कोरोना से ज्यादा खतरनाक है जलवायु परिवर्तन: वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम

रिपोर्ट में पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं जैसे जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को हो रहे नुकसान को सबसे बड़ा खतरा माना है| यह ऐसी समस्याएं हैं जिनकी कोई वैक्सीन नहीं है
कोरोना से ज्यादा खतरनाक है जलवायु परिवर्तन: वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम
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दुनिया को सबसे ज्यादा खतरा पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं से है। यह जानकारी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा आज जारी ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2021 में सामने आई है। इस रिपोर्ट में दुनिया के सामने खड़े 10 सबसे बड़े खतरों को स्पष्ट किया है। इसमें पर्यावरण से जुड़े मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन, चरम मौसमी घटनाओं को सबसे आगे रखा गया है।

जिस तरह से कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है उसे देखते हुए इस रिपोर्ट में संक्रामक बीमारियों को भी इंसानों और व्यापार के लिए एक बड़े खतरे के रूप में बताया है। हालांकि यह बीमारी दुनिया भर में 20 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है, इसके बावजूद इस रिपोर्ट में पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं जैसे जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को हो रहे नुकसान को सबसे बड़ा खतरा माना है। यह ऐसी समस्याएं हैं जिनकी कोई वैक्सीन नहीं है।

यदि 10 सबसे बड़े खतरों की बात करें तो रिपोर्ट में चरम मौसमी घटनाओं को सबसे ऊपर रखा गया है। यह पहला मौका नहीं है जब उन्हें सबसे ऊपर रखा गया है, पिछले पांच वर्षों से इन्हें लगातार सबसे बड़े खतरे के रूप में माना जा रहा है। हाल ही में नासा ने 2020 को दुनिया के सबसे गर्म वर्ष माना है। जिस तरह से तापमान में वृद्धि हो रही है और जलवायु में परिवर्तन आ रहा है, साथ ही जिस तरह से हम इसे रोकने में नाकाम रहे हैं। उसके चलते बाढ़, सूखा, तूफान और अन्य आपदाओं का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है जो न केवल लोगों की जान ले रहा है साथ ही अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा बनता जा रहा है। ऐसे में इसे नजरअंदाज कैसे किया जा सकता है। यही वजह है कि इसके बाद जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रखा गया है।

कोरोना के रूप में दुनिया के सामने है एक बड़ी चुनौती

चौथे स्थान पर संक्रामक बीमारियों और पांचवे पर जैव विविधता को हो रहे नुकसान को रखा गया है। इसके बाद डिजिटल डिवाइड, साइबर सिक्योरिटी, राज्यों के बीच आपसी सम्बन्ध और अंत में रोजी-रोटी पर उपजे संकट को जगह दी गई है।

वहीं यदि प्रभाव की बात करें तो इसके आधार पर संक्रामक बीमारियों को सबसे बड़े खतरे के रूप में पेश किया गया है। इसके बाद जलवायु परिवर्तन को रोकने में विफलता, खतरनाक हथियारों, जैव विविधता को हो रहे नुकसान और पांचवे स्थान पर प्राकृतिक संसाधनों से जुड़े संकट को रखा गया है। यह सब स्पष्ट तौर पर दिखाते हैं कि पर्यावरण को हो रहा नुकसान आज दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। आज मानवता को जितना खतरा पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों से है उतना तो उसे एटम बम से भी नहीं है। 

रिपोर्ट के अनुसार आज दुनिया के सामने कोरोना एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहला मौका है जब इतने बड़े पैमाने पर मंदी का दौर सामने आया है, और इसके लिए कोरोना महामारी जिम्मेवार है। इसने ने केवल लाखों लोगों को अपना शिकार बनाया है, बल्कि साथ ही करोड़ों लोगों के जीवन को पूरी तरह तबाह कर दिया है। आज इससे अर्थव्यवस्था को जो नुकसान पहुंचा है उसका असर लम्बे समय तक बना रहेगा और उससे उबरने में कई साल लग जाएंगे।

इसके चलते समाज में विषमताएं बढ़ी हैं और  गरीबी उन्मूलन की दिशा में जो प्रगति हुई थी वो फिर से पुराने ढर्रे पर लौट गई है। रिपोर्ट के अनुसार बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, डिजिटल डिवाइड, साथ ही लम्बे समय तक जो आर्थिक ठहराव आया है वो अगले दो वर्षों में खतरे का कारण बन सकता है।

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