 2000 के बाद रेगिस्तान में, खास तौर पर उत्तर-पश्चिम में, बारिश में इजाफा हुआ है। रेगिस्तान में सालाना औसतन 4.4 मिमी अधिक बारिश होती है। यहां बारिश में असामान्य बढ़ोतरी देखी गई है।
शोध के मुताबिक, थार रेगिस्तान में सालना 100 से 500 मिमी के बीच बारिश होती है, तथा औसतन लगभग 200 मिमी होती है, जो मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम के दौरान होती है।
शोध में पाया गया कि चार रेगिस्तानों : थार, अरब, नेगेव और पूर्वी गोबी में इस अवधि में बारिश अधिक रिकॉर्ड की गई। केवल अफ्रीका में नामीब रेगिस्तान सूखा रहा।
थार की वनस्पति में भी तेजी से इजाफा हुआ। साल 1980 से 2015 के बीच, इस क्षेत्र में खेती की जमीन में 74 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। सिंचाई वाली जमीन में 24 फीसदी का इजाफा हुआ। इसके पीछे के मुख्य कारणों में अधिक बारिश होना और भूजल का अधिक उपयोग होना बताया जा रहा है।
भूजल अब फसल उगाने में एक अहम भूमिका निभाता है। सालाना पौधों के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी का 55 फीसदी भूजल से आता है। शेष 45 फीसदी की आपूर्ति बारिश से होती है।
शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से सूखे इलाकों में खेती को संभव बनाने के लिए मानवजनित प्रयासों की अहम भूमिका को भी उजागर किया - जैसे सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण और बिजली की बेहतर पहुंच आदि। नहर जो ब्यास और सतलुज नदियों से राजस्थान में पानी लाती है, इसने रेगिस्तान के कई हिस्सों को बदलने में अहम भूमिका निभाई।
शोध में इस बात की भी चेतावनी दी गई है कि भूजल के उपयोग में तेज रफ्तार से इजाफे की वजह से इसमें कमी आई है। शोध में कई क्षेत्रों में भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई, खासकर उन जगहों पर जहां हरियाली में सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई है।
साल 1985 से 2020 के बीच थार के कई कस्बों और शहरों का विस्तार 50 से 800 फीसदी तक हुआ। रेगिस्तान में अब दुनिया के किसी भी रेगिस्तान की तुलना में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व है। 2001 से 2020 तक, थार में अध्ययन किए गए सभी रेगिस्तानों में सबसे तेज जनसंख्या वृद्धि देखी गई। अरब रेगिस्तान दूसरे स्थान पर था।
यह रेगिस्तान राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हरियाणा से होते हुए लगभग 2,00,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और दक्षिण-पूर्वी पाकिस्तान तक फैला हुआ है। यह अब दुनिया भर के रेगिस्तानों में अपनी तीन तरह के इजाफे की वजह से अलग पहचान रखता है, जिनमें जनसंख्या, बारिश और वनस्पतियों शामिल हैं।
जलवायु परिवर्तन कुछ क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को सीमित कर सकता है, जबकि अन्य में यह बारिश को अचानक बढ़ा देता है। थार में, बड़े पैमाने पर मॉनसून में बदलाव, साथ ही सिंचाई जैसे मानवजनित प्रयासों ने वर्तमान पैटर्न को आकार दिया है।
शोध में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि इस क्षेत्र में बढ़ते तापमान के कारण स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ सकते हैं और बाहर काम करने की क्षमता कम हो सकती है। शोधकर्ताओं ने
शोध में अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के आधार पर आने वाले दशकों में थार में सालाना 20 से 50 प्रतिशत तक बारिश बढ़ सकती है। लेकिन अत्यधिक गर्मी के दिनों और ठंडा करने और सिंचाई के लिए ऊर्जा की मांग भी बढ़ सकती है।
हालांकि हरियाली के प्रयास अच्छे हैं, लेकिन शोधकर्ताओं ने संतुलन की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने पानी, भूमि और शहरी नियोजन के बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता जताई है।