
1930 से अब तक दुनिया में फीफा वर्ल्ड कप का रोमांच कम नहीं हुआ है, लेकिन बढ़ते तापमान के साथ इन खेलों पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। आशंका है कि ऐसा ही कुछ 2026 में होने वाले फीफा वर्ल्ड कप के दौरान भी देखने को मिल सकता है। शोधकर्ताओं ने चेताया है कि इस दौरान टोरंटो सहित कई मेजबान शहरों में भीषण गर्मी का कहर पड़ सकता है।
टोरंटो विश्वविद्यालय सहित अंतराष्ट्रीय शोधकर्ताओं द्वारा किए इस अध्ययन के नतीजे इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोमेटोरोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं।
इस अध्ययन के मुताबिक टोरंटो सहित 16 में से 14 मेजबान शहरों में जून से जुलाई के बीच, कम से कम कुछ समय के लिए तापमान इतना अधिक हो जाएगा कि उस दौरान फुटबॉल के मैचों का आयोजन मुमकिन नहीं होगा।
इस बारे में टोरंटो विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और अध्ययन से जुड़ी शोधकर्ता मैडेलीन ऑर ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने वेट बल्ब ग्लोब टेम्परेचर (डब्ल्यूबीजीटी) नामक एक माप की मदद से भीषण गर्मी के जोखिम का अध्ययन किया है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 2003 से 2022 के बीच प्रति घंटे के मौसम के आंकड़ों का उपयोग किया है।
अध्ययन के नतीजों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने लिखा है कि 16 में से 14 मेजबान शहरों में तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाएगा। वहीं कुछ शहरों में तो दोपहर में आधे से अधिक समय तापमान इससे ऊपर रह सकता है।
उनके मुताबिक डब्ल्यूबीजीटी की यह सीमा बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वह स्तर है जिसके बाद कुछ फुटबॉल नियामक संगठन मैचों में देरी या उन्हें स्थगित करने की सिफारिश करते हैं।
गौरतलब है कि जलवायु में आते बदलावों की वजह से भीषण गर्मी और लू की घटनाएं पहले से कहीं ज्यादा गंभीर और तीव्र होती जा रही है। इनका असर समाज और जीवन के हर पहलू पर पड़ रहा है। इसमें दुनिया भर में आयोजित होने वाले खेल भी शामिल हैं।
इन घटनाओं की वजह से न केवल खिलाड़ियों बल्कि दर्शकों, रेफरी और आयोजन से जुड़े कर्मचारियों पर भी पड़ रहा है।
ऐसे में इन निष्कर्षों के आधार पर, शोधकर्ताओं ने दोपहर के सबसे गर्म समय से बचने के लिए खेल के समय में बदलाव का सुझाव दिया है। यह उन शहरों के लिए है जहां गर्मी का जोखिम अधिक है और जहां फुटबाल के इनडोर, वातानुकूलित मैदान नहीं हैं। इन शहरों में मियामी, मॉन्टेरी, फिलाडेल्फिया, कैनसस सिटी, बोस्टन और न्यूयॉर्क शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने खिलाड़ियों, रेफरी, कर्मचारियों और दर्शकों की सुरक्षा को देखते हुए फीफा विश्व कप के दौरान गर्मी से बचने के लिए कड़े नियमों की मांग की है। ऑर का कहना है कि "बड़े आयोजनों से पहले गर्मी से जुड़े जोखिमों की सावधानीपूर्वक जांच करना महत्वपूर्ण है, ताकि हम खेलों को कब शेड्यूल करना है, इस बारे में समझदारी से निर्णय ले सकें।"
डीटीई ने इसको लेकर पहले भी किया था आगाह
गौरतलब है कि इससे पहले भीषण गर्मी के चलते 2022 के दौरान कतर में हुए फीफा वर्ल्ड कप को गर्मियों से सर्दियों में शिफ्ट कर दिया गया था। बता दें कि इससे पहले भी फीफा द्वारा कराए जाने वाले खेल आयोजनों के समय को लेकर दुनिया भर के मौसम विज्ञानियों ने सवाल उठाए थे। कई बार ऐसे मौसम में फुटबाल मैचों के आयोजन कराए गए जब उन स्थानों पर लगातार चरम मौसमी घटनाएं घट रहीं थीं।
डाउन टू अर्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पहले भी इसको लेकर सवाल उठाए गए हैं कि क्या दुनिया के इस सबसे लोकप्रिय खेल के 2026 के विश्व कप का आयोजन गर्मियों में किया जाना चाहिए?
सवाल यह है कि क्या आयोजकों ने ऐसे मौसम को देखा-परखा है? डीटीई रिपोर्ट के मुताबिक कुछ समय पहले अमेरिका में कोपा अमेरिका कप का आयोजना किया गया। यह ऐसे समय में आयोजित किया गया जब अमेरिका में सबसे अधिक गर्मी होती है।
इस टूर्नामेंट का फाइनल अमेरिकी के मियामी शहर में आयोजित किया गया। इस समय स्थिति उस समय बिगड़ गई जब यह मैच अपने निर्धारित समय पर शुरू नहीं हो सका। कारण यह था कि फुटबाल प्रेमी गर्मी के चलते मैदान के बाहर खड़े होने की स्थिति में नहीं थे। ऐसे में वे जबरन खेल मैदान में घुस आए और इसकी वजह से फाइनल करीब डेढ़ से दो घंटे देरी से शुरू हुआ।
देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मौके आए हैं जब जंगल की आग के धुएं ने अमेरिका के कुछ हिस्सों में वायु प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक बढ़ा दिया। उदाहरण के लिए जून 2023 में उत्तर-पूर्वी अमेरिका में कई दिनों तक वायु गुणवत्ता खराब स्तर पर रही।
इसके कारण कई खेलों के आयोजन और अन्य बाहरी गतिविधियां रद्द कर दी गई। ऐसे में यदि 2026 के विश्व कप के दौरान भी ऐसी ही स्थिति बनती है तो फिर मैच को देर से शुरू करने या रद्द करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
मौसम विज्ञानियों का भी कहना है कि बड़े टूर्नामेंट गर्मियों की जगह साल के दूसरे समय में आयोजित किए जाने चाहिए।