चक्रवात के साथ आने वाली तेज हवाएं और मूसलाधार बारिश पारिस्थितिक तंत्र को जबरदस्त नुकसान पहुंचाती है। इस तरह के नुकसान भविष्य में जंगलों को आग की चपेट में ले सकती है। जैसा कि दुनिया भर में तीव्र चक्रवातों के अधिक लगातार होने का अनुमान है। शोधकर्ताओं की एक टीम ने चक्रवात और जंगल की आग के बीच संबंधों की जांच की, कि वे एक दूसरे को कैसे ईंधन देते हैं।
प्रमुख अध्ययनकर्ता थॉमस इबनेज कहते हैं कि वर्षावन, नमी वाले होते हैं, जो उन्हें आग के प्रति प्रतिरोधी बनाता है। लेकिन जब वे चक्रवातों से जूझते हैं, तो यह उनमें आग के फैलने को बढ़ा सकता है। आग लगने के लिए, तीन चीजों की आवश्यकता होती है, जलने के लिए ईंधन, पर्याप्त सूक्ष्म जलवायु और आग का स्रोत। चक्रवात इन तीनों तत्वों को प्रभावित कर सकता है। थॉमस इबनेज फ्रेंच नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट में एक प्लांट इकोलॉजिस्ट हैं।
चक्रवात ऐसे तूफान होते हैं जो दक्षिण प्रशांत या हिंद महासागर में उत्पन्न होते हैं और अटलांटिक में तूफान या उत्तर पश्चिमी प्रशांत में आंधी की तरह, वे भारी बारिश, तूफान की लहरें और तूफानी हवाएं पैदा करते हैं।
खतरनाक चक्रवातों में 200 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति वाली तूफानी हवाएं हो सकती हैं, जो जंगलों को नुकसान पहुंचा सकती हैं और उन्हें जंगल की आग के लिए अहम बना सकती हैं।
इबनेज कहते हैं कि जब चक्रवात के कारण हवा चलती है, तो यह पेड़ों को नुकसान पहुंचाती है, बहुत सारी पत्तियों, टहनियों, शाखाओं को जमीन पर गिरा देती है, जो भविष्य की आग के लिए बहुत अच्छा ईंधन बनते हैं। घास या झाड़ियां आग के लिए अच्छे ईंधन का काम करती हैं।
चक्रवात भी परोक्ष रूप से मानवजनित आग की घटनाओं को बढ़ा सकते हैं, जंगलों में कृषि करने के लिए स्थान प्रदान कर सकते हैं। इबनेज कहते हैं, यह घटना आम है जहां लोग आजीविका के लिए कृषि या वन संसाधनों पर निर्भर हैं। चक्रवात के बाद, क्षतिग्रस्त जंगलों को जला दिया जाता है ताकि नई फसलें लगाने और वन संसाधनों तक आसान पहुंच बनाई जा सके।
चक्रवात न केवल आग की आशंका को बढ़ाते हैं, बल्कि आग उन तरीकों को भी बदल सकती है जो चक्रवात जंगलों को प्रभावित करते हैं। इबनेज कहते हैं बेशक, आग सीधे चक्रवातों की संभावना को प्रभावित नहीं कर सकती है, क्योंकि चक्रवात महासागरों से उत्पन्न होते हैं, लेकिन वे चक्रवातों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र की प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
कुछ क्षेत्रों में जहां ऐतिहासिक रूप से मजबूत चक्रवात और आग लगने की घटनाएं हुई हैं, जो भूमि को बनाए रखने का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं। इबनेज कहते हैं, अधिक चक्रवात वाले क्षेत्रों में, ऐसे पारिस्थितिक तंत्र भी होते हैं जो लगातार चक्रवात और आग के अनुकूल होते हैं।
इन गड़बड़ियों के परस्पर प्रभाव वास्तव में मूल और प्रजातियों से समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखती है। इन पारिस्थितिक तंत्रों में, मानव गतिविधियां जो आग को बढ़ा सकती हैं, जैसे भूमि उपयोग में बदलाव और आग, पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को खतरे में डाल सकती हैं और जैव विविधता को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
लेकिन, जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन से चक्रवात जैसी चरम मौसम की घटनाओं की तीव्रता बढ़ती है और तापमान में वृद्धि जारी रहती है, तूफानों के उन स्थानों तक पहुंचने के आसार हैं जहां वे पहले नहीं पहुंचते थे।
उन्होंने कहा हम बेहतर ढंग से समझना चाहेंगे कि यह घटना इलाके के अनुसार कैसे बदलती है। हम तब जलवायु परिवर्तन के साथ पूर्वानुमान लगाते हैं कि इन बदलावों से किन जगहों के प्रभावित होने के अधिक आसार हैं।
वैश्विक परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि पारिस्थितिक तंत्र को केवल एक गड़बड़ी का सामना नहीं करना पड़ता है, बल्कि इनमें कई गड़बड़ियों का मिश्रण होता है और नई गड़बड़ी के परस्पर असर के परिणामस्वरूप अप्रत्याशित प्रभाव हो सकते हैं। यह शोध ट्रेंड्स इन प्लांट साइंस में प्रकाशित हुआ है।