
वैश्विक तापमान में आती गिरावट थमने का नाम ही नहीं ले रही। पिछले महीने फरवरी में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला। यह तीसरा मौका है जब दुनिया ने इतनी गर्म फरवरी का सामना किया है।
यूरोपियन कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने पुष्टि की है कि पिछले महीना, दर्ज जलवायु इतिहास का अब तक का तीसरा सबसे गर्म फरवरी का महीना था। इस दौरान सतह के पास तापमान औद्योगिक काल से पहले (1850-1900) की तुलना में 1.59 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। मतलब की एक बार फिर बढ़ता तापमान डेढ़ डिग्री सेल्सियस की लक्ष्मण रेखा को पार कर गया है।
देखा जाए तो पिछले 20 महीनों में फरवरी 2025, 19वां ऐसा महीना है जब वैश्विक तापमान औसत से डेढ़ डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है।
आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2025 के दौरान वैश्विक स्तर पर सतह के पास हवा का औसत तापमान 13.36 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। यदि 1991 से 2020 के बीच फरवरी के औसत तापमान की तुलना में देखें तो इस साल फरवरी का औसत तापमान 0.63 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
जलवायु आंकड़ों से यह भी पता चला है कि इससे पहले फरवरी 2024 में अब तक का सबसे गर्म फरवरी का महीना दर्ज किया गया था। वहीं 2016 में दूसरा सबसे गर्म फरवरी सामने आया था। बता दें कि इससे पहले साल का आगाज अब तक के सबसे गर्म जनवरी के साथ हुआ था।
देखा जाए तो बढ़ते तापमान के यह निशां इस बात का स्पष्ट प्रमाण हैं कि हमारी दुनिया बड़ी तेजी से गर्म हो रही है।
कॉपरनिकस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि फरवरी 2025 में यूरोप का औसत तापमान, 1991-2020 के औसत की तुलना में 0.40 डिग्री सेल्सियस अधिक था, हालांकि इसके बावजूद यह यूरोप के दस सबसे गर्म फरवरी के महीनों में शामिल नहीं था। इस दौरान उत्तरी फेनोस्कैंडिया, आइसलैंड और आल्प्स सामान्य से ज्यादा गर्म थे, जबकि पूर्वी यूरोप ठंडा रहा।
वैश्विक स्तर पर देखें तो आर्कटिक के ज्यादातर हिस्सों के साथ-साथ उत्तरी चिली, अर्जेंटीना, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका और मैक्सिको औसत से ज्यादा गर्म रहे। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका-कनाडा के कुछ हिस्से, ब्लैक, कैस्पियन और पूर्वी भूमध्य सागर के पास के क्षेत्र और पूर्वी एशिया में तापमान सामान्य से कम रहा।
दक्षिणी रूस, मंगोलिया, चीन और जापान के कुछ हिस्सों में भी तापमान अधिक रहा।
भारत में बढ़ते तापमान ने किसानों की बढ़ाई मुश्किल
भारत से जुड़े आंकड़ों को देखें तो भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक देश ने 2025 में अब तक की अपनी सबसे गर्म फरवरी का सामना किया।
इसके साथ ही मौसम विज्ञानियों ने आशंका जताई है कि मध्य और उत्तरी भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में तापमान औसत से छह डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है, जो किसानों के लिए अच्छी खबर नहीं है। आशंका है कि इस साल भारत में गर्मियों का आगाज कुछ पहले ही हो गया है।
26 फरवरी 2025 को मुंबई में तापमान 38.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो सामान्य से करीब 5.9 डिग्री सेल्सियस अधिक था। इसकी वजह से समय से पहले हीटवेव की चेतावनी जारी करनी पड़ी। अन्य तटीय क्षेत्रों में भी तापमान 37 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया।
रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा नहीं है कि फरवरी में केवल धरती का तापमान ही अधिक रहा। इसके साथ ही समुद्र भी 'उबल' रहे हैं। गौरतलब है कि फरवरी 2025 में समुद्र की सतह का औसत तापमान 20.88 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
फरवरी 2024 के बाद यह दूसरा मौका है जब फरवरी में समुद्र की सतह का तापमान इतना अधिक दर्ज किया गया है। आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान समुद्र की सतह का औसत तापमान फरवरी 2024 की तुलना में 0.18 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया।
फरवरी 2025 में, यूरोप के अधिकांश हिस्सों में औसत से कम बारिश देखी गई। नतीजन मध्य और पूर्वी यूरोप, दक्षिण-पूर्वी स्पेन और तुर्की में मिट्टी में शुष्कता अधिक रही। हालांकि, आइसलैंड, आयरलैंड, दक्षिणी यूके, फ्रांस के कुछ हिस्से और इटली सामान्य से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई।
वैश्विक स्तर पर देखें तो उत्तरी अमेरिका, मध्य एशिया, पूर्वी चीन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका के अधिकांश हिस्से औसत से ज्यादा सूखे रहे। इस दौरान अर्जेंटीना में जंगल की आग से भी जूझना पड़ा।
दूसरी तरफ पूर्वी और पश्चिमी अमेरिका, कनाडा, मध्य एशिया और अरब प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश हुई। वहीं दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण प्रशांत में कई चक्रवातों ने अच्छा-खासा नुकसान पहुंचाया।
भारत के भी कई राज्यों में सामान्य से कम बारिश देखी गई। गुजरात और गोवा में जनवरी और फरवरी के बीच बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई, यानी 100 फीसदी की कमी दर्ज की गई। महाराष्ट्र में भी बारिश लगभग न बारिश थी। इसमें 99 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
कर्नाटक में सामान्यतः 4.6 मिलीमीटर बारिश होती है, उसकी जगह 0.9 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो 80 फीसदी की कमी को दर्शाता है। वहीं केरल में जहां आमतौर पर 19.7 मिलीमीटर बारिश होती है, उसकी जगह 7.2 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई, यानी उसमें 64 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
फरवरी की शुरुआत में वैश्विक समुद्री बर्फ का विस्तार रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया और महीने के बाकी दिनों में यह फरवरी 2023 के पिछले रिकॉर्ड से नीचे रहा। फरवरी के दौरान आर्कटिक में जमा समुद्री बर्फ औसत से आठ फीसदी कम थी, जो इस महीने के लिए रिकॉर्ड में सबसे कम है। यह लगातार तीसरा महीना है जब बर्फ में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है।
इसी तरह फरवरी में अंटार्कटिक में जमा समुद्री बर्फ औसत से 26 फीसदी कम थी, जो महीने के लिए रिकॉर्ड पर चौथी सबसे कम रही।