जलवायु संकट: शार्क के दांतों को हो रहा है नुकसान, क्या इन्हें कृत्रिम दांतों की जरूरत पड़ेगी?

समुद्री अम्लीकरण से शार्क के दांतों की ताकत घट सकती है, जिससे उनकी शिकार करने की क्षमता और समुद्री संतुलन दोनों प्रभावित होंगे।
ब्लैकटिप रीफ शार्क पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि कम पीएच वाले पानी में दांत ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए।
ब्लैकटिप रीफ शार्क पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि कम पीएच वाले पानी में दांत ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए।प्रतीकात्मक तस्वीर, फोटो साभार: आईस्टॉक
Published on
Summary
  • समुद्र में अम्लीकरण बढ़ने से शार्क के दांत कमजोर हो सकते हैं, जिन पर दरारें और छिद्र बनने लगते हैं।

  • ब्लैकटिप रीफ शार्क पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि कम पीएच वाले पानी में दांत ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए।

  • कमजोर दांत शार्क की शिकार करने की क्षमता को घटा देंगे, जिससे उनकी ऊर्जा जरूरतें पूरी करना कठिन होगा।

  • अम्लीकरण का असर केवल दांतों तक सीमित नहीं रहेगा, यह शार्क की घ्राण शक्ति और अंडों के फूटने पर भी असर डाल सकता है।

  • शार्क समुद्री पारिस्थितिकी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, इनके कमजोर पड़ने से पूरा खाद्य जाल और समुद्र का संतुलन बिगड़ सकता है।

शार्क समुद्र की सबसे खतरनाक और अद्भुत जीवों में गिनी जाती हैं। उनकी सबसे बड़ी ताकत है उनके तेज, धारदार और लगातार उगने वाले दांत। इंसानों के दांत टूट जाएं तो डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाना पड़ता है, लेकिन शार्क के पास प्रकृति का दिया हुआ अद्भुत “दांत बदलने की प्रणाली” है। जब एक दांत गिरता है, तो तुरंत उसकी जगह नया दांत उग आता है। यही कारण है कि शार्क लाखों वर्षों से समुद्र में सबसे बड़ी शिकारी बनी हुई हैं।

लेकिन हालिया शोध बता रहा है कि भविष्य में यह ताकतवर दांत भी कमजोर पड़ सकते हैं। कारण है समुद्री अम्लीकरण (ओसियन एसिडिफिकेशन)। यह स्थिति इंसानों द्वारा वातावरण में छोड़े जा रहे कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) के कारण और भी गंभीर हो रही है।

यह भी पढ़ें
शार्क मछलियों पर भी दिखा जलवायु परिवर्तन का असर: शोध
ब्लैकटिप रीफ शार्क पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि कम पीएच वाले पानी में दांत ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए।

समुद्र क्यों हो रहे हैं खट्टे?

धरती का वातावरण लगातार गर्म हो रहा है और उसमें कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है। यह गैस केवल हवा में ही नहीं रुकती, बल्कि उसका लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा समुद्र भी सोख लेते हैं। जब यह कार्बन डाइऑक्साइड पानी से मिलती है तो पानी में हाइड्रोजन आयन की मात्रा बढ़ जाती है और उसका पीएच स्तर गिरने लगता है। यही प्रक्रिया समुद्री अम्लीकरण कहलाती है।

वर्तमान में औसतन समुद्र का पीएच लगभग 8.1 है, जो बेकिंग सोडा जितना क्षारीय होता है। लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि साल 2300 तक यह घटकर 7.3 तक आ सकता है। यह आज की तुलना में लगभग 10 गुना ज्यादा अम्लीय स्थिति होगी।

यह भी पढ़ें
टाइगर शार्क और रे की 43 फीसदी प्रजातियां संकट में: अध्ययन
ब्लैकटिप रीफ शार्क पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि कम पीएच वाले पानी में दांत ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए।

समुद्री जीवन पर असर

समुद्री अम्लीकरण के कारण सबसे पहले उन जीवों पर असर पड़ता है जिनका शरीर या खोल कैल्शियम कार्बोनेट से बना होता है, जैसे शंख, सीप, प्रवाल और समुद्री अर्चिन। लेकिन अब शोध से यह भी सामने आ रहा है कि इसका असर शार्क जैसी मछलियों पर भी पड़ सकता है।

शार्क के शरीर पर छोटे-छोटे दंतकण (डर्मल डेंटिकल्स) होते हैं, जो उनके स्केल की तरह काम करते हैं। ये दंतकण और उनके दांत खनिजयुक्त फॉस्फेट से बने होते हैं। अम्लीकरण बढ़ने पर इनकी सतह पर दरारें और छिद्र बनने लगते हैं।

यह भी पढ़ें
दुनिया भर में शार्क के पंखों के व्यापार से दो-तिहाई प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर पहुंची
ब्लैकटिप रीफ शार्क पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि कम पीएच वाले पानी में दांत ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए।

क्या कहता है शोध?

फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस में प्रकाशित शोध में जर्मनी की हेनरिक हाइने यूनिवर्सिटी के जीव वैज्ञानिकों की टीम ने इस विषय पर दिलचस्प प्रयोग किया। उन्होंने जर्मनी के एक्वेरियम से ब्लैकटिप रीफ शार्क के 600 से अधिक गिरे हुए दांत एकत्र किए। इन दांतों को उन्होंने कृत्रिम समुद्री पानी में अलग-अलग पीएच स्तर पर रखा।

एक टैंक में पानी का पीएच 8.2 रखा गया, जो वर्तमान स्थिति जैसा है। दूसरे टैंक में पीएच 7.3 रखा गया, जो भविष्य की अनुमानित स्थिति को दर्शाता है।

यह भी पढ़ें
जलवायु आपातकाल, कॉप-25: शार्क, ट्यूना जैसी मछलियों के जीवन पर संकट
ब्लैकटिप रीफ शार्क पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि कम पीएच वाले पानी में दांत ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए।
दांतों के बेसल सेक्शन की क्षति का आकलन। बेसल सेक्शन की समग्र स्थिति का आकलन करने के लिए, दांतों को (ए) 1= कोई क्षति नहीं, (बी) 2= मामूली क्षति, (सी ) 3= मध्यम क्षति, (डी) 4= भारी क्षति के बीच वर्गीकृत किया गया।
दांतों के बेसल सेक्शन की क्षति का आकलन। बेसल सेक्शन की समग्र स्थिति का आकलन करने के लिए, दांतों को (ए) 1= कोई क्षति नहीं, (बी) 2= मामूली क्षति, (सी ) 3= मध्यम क्षति, (डी) 4= भारी क्षति के बीच वर्गीकृत किया गया।स्रोत: फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस

कुछ हफ्तों बाद नतीजे चौंकाने वाले थे। जिन दांतों को अधिक अम्लीय पानी में रखा गया था, उनमें दरारें, छिद्र और सतह की टूट-फूट साफ दिखाई दी। दांत की नोक, जड़ और धारदार किनारे सब प्रभावित हुए।

दिलचस्प बात यह रही कि इन दांतों का औसत आकार थोड़ा बड़ा दिखा। वैज्ञानिकों के अनुसार यह वास्तव में फैलाव नहीं था, बल्कि सतह पर बनी अनियमितताओं के कारण ऐसा प्रतीत हो रहा था।

यह भी पढ़ें
दुनिया भर में शार्क के पंखों के व्यापार से दो-तिहाई प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर पहुंची
ब्लैकटिप रीफ शार्क पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि कम पीएच वाले पानी में दांत ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए।

शार्क के लिए खतरे

पहली नजर में लगता है कि दांतों पर बनी ये अनियमितताएं शार्क को काटने में और मदद कर सकती हैं, क्योंकि ज्यादा दांतेदारपन से शिकार को चीरना आसान हो सकता है। लेकिन हकीकत यह है कि ऐसे दांत कमजोर और जल्दी टूटने वाले होते हैं।

शार्क को लगातार नए दांत मिलते रहते हैं, लेकिन अगर हर नए दांत की क्वालिटी ही गिर जाए, तो उनकी शिकारी क्षमता पर सीधा असर पड़ेगा। कमजोर दांतों के कारण शार्क शिकार पकड़ने में दिक्कत झेलेंगी, जिससे उनकी ऊर्जा जरूरतें पूरी नहीं होंगी।

यह भी पढ़ें
भारत में शार्क के मांस की खपत में भारी वृद्धि, खतरे की कगार पर प्रजातियां: अध्ययन
ब्लैकटिप रीफ शार्क पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि कम पीएच वाले पानी में दांत ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए।

इसके अलावा, अम्लीकरण का असर केवल दांतों तक सीमित नहीं रहेगा। कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि अम्लीय समुद्र में शार्क के अंडों का फूटना कम हो सकता है और उनकी घ्राण शक्ति (सूघने की क्षमता) भी प्रभावित हो सकती है। अगर ऐसा हुआ, तो शार्क को शिकार ढूंढने में कठिनाई होगी।

समुद्र के संतुलन पर असर

शार्क केवल डरावने शिकारी नहीं हैं, बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी का अहम हिस्सा हैं। वे छोटी मछलियों और कमजोर जीवों को खाकर समुद्र में संतुलन बनाए रखती हैं। अगर शार्क कमजोर पड़ गई, तो पूरा खाद्य जाल बिगड़ सकता है। इससे प्रवाल भित्तियों से लेकर छोटी मछलियों और अंततः इंसानों तक पर असर पड़ेगा।

आज तक किसी ने “शार्क के लिए डेंचर” बनाने के बारे में नहीं सोचा था, क्योंकि उनकी प्रकृति ने उन्हें दांत बदलने की अनोखी क्षमता दी है। लेकिन अगर समुद्री अम्लीकरण बढ़ता रहा, तो भविष्य में वैज्ञानिकों को ऐसे अनोखे विचारों पर भी काम करना पड़ सकता है।

यह भी पढ़ें
अमेरिका में पहली बार मिली शार्क की दो प्रजातियां, इनमें से एक होने वाली है लुप्त
ब्लैकटिप रीफ शार्क पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि कम पीएच वाले पानी में दांत ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए।

असल समाधान है कार्बन उत्सर्जन को कम करना और समुद्र को और ज्यादा खट्टा होने से बचाना। अगर हम ऐसा नहीं कर पाए, तो शार्क जैसे शक्तिशाली जीव भी अपने सबसे बड़े हथियार दांत से वंचित हो सकते हैं।

यह शोध हमें याद दिलाता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव केवल तापमान या मौसम तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह पूरी खाद्य श्रृंखला और समुद्री जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए समुद्र और धरती दोनों को बचाने के लिए इंसानों को अपनी जिम्मेदारी निभानी ही होगी।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in