बनते बिगड़ते जलवायु रिकॉर्ड: अप्रैल में लगातार ग्यारहवें महीने बढ़ते तापमान ने रचा इतिहास

वैश्विक स्तर पर बढ़ता तापमान अपने साथ जाने-अनजाने खतरे भी ला रहा है, जो भारत सहित पूरी दुनिया के लिए नई चुनौतियां पैदा कर रहे हैं
भीषण गर्मी के बीच अपने बच्चे को सूरज की तपिश से बचाने की कोशिश करती मां; फोटो: आईस्टॉक
भीषण गर्मी के बीच अपने बच्चे को सूरज की तपिश से बचाने की कोशिश करती मां; फोटो: आईस्टॉक
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समय के साथ बढ़ता तापमान नित नए रिकॉर्ड बना रहा है। यही वजह है कि जलवायु रिकॉर्ड बड़ी तेजी से बन-बिगड़ रहे हैं। ऐसा ही कुछ गत अप्रैल में भी देखने को मिला है जब जलवायु इतिहास में दर्ज अब तक का सबसे गर्म अप्रैल दर्ज किया गया।

बढ़ते तापमान से जुड़े आंकड़ों को देखें तो इस साल अप्रैल में दर्ज तापमान औद्योगिक काल से पहले के औसत तापमान से 1.58 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर अप्रैल 2024 में सतह के पास हवा का औसत तापमान 15.03 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो 1991 से 2020 के बीच अप्रैल में दर्ज औसत तापमान से 0.67 डिग्री सेल्सियस अधिक है। देखा जाए तो वैश्विक स्तर पर बढ़ता तापमान अपने साथ जाने-अनजाने खतरे भी ला रहा है, जो भारत सहित पूरी दुनिया के लिए नई चुनौतियां पैदा कर रहे हैं

इससे पहले अब तक के सबसे गर्म अप्रैल होने का यह रिकॉर्ड अप्रैल 2016 के नाम दर्ज था। लेकिन इस साल अप्रैल में बढ़ते तापमान ने उसे भी 0.14 डिग्री सेल्सियस से पीछे छोड़ दिया है। इसकी पुष्टि यूरोप की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में की है।

आंकड़ों की मानें तो यह लगातार ग्यारहवां महीना है जब बढ़ते तापमान ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। बता दें कि जून 2023 से लगातार हर महीने ने बढ़ते तापमान के मामले में अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज किया है। इस दौरान कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा जब तापमान शिखर पर न पहुंचा हो।

भारत पर भी भारी पड़ रहा बढ़ता तापमान

2024 में भी अब तक कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा जब बढ़ते तापमान ने एक नया कीर्तिमान न बनाया हो। बता दें कि जहां मार्च 2024 में तापमान सामान्य से 1.68 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। इसी तरह फरवरी 2024 में तापमान 1.4 डिग्री सेल्सियस, जबकि जनवरी 2024 में सामान्य से 1.66 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रिकॉर्ड किया गया था। देखा जाए तो बढ़ते तापमान के यह आंकड़े इस बात के गवाह है कि हमारा ग्रह बड़ी तेजी से गर्म हो रहा है, जिसके प्रभाव भारत सहित पूरी दुनिया में महसूस किए जा रहे हैं।

यही वजह है कि कहीं जरूरत से ज्यादा बारिश पड़ रही है तो, कहीं सूखा पड़ रहा है। कहीं सूखे के बाद अचानक से बाढ़ आ जाती है। भारत में तो यह समस्या किस कदर विकट हो चुकी है कि बसंत का पूरा सीजन ही लगभग गायब होने को है।

इसी तरह यदि मई 2023 से अप्रैल 2024 के बीच पिछले 12 महीनों को देखें तो उस दौरान भी तापमान ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। इस अवधि के दौरान दर्ज औसत तापमान समान अवधि में औद्योगिक काल से पहले के औसत तापमान से 1.61 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है। इसी तरह इसकी तुलना यदि 1991 से 2020 के बीच दर्ज औसत तापमान से करें तो वो 0.73 डिग्री सेल्सियस ऊपर है।

नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने भी अपनी हालिया रिपोर्ट में इस बात की 55 फीसदी आशंका जताई है कि 2024 जलवायु रिकॉर्ड का अब तक का सबसे गर्म साल होगा। वहीं इस बात की 99 फीसदी आशंका है कि 2024 अब तक के पांच सबसे गर्म वर्षों में शुमार होगा।

अप्रैल 2024 के दौरान यूरोप में दौर औसत तापमान भी औद्योगिक काल से पहले के औसत तापमान की तुलना 1.49 डिग्री सेल्सियस अधिक है। जो इसे यूरोप का अब तक का दूसरा सबसे गर्म अप्रैल बनाता है।

यूरोप की तरह ही उत्तरी अमेरिका के उत्तर और उत्तरपूर्वी हिस्सों के साथ-साथ, ग्रीनलैंड, पूर्वी एशिया, उत्तर-पश्चिमी मध्य पूर्व, दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों और अफ्रीका के अधिकांश क्षेत्रों में तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा गर्म रहा। एक तरफ जहां पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो कमजोर पड़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद समुद्री हवा का औसत तापमान असामान्य रूप से गर्म बना हुआ है।

