जलवायु संकट: जलवायु रिकॉर्ड का चौथा सबसे गर्म अक्टूबर इस साल 2022 में किया गया दर्ज

इस साल अक्टूबर में तापमान सामान्य से 0.89 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है। देखा जाए तो पिछले 46 वर्षों में कोई भी अक्टूबर ऐसा नहीं रहा जब तापमान औसत से नीचे दर्ज किया गया हो
जलवायु संकट: जलवायु रिकॉर्ड का चौथा सबसे गर्म अक्टूबर इस साल 2022 में किया गया दर्ज
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हमारी धरती तेजी से गर्म हो रही है और इसका एक और नया सबूत सामने आया है। जब जलवायु इतिहास का चौथा सबसे गर्म अक्टूबर इस साल 2022 में दर्ज किया गया है।

नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) द्वारा जारी नई रिपोर्ट के हवाले से पता चला है कि इस साल अक्टूबर के महीने में औसत तापमान बीसवीं सदी के औसत तापमान से 0.89 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है, जो उसे इतिहास का चौथा सबसे गर्म अक्टूबर का महीना बनाता है। गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर अक्टूबर में 20वीं सदी का औसत तापमान 14 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।

हमारी दुनिया किस कदर तेजी से गर्म हो रही है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि यह लगातार 46वां अक्टूबर का महीना है जब औसत तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से ज्यादा दर्ज किया गया है। मतलब कि पिछले 46 वर्षों से कभी भी अक्टूबर का औसत तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से नीचे नहीं गया है।

इससे पहले अक्टूबर 1976 में तापमान में होती वृद्धि में कमी दर्ज की गई थी। इसी तरह यदि जनवरी से दिसंबर सभी 12 महीनों की बात करें तो यह लगातार 454वां महीना है जब तापमान औसत से ज्यादा दर्ज किया गया है।

वहीं यदि उत्तरी गोलार्ध की बात करें तो उसने अब तक के अपने सबसे गर्म अक्टूबर का सामना किया, जोकि अक्टूबर 2015 से कुछ ही पीछे था। वहीं यूरोप के लिए यह अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर का महीना था। यदि अफ्रीका को देखें तो इस साल अक्टूबर का महीने तीसरा सबसे गर्म था, इससे पहले 2003 में भी अक्टूबर में इतना ही तापमान दर्ज किया गया था।

वहीं उत्तरी अमेरिका और एशिया ने इस साल अपने छठे सबसे गर्म अक्टूबर का सामना किया था। ओशिनिया ने 2016 के बाद अपने सबसे ठन्डे अक्टूबर के महीने का अनुभव किया। इसी तरह पिछले 128 वर्षों के इतिहास में अमेरिका में तीसरा सबसे गर्म अक्टूबर का महीना दर्ज किया गया।

जलवायु रिकॉर्ड के मुताबिक इससे पहले 2015 में इतिहास का सबसे गर्म अक्टूबर दर्ज किया गया था, जब तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। वहीं अक्टूबर 2019 में दूसरा सबसे गर्म अक्टूबर दर्ज किया गया, जबकि 2018 में जलवायु इतिहास का तीसरा सबसे गर्म अक्टूबर सामने आया था जब तापमान सामान्य से 0.92 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था।

यदि चक्रवातों की बात करें तो इस साल अक्टूबर में 15 नामित तूफान दर्ज किए गए जो 1981 के बाद छठा मौका है जब इतने तूफान सामने आए। वहीं यदि ध्रुवों पर जमा बर्फ को देखें तो इस साल अक्टूबर में आर्कटिक ने अपनी आठवीं सबसे छोटी बर्फ की सीमा को देखा था, जबकि अंटार्कटिक में भी दूसरी बार सबसे कम बर्फ देखी गई। जोकि 1991 से 2020 के औसत की तुलना में करीब 8.2 लाख वर्ग किलोमीटर कम थी।

बीतते वक्त के साथ हर दिन बन रहे हैं नए जलवायु रिकॉर्ड

इसी तरह यदि पिछले महीने सितम्बर की बात करें तो वो रिकॉर्ड का पांचवा सबसे गर्म सितम्बर का महीना था जब तापमान सामान्य से 0.88 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया। वहीं अगस्त का महीना भी 143 वर्षों के रिकॉर्ड में छठा सबसे गर्म अगस्त का महीना था। जब तापमान अगस्त के सामान्य औसत तापमान से 0.9 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था।

यदि जुलाई 2022 की बात करें तो उस माह में तापमान सामान्य से 0.87 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था, जोकि उसे मानव इतिहास का छठा सबसे गर्म जुलाई बनाता है। इसी तरह जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई और जून 2022 में भी तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा दर्ज किया गया था।

यदि विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी डब्लूएमओ द्वारा जारी रिपोर्ट ‘द ग्लोबल एनुअल टू डिकेडल क्लाइमेट अपडेट’ ने भी इस बात की पुष्टि की है कि आने वाले समय में भी तापमान में होती वृद्धि इसी तरह जारी रहने की आशंका है।

एनओएए के अनुसार 2021 इतिहास का छठा सबसे गर्म वर्ष था, जब तापमान सामान्य से 0.84 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था। वहीं 2016 अब तक के सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज है जब तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से 0.99 डिग्री सेल्सियस था।

रिपोर्ट में इस बात की भी 93 फीसदी आशंका जताई है कि वर्ष 2022 से 2026 के बीच कोई एक साल ऐसा हो सकता है जो इतिहास के पन्नों में अब तक के सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज हो जाएगा। गौरतलब है कि 2015 में पैरिस समझौते के तहत 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य रखा गया था, जोकि देशों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने हेतु, ठोस जलवायु कार्रवाई का आहवान करता है, जिससे वैश्विक तापमान में होती वृद्धि को तय सीमा के भीतर रखा रखा जा सके।

गौरतलब है कि मिस्र के शर्म अल-शेख में जलवायु परिवर्तन पर चल रहे 27वें संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (कॉप 27) के दौरान वैश्विक नेता इसी बात पर मंथन कर रहे है कि कैसे बढ़ते तापमान को तय सीमा के अनुरूप रखा जा सके।

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