
देश में बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों में स्थिति कहीं ज्यादा खराब है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 31 मार्च 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में मेघालय के छोटे से शहर बर्नीहाट की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 252 रिकॉर्ड किया गया है।
प्रदूषण के मामले में आज पश्चिम बंगाल का शहर सिलीगुड़ी दूसरे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 236 रिकॉर्ड किया गया है। इसी तरह 228 अंकों के साथ कुंजेमुरा तीसरे स्थान पर है।
चंद्रपुर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 225 रिकॉर्ड किया गया है। चंद्रपुर देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में से चौथे स्थान पर है। वहीं देश में रामनगर (217) पांचवें जबकि बारबिल (216) छठे स्थान पर बना हुआ है। इसी तरह गुवाहाटी (216) सातवें स्थान पर बना हुआ है। इसी तरह प्रदूषण के मामले में आसनसोल, पूर्णिया, और बक्सर भी देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं।
आंकड़ों पर नजर डालें तो देश के आठ शहरों में हवा खराब बनी हुई है, वहीं कल इन शहरों की गिनती छह रिकॉर्ड की गई थी। मतलब की कल से देश में 'खराब' हवा वाले शहरों की गिनती में 33 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। आंकड़ों में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि देश में बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों में स्थिति कहीं ज्यादा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां 22 अंकों के इजाफे के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 160 पर पहुंच गया। कुछ ऐसी ही स्थिति फरीदाबाद की भी है, जहां एक्यूआई 16 अंकों के इजाफे के साथ 166 पर पहुंच गया है। मतलब की इन दोनों शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है।
दिल्ली-फरीदाबाद की तरह ही देश के 126 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में धौलपुर, धुले, डिंडीगुल, डूंगरपुर, दुर्गापुर, गंगटोक, गया, गाजियाबाद, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, ग्वालियर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जलगांव, जलना, जालौर, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कल्याण, करौली, काशीपुर, कटिहार, कटनी, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मालेगांव, मंडीदीप, मंगुराहा, मिलुपारा, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, नोएडा, पाली, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, पुणे, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, सहरसा आदि शहर शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस बनी हुई है।
वहीं दूसरी तरफ देश में मैहर की हवा सबसे साफ है, जहां एक्यूआई 33 रिकॉर्ड किया गया है। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर बर्नीहाट की तुलना मैहर से करें तो वहां स्थिति सात गुणा ज्यादा खराब है। हालांकि मैहर की तरह ही देश के दस शहरों में हवा साफ है, जहां सूचकांक 0 से 50 के बीच है। इन शहरों में दमोह, कोप्पल, मदिकेरी, मैहर, मंगलौर, नागपट्टिनम, तिरुनेलवेली आदि शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 17 फीसदी की गिरावट आई है।
देश में अजमेर सहित 82 अन्य शहरों में स्थिति संतोषजनक है। इन शहरों में कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मेरठ, मुरादाबाद, मैसूर, नगांव, नांदेड़, ऊटी, परभनी, पटियाला, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सागर, सलेम, सतना, शिवमोगा, शिवसागर, श्री विजया पुरम, सूरत, तालचेर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, उदयपुर, उज्जैन, वापी, वाराणसी आदि शामिल हैं।
साफ हवा वाले शहरों की तरह ही देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी करीब पांच फीसदी की गिरावट आई है।
आंकड़ों के मुताबिक जहां देश के पांच फीसदी से भी कम शहरों में हवा साफ है। वहीं 36 फीसदी शहरों में स्थिति संतोषजनक है, जबकि इसके विपरीत देश के 59 फीसदी से अधिक शहरों में हालात चिंताजनक हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 229 में से महज 10 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 83 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 30 मार्च 2025 को यह आंकड़ा 87 दर्ज किया गया।
128 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में बर्नीहाट (252) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 260 के करीब पहुंच गया। कल नयागढ़ में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब एक्यूआई 234 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 22 अंकों के इजाफे के साथ 160 पर पहुंच गया। मतलब की प्रदूषण में वृद्धि के बावजूद दिल्ली में वायु गुणवत्ता अभी भी मध्यम श्रेणी में बनी हुई है।
गौरतलब है कि फरवरी और जनवरी 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। प्रदूषण के मामले में आज चंद्रपुर चौथे स्थान पर है, वहीं सिलीगुड़ी (236) दूसरे, जबकि कुंजेमुरा (228) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 166, गाजियाबाद में 150, गुरुग्राम में 162, नोएडा में 113, ग्रेटर नोएडा में 158 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 109 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 106, चेन्नई में 66, चंडीगढ़ में 80, हैदराबाद में 91, जयपुर में 106 और पटना में 179 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 10 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, चामराजनगर, दमोह, कोप्पल, मदिकेरी, मैहर, मंगलौर, नागपट्टिनम, तिरुनेलवेली, वृंदावन शामिल हैं।
वहीं अजमेर, अलवर, अमरावती, अमृतसर, अनंतपुर, अंकलेश्वर, बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, भिलाई, भुवनेश्वर, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बोईसर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चरखी दादरी, चेन्नई, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, कटक, धारवाड़, फिरोजाबाद, गडग, गांधीनगर, गुम्मिडिपूंडी, हल्दिया, हापुड, होसुर, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जालंधर, झालावाड़, कडपा, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मेरठ, मुरादाबाद, मैसूर, नगांव, नांदेड़, ऊटी, परभनी, पटियाला, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सागर, सलेम, सतना, शिवमोगा, शिवसागर, श्री विजया पुरम, सूरत, तालचेर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, उदयपुर, उज्जैन, वापी, वाराणसी, वातवा, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरुधुनगर आदि 83 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।