अप्रैल 2024 के दौरान तापमान में सबसे बड़ा बदलाव पश्चिमी रूस, पूर्वी यूक्रेन और तुर्की में देखा गया, जहां कुछ स्थानों पर तो बढ़ते तापमान में सात डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि दर्ज की गई। जहां दो अप्रैल को मॉस्को ने 1951 में बनाए दैनिक तापमान के रिकॉर्ड तोड़ दिया, जो 23.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इसी तरह दक्षिण पूर्व यूरोप, दक्षिणी इटली के कुछ हिस्सों में तापमान औसत से ज्यादा था। हालांकि इस दौरान कुछ क्षेत्रों में तापमान औसत से कहीं ज्यादा कम रहा।

इनमें स्वीडन विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, जहां वेस्टरबोटन में अप्रैल में तापमान -32.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। जो 1955 के बाद एक नया रिकॉर्ड है।

इस दौरान दक्षिण और पूर्वी एशिया लू और भीषण गर्मी से आहत रहे। बढ़ती गर्मी और लू का कहर इस कदर हावी रहा कि फिलीपींस और दक्षिण सूडान में इसकी वजह से स्कूलों को बंद कर देना पड़ा। इसी तरह बांग्लादेश में भी भीषण गर्मी की वजह से स्कूलों को बंद करने का आदेश देना पड़ा। बांग्लादेश मौसम विभाग ने भी जानकारी दी है कि अप्रैल 2024 का महीना अब तक का सबसे गर्म अप्रैल था। म्यांमार से लेकर फिलीपींस तक कई देशों में तो तापमान रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है।

फिलीपीन्स में भी बढ़ती गर्मी के चलते अप्रैल में स्कूलों को बंद कर दिया गया था। फिलीपींस की राजधानी मनीला में 27 अप्रैल 2024 को तापमान 38.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। ऐसा ही कुछ हाल थाईलैंड का भी रहा, जहां देश के उत्तरी क्षेत्रों में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। वहीं राजधानी बैंकाक में भी तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

मीडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक दक्षिण सूडान में पारा 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की आशंका को देखते हुए स्कूलों को दो सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया था, जिसकी वजह से 22 लाख बच्चे प्रभावित हुए थे।

अप्रैल में इजराइल भी लू और भीषण गर्मी से झुलस रहा था। इजराइल मौसम विज्ञान सेवा (आईएमएस) का कहना है कि 25 अप्रैल 2024 को ग्रेटर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में पिछले 85 वर्षों में अप्रैल का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया। इजराइल के तटीय शहर तेल अवीव में उस दौरान तापमान 40.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इससे पहले 1939 में वहां इतना तापमान दर्ज किया गया था।

अप्रैल में दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में तापमान औसत से ऊपर रहा। महीने की शुरुआत साहेल क्षेत्र में भीषण गर्मी से हुई, विशेष रूप से मोरक्को में तापमान कहीं ज्यादा गर्म रहा, जो कहीं न कहीं पड़ रहे सूखे की भी दें था।

भारतीय मौसम विभाग ने भी जानकारी दी है कि 1901 के बाद से पूर्वी भारत के लिए यह अब तक का सबसे गर्म अप्रैल का महीना था, जब तापमान 28.12 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। पश्चिम बंगाल में पिछले 15 वर्षों के दौरान अप्रैल 2024 में सबसे ज्यादा लू वाले दिन दर्ज किए थे। इसी तरह ओडिशा में भी अप्रैल के दौरान गर्मी की स्थिति पिछले नौ वर्षों में सबसे खराब रही।

भविष्य में गंभीर परिणामों के लिए रहें तैयार

इसकी वजहों की बात करें तो कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के मुताबिक एक तरफ वैश्विक तापमान में होती वृद्धि और कमजोर पड़ते अल नीनो के मिले जुले प्रभाव का असर है कि दुनिया ने अब तक के सबसे गर्म अप्रैल का सामना किया है।

ऐसा नहीं है कि बढ़ता तापमान केवल धरती को ही झुलसा रहा है। इससे समुद्र का पानी भी उबल रहा है। यदि समुद्र की सतह के तापमान से जुड़े आंकड़ों को देखें तो अप्रैल में उसका तापमान 21.04 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। जो अब तक अप्रैल के दौरान दर्ज समुद्र के तापमान से कहीं ज्यादा है।

यह लगातार तेरहवां महीना है जब महीने दर महीने समुद्र की सतह के बढ़ते तापमान ने नया रिकॉर्ड बनाया है। हालांकि यह पिछले महीने मार्च 2024 के दौरान समुद्र की सतह के तापमान से मामूली रूप से कम है।

बता दें कि 2015 में पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में देशों ने बढ़ते तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित रखने के लक्ष्य पर सहमति जताई थी, ताकि जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान के विनाशकारी परिणामों से बचा जा सके। गौरतलब है कि अब तक के सबसे गर्म साल होने का रिकॉर्ड 2023 के नाम दर्ज है। जब साल का बढ़ता तापमान बीसवीं सदी के वैश्विक औसत से 1.18 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था।

यदि मानवता ऐसा कर पाने में सफल होती है तो न केवल बाढ़, लू, भीषण गर्मी, तूफान, सूखा जैसी चरम मौसमी आपदाओं से बचाव होगा। साथ ही पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ते गंभीर प्रभावों को भी सीमित किया जा सकेगा।

हालांकि जिस तरह से वैश्विक तापमान में इजाफा हो रहा है, उसको देखते हुए इस बात की सम्भावना बेहद कम है कि मानवता इस लक्ष्य को हासिल कर पाएगी। ऐसे में यदि हमें इस लक्ष्य के आसपास भी रहना है तो बढ़ते उत्सर्जन में भारी कटौती करनी होगी।

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