

बढ़ती गर्मी बच्चों के मानसिक विकास को धीमा कर रही है।
अध्ययन से पता चला है कि 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में बच्चे पढ़ाई और गिनती जैसे बुनियादी कौशल में पीछे रह जाते हैं।
यह प्रभाव विशेष रूप से गरीब परिवारों के बच्चों में अधिक देखा गया है, जो जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों की ओर इशारा करता है।
क्या बढ़ती गर्मी बच्चों का बचपन छीन रही है? नई रिसर्च से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन अब सिर्फ पर्यावरण या सेहत की चुनौती नहीं रहा। इसका असर अब नन्हे दिमागों तक पहुंच चुका है और उनकी सीखने की क्षमता को कमजोर कर रहा है। इसका असर बच्चों के शुरूआती विकास पर भी पड़ रहा है।
द जर्नल ऑफ चाइल्ड साइकोलॉजी एंड साइकियाट्री में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया है कि जिन इलाकों में तापमान सामान्य से ज्यादा रहता है, खासतौर पर जब औसत अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है, तो उन क्षेत्रों तीन और चार साल के बच्चे पढ़ने और गिनती जैसे बुनियादी कौशल सीखने में पीछे रह जाते हैं।
यह अध्ययन न्यूयार्क यूनिवर्सिटी, इंटरअमेरिकन डेवलपमेंट बैंक और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता जॉर्ज क्वार्तस का इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति में कहना है, "अब तक गर्मी को शारीरिक और मानसिक सेहत से जोड़ा जाता रहा है, लेकिन यह अध्ययन दर्शाता है कि ज्यादा गर्मी छोटे बच्चों के विकास को भी नुकसान पहुंचाती है।
बचपन का शुरूआती विकास ही जीवन भर की सीख, सेहत और बेहतर जिंदगी की नींव होता है। ऐसे में नतीजे चेताते हैं कि गर्म होती दुनिया में बच्चों की रक्षा करना बेहद जरूरी है।“
छह देशों के 20 हजार बच्चों पर किया गया अध्ययन
अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने गाम्बिया, जॉर्जिया, मेडागास्कर, मलावी, फिलिस्तीन और सिएरा लियोन के 19,607 बच्चों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इन बच्चों की उम्र तीन से चार साल थी। इन देशों में बच्चों के विकास, पारिवारिक स्थिति और मौसम से जुड़े विस्तृत आंकड़े उपलब्ध थे।
बढ़ते तापमान में बच्चों के विकास को परखने के लिए लिए शोधकर्ताओं ने ‘अर्ली चाइल्डहुड डेवलपमेंट इंडेक्स’ की भी मदद ली है। यह इंडेक्स चार क्षेत्रों में बच्चों की बुनियादी प्रगति को मापता है। इनमें साक्षरता और संख्यात्मक कौशल, सामाजिक-भावनात्मक विकास, सीखने का तरीका और शारीरिक विकास शामिल हैं।
साथ ही अध्ययन में 2017 से 2020 के ‘मल्टीपल इंडिकेटर क्लस्टर सर्वे’ के आंकड़ों को भी शामिल किया गया, जिनमें शिक्षा, सेहत, पोषण और साफ-सफाई जैसी जानकारियां होती हैं। इन सभी आंकड़ों को औसत मासिक तापमान के मौसम सम्बन्धी आंकड़ों से जोड़कर यह देखा गया कि क्या ज्यादा गर्मी और बच्चों के शुरुआती विकास के बीच कोई संबंध है।
क्या दर्शाते हैं नतीजे
अध्ययन में पाया गया कि जिन बच्चों को औसतन 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान में रहना पड़ता है, वे उसी इलाके या उससे ठंडी जगहों (करीब 26 डिग्री से कम) में रहने वाले बच्चों की तुलना में पढ़ने और गिनती सीखने जैसे बुनियादी लक्ष्य हासिल करने में 5 से सात फीसदी पीछे थे।
यह असर खासतौर पर गरीब परिवारों के बच्चों, जिनके घरों में साफ पानी की कमी है, और शहरी इलाकों में रहने वाले बच्चों में अधिक देखा गया।
शोधकर्ता जॉर्ज क्वार्तस का कहना है, "हमें तुरंत यह समझने के लिए और शोध करने की जरुरत है कि गर्मी बच्चों को कैसे प्रभावित करती है और किन वजहों से कुछ बच्चे ज्यादा असुरक्षित हो जाते हैं। तभी हम ऐसी नीतियां और कदम उठा पाएंगे जो जलवायु संकट के दौर में बच्चों को सुरक्षित और मजबूत बना सकें।“
अध्ययन इस बात का स्पष्ट संकेत देता है कि धरती का बढ़ता तापमान सिर्फ भविष्य की समस्या नहीं, यह आज हमारे बच्चों के वर्तमान और आने वाले कल की नींव को कमजोर कर रहा है। ऐसे में अगर दुनिया को गर्म होने से नहीं रोका गया, तो इसका सबसे गहरा असर उन नन्हे दिमागों पर पड़ेगा, जिन के नाजुक कन्धों पर आने वाले कल का भविष्य टिका है।