रेगिस्तान कभी था हरा-भरा, 400 साल पहले अरब में बारिश पांच गुना अधिक होती थी, अब एक बार फिर हो रहा बदलाव

साल 2024 की सर्दियों में अरब प्रायद्वीप में आने वाली भयावह बाढ़ इस तरह की चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तेजी का अध्ययन करने की तत्काल जरूरत पर प्रकाश डालती है।
इस क्षेत्र की जलवायु कभी शेरों, तेंदुओं और भेड़ियों से भरे वनस्पति सवाना की तरह थी, जबकि आज का अति-शुष्क रेगिस्तान ऐसा नहीं है।
इस क्षेत्र की जलवायु कभी शेरों, तेंदुओं और भेड़ियों से भरे वनस्पति सवाना की तरह थी, जबकि आज का अति-शुष्क रेगिस्तान ऐसा नहीं है। फोटो साभार: आईस्टॉक
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अरब में अत्यधिक बारिश का विश्लेषण करने वाले एक नए अध्ययन से पता चला है कि इस क्षेत्र में 400 साल पहले पांच गुना बारिश अधिक होती थी। जो आज बढ़ते शहरीकरण के बीच चरम मौसम की किस तरह हो तैयारी इस चीज को सामने लाता है।

मियामी रोसेनस्टील स्कूल ऑफ मरीन, एटमॉस्फेरिक, एंड अर्थ साइंस के शोधकर्ताओं में द्वारा किए गए इस अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि पिछले 2,000 साल बहुत अधिक नमी वाले थे। इस क्षेत्र की जलवायु कभी शेरों, तेंदुओं और भेड़ियों से भरे वनस्पति सवाना की तरह थी, जबकि आज का अति-शुष्क रेगिस्तान ऐसा नहीं है। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित हुआ है

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि सऊदी अरब में निओम जैसी प्रमुख विकास परियोजनाएं परिदृश्य को नया आकार दे रही हैं। ये निष्कर्ष इस क्षेत्र में चरम मौसम की घटनाओं के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए जलवायु के लचीलेपन और आपदा की तैयारी को बढ़ाने की जरूरत को सामने लाते हैं।

शोध में कहा गया है कि शोध पोत ओशन एक्सप्लोरर से एक मील से अधिक गहराई पर तैनात एक रिमोटली आपरेटेड व्हीकल (आरओवी) का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने उत्तरी लाल सागर के विस्तार, अकाबा की खाड़ी में गहरे समुद्र के नमकीन पानी के पूल से तलछट कोर निकाले। नमकीन पानी की रसायन शास्त्र तलछट की परतों को संरक्षित करता है, जो लेट होलोसीन बारिश की प्रवृत्तियों का एक अनूठा और अत्यधिक सटीक रिकॉर्ड प्रदान करता है।

अरब में भारी बारिश की घटनाएं
अरब में भारी बारिश की घटनाएं स्रोत: साइंस एडवांसेज पत्रिका
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इस क्षेत्र की जलवायु कभी शेरों, तेंदुओं और भेड़ियों से भरे वनस्पति सवाना की तरह थी, जबकि आज का अति-शुष्क रेगिस्तान ऐसा नहीं है।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया कि अरब में पिछले 2,000 साल बहुत अधिक बारिश वाले रहे, यह क्षेत्र कभी वनस्पतियों से भरा सवाना था और लगभग 200 साल पहले, वर्तमान की तुलना में दोगुनी बारिश होती थी।

यह मध्य पूर्वी जलवायु के इतिहास को भरने के लिए एक अहम रिकॉर्ड है। यह बताता है कि इस क्षेत्र में जलवायु, औसत और चरम दोनों, अचानक बदल सकती है और भविष्य के विकास में लंबे समय की जलवायु स्थिरता की धारणा अच्छी नहीं है।

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इस क्षेत्र की जलवायु कभी शेरों, तेंदुओं और भेड़ियों से भरे वनस्पति सवाना की तरह थी, जबकि आज का अति-शुष्क रेगिस्तान ऐसा नहीं है।

मध्य पूर्व को जलवायु हॉटस्पॉट माना जाता है, जहां सर्दियों में होने वाली मूसलाधार बारिश से अचानक बाढ़ आती है, बीच-बीच में भयंकर सूखे के कारण अरब में मानवीय आपदाएं होती हैं। लेट होलोसीन बारिश में बदलाव बाढ़ और सूखे से निपटने के लिए बेहतर तैयारी और भविष्य के हाइड्रोक्लाइमेट रुझानों को समझने की आवश्यकता को सामने लाती है क्योंकि मध्य पूर्व में तेजी से शहरीकरण हो रहा है।

2024 की सर्दियों में अरब प्रायद्वीप में आने वाली भयावह बाढ़ इस तरह की चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तेजी का अध्ययन करने की तत्काल जरूरत को सामने लाती है।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया कि महासागर और जलवायु विज्ञान के अनेक विषयों के विशेषज्ञों के साथ मिलकर ओशन एक्सप्लोरर की तकनीक का उपयोग करके महासागर प्रणालियों और लंबे समय के मौसम और जलवायु प्रवृत्तियों के बीच संबंधों की अपनी समझ को और बढ़ा सकते हैं, जिससे खतरे वाले क्षेत्रों को भविष्य के लिए तैयार रहने में मदद मिल सके।

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