देश के कई शहरों  में वायु गुणवत्ता न केवल इंसानों बल्कि दूसरे जीवों के लिए भी सुरक्षित नहीं है; फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई)
देश के कई शहरों में वायु गुणवत्ता न केवल इंसानों बल्कि दूसरे जीवों के लिए भी सुरक्षित नहीं है; फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई)

प्रदूषण का गणित: देश के 44 फीसदी शहरों में हवा ‘खराब’, मंडीदीप सबसे प्रदूषित

देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कल से आठ फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। वहीं सबसे प्रदूषित शहरों में मंडीदीप, सांगली और बिलीपाड़ा जैसे शहर शामिल हैं
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सारांश
  • आंकड़ों के अनुसार, देश के 44 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक है, जिसमें मध्य प्रदेश का मंडीदीप सबसे प्रदूषित है।

  • मंडीदीप में वायु गुणवत्ता सूचकांक 234 दर्ज किया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 1,460 फीसदी अधिक है।

  • वहीं, शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां सूचकांक 11 रिकॉर्ड किया गया है।

  • रुझानों से पता चला है कि आज जहां देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 8 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।

  • राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 167 पर पहुंच गया।

  • फरीदाबाद की बात करें तो वायु गुणवत्ता सूचकांक मामूली इजाफे के साथ 118 रिकॉर्ड किया गया।

  • आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में सांगली (232) दूसरे जबकि बिलीपाड़ा (228) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 228 अंकों के साथ पानीपत चौथे स्थान पर है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 12 अक्टूबर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां महज 14 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

वहीं करीब 42 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 44 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा चिंताजनक है। चिंता की बात यह भी है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में गिरावट आई है।

रुझानों से पता चला है कि आज जहां देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 8 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। सन्तोषजनक हवा वाले शहरों की संख्या में करीब दो फीसदी की कमी आई है।

दूसरी तरफ मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 12 फीसदी का इजाफा हुआ है। राहत की बात यह है कि देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती 46 फीसदी की गिरावट के साथ इनकी संख्या सात पर पहुंच गई है। इसके साथ ही आज उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हवा खराब दर्ज की गई है।

आंकड़ों में सामने आया है कि आज प्रदूषण के मामले में मध्य प्रदेश के मंडीदीप की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 234 दर्ज किया गया। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में है। इस दौरान वहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी रहे।

देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

मंडीदीप में प्रदूषण से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी सुरक्षित सीमा से 1,460 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि कल मंडीदीप में वायु गुणवत्ता का स्तर 149 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 85 अंकों का भारी उछाल आया है।

कल देश में ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 280 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 91 अंकों के सुधार के साथ वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 189 पर पहुंच गया है।

दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 11 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर मंडीदीप की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 20 गुणा खराब है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 167 पर पहुंच गया। वहीं फरीदाबाद की बात करें तो वायु गुणवत्ता सूचकांक मामूली इजाफे के साथ 118 रिकॉर्ड किया गया। 

आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में सांगली (232) दूसरे जबकि बिलीपाड़ा (228) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 228 अंकों के साथ पानीपत चौथे स्थान पर है। चित्तूर-गुम्मिडिपूंडी में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 218 और 210 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज बहादुरगढ़ (202) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज पाली (196), बुलन्दशहर (191) और गाजियाबाद (189) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में 2 उत्तर प्रदेश के शहर (बुलन्दशहर, गाजियाबाद) शामिल हैं।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आज जहां अहमदाबाद, हापुड, मुरादाबाद, फतेहाबाद, रानीपेट, आगरा, हनुमानगढ़, मुंबई, कोटा, धारूहेड़ा, पिंपरी-चिंचवाड, जयपुर, हाजीपुर, कानपुर, सोलापुर, पुणे, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), झुंझुनूं, सीकर, तिरुपति, जोधपुर, फरीदाबाद, लखनऊ, पटना, हैदराबाद आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी है।

वहीं गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, बीकानेर, नोएडा, गुरूग्राम, मेरठ, धुले, मीरा-भायंदर, जालौर, पीथमपुर, दमोह, नागौर, भिवाड़ी, बद्दी, नासिक, बागपत, ठाणे, नवी मुंबई, रतलाम, ग्वालियर, टोंक, जैसलमेर, श्री गंगानगर, वातवा, धौलपुर, चुरू, कटक, उदयपुर, मालेगांव, करौली, विरार, अंगुल, चंद्रपुर, भोपाल, बांसवाड़ा, बेलापुर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत आज देश के 14 फीसदी यानी 33 शहरों में हवा साफ है।

इन साफ हवा वाले शहरों में देहरादून, डिंडीगुल, गंगटोक, हावेरी, कलबुर्गी, कांचीपुरम, करूर, कारवार, कोरबा, मदुरै, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, ऊटी, पालकालाइपेरुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, समस्तीपुर, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, शिवसागर, तंजावुर आदि शामिल हैं।  

