सुप्रीम कोर्ट ने ग्रैप के क्रियान्वयन और खेत में जलती आग के आंकड़ों पर तत्काल कार्रवाई के दिए आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में ग्रैप-IV का तत्काल सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं
धान की पराली जलाने का चलन मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में है।
धान की पराली जलाने का चलन मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में है। फोटो साभार: सीएसई
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18 नवंबर, 2024 को एमिकस क्यूरी ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि स्थिर उपग्रह (स्टेशनरी सेटेलाइट) और ध्रुवीय उपग्रहों (पोलर ओर्बिटिंग सेटेलाइट) द्वारा एकत्र किए आंकड़ों में अंतर होता है। मामला खेतों में लगी आग से जुड़ा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पोलर ओर्बिटिंग सेटेलाइट से जुड़े आंकड़ों पर भरोसा करता है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, नासा के उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग करता है। यह उपग्रह दिन में दो बार, सुबह 10:30 बजे और दोपहर 1:30 बजे एनसीआर क्षेत्र से गुजरते हैं। इसका मतलब है कि वे केवल इस समय अवधि के दौरान ही खेतों में लगने वाली आग को पकड़ पाते हैं।

नासा से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिक हिरेन जेठवा से प्राप्त जानकारी के आधार पर एमिकस क्यूरी ने बताया है कि दक्षिण कोरियाई उपग्रह, जियो-कॉमसेट 2ए ने शाम 4:20 पर खेतों में लगी आग को कैप्चर किया है।

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धान की पराली जलाने का चलन मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आयोग को निर्देश दिया है कि वे दक्षिण कोरियाई स्थिर उपग्रह या इसी तरह के अन्य स्टेशनरी सैटेलाइट से आंकड़ों को प्राप्त करने की तत्काल व्यवस्था करें। इससे पूरे दिन खेतों में लगी आग से जुड़े आंकड़ों को राज्यों को उपलब्ध कराया जा सकेगा। ऐसे में इन आंकड़ों की मदद से राज्य तत्काल कार्रवाई कर सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर क्षेत्र की सभी राज्य सरकारों को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के चरण IV का तुरंत सख्ती से लागू करने के निर्देश भी दिए हैं। अदालत ने सरकारों से चरण IV के तहत की गई कार्रवाइयों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द टीमें बनाने को कहा है।

अदालत ने कहा है कि केंद्र सरकार और एनसीआर क्षेत्र की सभी राज्य सरकारों को चरण IV के खंड 5, 6, 7 और 8 में सूचीबद्ध कार्रवाइयों पर तुरंत फैसला लेना होगा। साथ ही उन्होंने क्या निर्णय लिए उसपर अपनी रिपोर्ट 22 नवंबर, 2024 से पहले कोर्ट में सबमिट करनी होगी। 

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बता दें कि ग्रैप का तीसरा चरण तब लागू किया जाता है जब दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में यानी एक्यूआई 401 से 450 के बीच होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 13 नवंबर, 2024 को आयोग द्वारा गठित समिति की बैठक के दिन सूचकांक पहले ही 401 को पार कर गया था।

एमिकस क्यूरी ने अदालत को जानकारी दी है कि 12 नवंबर 2024 को एक्यूआई 400 के पार पहुंच गया था। हालांकि, ग्रैप के तीसरे चरण को तुरंत लागू करने के बजाय, आयोग ने इसे 14 नवंबर तक के लिए टाल दिया। गंभीर वायु गुणवत्ता के लिए चरण IV लागू करने में भी यही देरी हुई।

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अदालत ने आयोग के फैसले पर भी उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, "आयोग द्वारा अपनाया दृष्टिकोण ऐसा प्रतीत होता है कि वो वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार का इंतजार कर रहा था। इसलिए ग्रैप के तीसरे और चौथे चरण को लागू करने में देरी हुई।"

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच का कहना है कि जब एक्यूआई के सीमा पार करने की आशंका हो तो आयोग को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। एक्यूआई में सुधार का इंतजार किए बिना उसे ग्रैप के तीसरे और चौथे चरण को तत्काल लागू कर देना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और एनसीआर क्षेत्र की अन्य सभी राज्य सरकारों से शिकायत निवारण तंत्र बनाने के भी निर्देश दिए हैं, ताकि आम लोग ग्रैप के चौथे चरण के दौरान लागू प्रतिबंधों के उल्लंघन के बारे में शिकायत दर्ज कर सकें।

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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर एक्यूआई 450 से नीचे चला जाता है, तब भी ग्रैप का चौथा चरण जारी रहेगा, जब तक कोर्ट आगे कोई आदेश नहीं देता। केंद्र सरकार और एनसीआर क्षेत्र की सभी राज्य सरकारों को 21 नवंबर, 2024 तक इस मामले में उठाए कदमों के बारे में अपना हलफनामा अदालत के सामने प्रस्तुत करना होगा।

गौरतलब है कि याचिका यह जांचने के लिए सूचीबद्ध की गई थी कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा सितंबर 2024 में एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों के लिए प्रकाशित ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) को किस प्रकार क्रियान्वित किया जा रहा है।

भारत में वायु गुणवत्ता के बारे में ताजा जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।

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