जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में 91 फीसदी तक बढ़ गया है जंगलों में आग का खतरा

जलवायु परिवर्तन से आग-प्रवण क्षेत्रों में हुई बढ़ोतरी, पारिस्थितिकी और मानव जीवन पर गंभीर प्रभाव की चेतावनी
जंगलों की आग से दक्षिण अफ्रीका, भूमध्यसागरीय क्षेत्र, उत्तरी एशिया, उत्तर-पूर्वी दक्षिण अमेरिका और उत्तर अमेरिका प्रमुख प्रभावित क्षेत्र हैं।
जंगलों की आग से दक्षिण अफ्रीका, भूमध्यसागरीय क्षेत्र, उत्तरी एशिया, उत्तर-पूर्वी दक्षिण अमेरिका और उत्तर अमेरिका प्रमुख प्रभावित क्षेत्र हैं।फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, भूमि प्रबंधन ब्यूरो
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सारांश
  • दुनिया भर में आग का खतरा बढ़ा: जलवायु परिवर्तन के कारण 91 फीसदी आग-प्रवण क्षेत्रों में भविष्य में खतरा बढ़ सकता है।

  • नई आग-प्रवण क्षेत्र: खतरे अब उन क्षेत्रों में भी फैल रहा है जहां पहले कभी जंगल की आग का खतरा नहीं था।

  • सबसे प्रभावित क्षेत्र: दक्षिण अफ्रीका, भूमध्यसागरीय क्षेत्र, उत्तरी एशिया, उत्तर-पूर्वी दक्षिण अमेरिका और उत्तर अमेरिका प्रमुख प्रभावित क्षेत्र हैं।

  • उच्च उत्सर्जन का प्रभाव: यदि उत्सर्जन अधिक रहे, तो कई क्षेत्रों में आग का खतरा इतिहास में अत्यंत दुर्लभ (एक फीसदी से कम) परिस्थितियों के बराबर हो सकता है।

  • नीति और तैयारी की जरूरत: अध्ययन दर्शाता है कि विज्ञान और नीति मिलकर जंगलों और समुदायों की सुरक्षा के लिए पूर्व-सक्रिय कदम उठाना आवश्यक है।

हाल ही में सीएमसीसी और कॉवेंट्री यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन ने एक गंभीर चेतावनी दी है। इस अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में दुनिया भर में जंगलों और अन्य आग-प्रवण क्षेत्रों में आग लगने का खतरा नाटकीय रूप से बढ़ सकता है। शोध में यह बताया गया है कि इस सदी के अंत तक लगभग 91 फीसदी आग-प्रवण क्षेत्रों में खतरा बढ़ जाएगा।

आग का खतरा अब सीमित क्षेत्रों तक नहीं

पहले जंगलों में आग का खतरा उन क्षेत्रों तक ही सीमित था, जो प्राकृतिक रूप से आग के लिए संवेदनशील थे। लेकिन शोध में यह पाया गया है कि अब यह खतरा उन क्षेत्रों में भी फैल सकता है, जहां पहले कभी आग का खतरा नहीं था।

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जंगलों की आग से दक्षिण अफ्रीका, भूमध्यसागरीय क्षेत्र, उत्तरी एशिया, उत्तर-पूर्वी दक्षिण अमेरिका और उत्तर अमेरिका प्रमुख प्रभावित क्षेत्र हैं।

शोध पत्र में सीएमसीसी के शोधकर्ता के हवाले स कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण जंगलों में आग का खतरा बढ़ रहा है। इसका मतलब यह है कि यह समस्या अब सिर्फ स्थानीय या दूर की नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक चुनौती बन गई है।

कौन से क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होंगे?

शोध में जिन क्षेत्रों में आग का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ने के आसार हैं, दक्षिण अफ्रीका, भूमध्यसागरीय क्षेत्र, उत्तरी एशिया, उत्तरी दक्षिणी अमेरिका, उत्तर अमेरिका के कुछ हिस्से उनमें शामिल हैं।

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जंगलों की आग से दक्षिण अफ्रीका, भूमध्यसागरीय क्षेत्र, उत्तरी एशिया, उत्तर-पूर्वी दक्षिण अमेरिका और उत्तर अमेरिका प्रमुख प्रभावित क्षेत्र हैं।

विशेष रूप से अगर जलवायु परिवर्तन की स्थिति नियंत्रित न हुई और उच्च उत्सर्जन परिदृश्य लागू होता है, तो इन क्षेत्रों में आग का खतरा इतिहास में बहुत कम (एक फीसदी से कम) होने वाली स्थितियों के बराबर हो सकता है।

शोध के प्रमुख निष्कर्ष और प्रभाव

जर्नल ऑफ क्लाइमेट में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण जंगलों में आग का खतरा केवल कुछ देशों या सीमित क्षेत्रों तक नहीं रहेगा। इसका असर वैश्विक स्तर पर होगा और यह जीविका, पारिस्थितिकी और समुदायों की सुरक्षा पर गहरा असर डाल सकता है।

शोध में कॉवेंट्री यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक के हवाले से कहा गया है कि, यह जरूरी है कि विज्ञान नीति और योजना बनाने में मदद करे, ताकि हम जंगलों और समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।

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यह शोध भविष्य में आग के खतरे का अधिक विश्वसनीय अनुमान प्रदान करता है। इससे नीति निर्माताओं को लंबी अवधि की जलवायु अनुकूलन रणनीति और भूमि प्रबंधन योजना बनाने में मदद मिलेगी।

जागरूकता और तैयारी की जरूरत

शोध से यह स्पष्ट होता है कि जंगलों में आग का खतरा बढ़ना केवल प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध मानव गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन से है। इसलिए आवश्यक है कि देशों और समुदायों द्वारा पूर्व-सक्रिय उपाय किए जाएं।

इन उपायों में शामिल हो सकते हैं:

  • जंगलों और संवेदनशील क्षेत्रों की नियमित निगरानी

  • आग बुझाने की तकनीक और संसाधनों को मजबूत करना

  • स्थानीय समुदायों में जागरूकता बढ़ाना

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भूमि और जंगलों का सतत प्रबंधन

दुनिया भर में जंगलों और अन्य आग-प्रवण क्षेत्रों में आग का खतरा बढ़ रहा है। यह खतरा अब उन क्षेत्रों तक भी फैल रहा है जहां पहले कभी आग का जोखिम कम था। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और समाज व पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाना आवश्यक है।

शोध इस बात पर जोर देता है कि जलवायु विज्ञान और नीति निर्माण के बीच मजबूत संपर्क आवश्यक है, ताकि हम आग के जोखिम को कम कर सकें और भविष्य के लिए तैयार रह सकें।

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