कल से तुलना करें तो देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 8 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। इसी तरह आज देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी दो फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।  

आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें गोरखपुर, गुवाहाटी, हल्दिया, होसुर, हावड़ा, हुबली, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, जलना, झालावाड़, जींद, काशीपुर, कटिहार, कटनी, खुर्जा, कोहिमा, कोलकाता, कुंजेमुरा, लातूर, लुधियाना, महाड, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मंगुराहा, मुंगेर, मैसूर, नगांव, नलबाड़ी, नमक्कल, नयागढ़, पलवल, पंचगांव आदि शामिल हैं।

इन शहरों के उलट आज देश के 96 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अंगुल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बागपत, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बारीपदा, बाड़मेर, बैरकपुर, बेलापुर, भरतपुर, भिवाड़ी, भिवंडी, भोपाल, बीकानेर, बुलन्दशहर, बूंदी, ब्यासनगर, चंद्रपुर, चित्तौड़गढ़, चुरू, कोयंबटूर, कटक, दमोह, दावनगेरे, दिल्ली, देवास, धनबाद, धारूहेड़ा, धौलपुर, धुले, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गांधीनगर, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, ग्वालियर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हापुड, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कानपुर, करौली, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, कोटा, लखनऊ, मदिकेरी, मालेगांव, मानेसर, मेरठ, मीरा-भायंदर, रादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरनगर, नागौर, नागपुर, नासिक, नवी मुंबई, नोएडा, पाली, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, पुणे, पूर्णिया, रानीपेट, रतलाम, रोहतक, सागर, सीकर, सोलापुर, श्री गंगानगर, सूरत, ठाणे, तिरुमाला, तिरुपति, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वातवा, विरार, विशाखापत्तनम शामिल हैं।

कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 12 फीसदी का इजाफा हुआ है।

इसी तरफ देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में 46 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है, जोकि राहत की खबर है। आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है, उनमें बहादुरगढ़, बिलीपाड़ा, चित्तूर, गुम्मिडिपूंडी, मंडीदीप, पानीपत, सांगली शामिल हैं।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 235 में से 33 शहरों (-8.3 फीसदी) में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 98 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2025 को यह आंकड़ा 100 दर्ज किया गया था।

96 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में मंडीदीप (234) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 250 के करीब पहुंच गया। कल ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 280 रिकॉर्ड किया गया था।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। दिल्ली में 32 अंकों के सुधार के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 167 पर पहुंच गया है। हालांकि दिल्ली में वायु गुणवत्ता अभी भी मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। वहीं फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता सूचकांक में एक अंक का मामूली उछाल आया है, जिसके साथ ही एक्यूआई 118 पर पहुंच गया है।

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज पानीपत चौथे स्थान पर है, वहीं सांगली (232) दूसरे, जबकि बिलीपाड़ा (228) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 139, गाजियाबाद में 189, गुवाहाटी में 52, गुरूग्राम में 179, नोएडा में 180, ग्रेटर नोएडा में 189 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 153 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 118, चेन्नई में 98, चंडीगढ़ में 86, हैदराबाद में 113, जयपुर में 142 और पटना में 117 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 33 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, औरंगाबाद (बिहार), बागलकोट, चामराजनगर, चरखी दादरी, देहरादून, डिंडीगुल, गंगटोक, हावेरी, कलबुर्गी, कांचीपुरम, करूर, कारवार, कोरबा, मदुरै, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, ऊटी, पालकालाइपेरुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, समस्तीपुर, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, शिवसागर, तंजावुर, थूथुकुडी, तिरुनेलवेली, विजयपुरा, विरुधुनगर शामिल हैं।

वहीं अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, आरा, आसनसोल, बरेली, बठिंडा, बेगूसराय, बेंगलुरु, भागलपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, बक्सर, चंडीगढ़, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिक्कामगलुरु, कुड्डालोर, दौसा, डूंगरपुर, दुर्गापुर, एलूर, फिरोजाबाद, गया, गोरखपुर, गुवाहाटी, हल्दिया, होसुर, हावड़ा, हुबली, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, जलना, झालावाड़, जींद, काशीपुर, कटिहार, कटनी, खुर्जा, कोहिमा, कोलकाता, कुंजेमुरा, लातूर, लुधियाना, महाड, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मंगुराहा, मुंगेर, मैसूर, नगांव, नलबाड़ी, नमक्कल, नयागढ़, पलवल, पंचगांव, पंचकुला, परभनी, पटियाला, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, रायपुर, राजगीर, राजसमंद, रामनगर, राउरकेला, सासाराम, सतना, सवाई माधोपुर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सिरोही, सिरसा, सिवान, तालचेर, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुपुर, तुमिडीह, वाराणसी, विजयवाड़ा, वृंदावन, यादगीर आदि 98 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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