
नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 318 पर पहुंच गया है, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में आता है। यह स्थिति विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 430 फीसदी अधिक है।
कल नोएडा में वायु गुणवत्ता का स्तर 194 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 124 अंकों का भारी उछाल आया है।
दिल्ली में भी प्रदूषण बढ़कर 233 पर पहुंच गया है। देश के 47.7 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक है, जबकि 13.8 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
रुझानों से पता चला है कि आज जहां देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 27 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं सन्तोषजनक हवा वाले शहरों की संख्या में छह फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
चिंता की बात यह है कि देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 43 फीसदी का इजाफा हुआ है।
फरीदाबाद की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है और सूचकांक घटकर 112 पर पहुंच गया है।
प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा (263) दूसरे जबकि गाजियाबाद (254) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 251 अंकों के साथ गुरूग्राम चौथे स्थान पर है। दिल्ली-कैथल में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 233 और 225 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
आज प्रदूषण के मामले में नोएडा की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 318 दर्ज किया गया। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में है। इस दौरान वहां की हवा में ओजोन के महीन कण हावी रहे। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना अधिक है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
नोएडा में प्रदूषण से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 430 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि कल नोएडा में वायु गुणवत्ता का स्तर 194 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 124 अंकों का भारी उछाल आया है।
कल देश में गाजियाबाद की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 261 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 7 अंकों के सुधार के साथ वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 254 पर पहुंच गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 15 अक्टूबर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां महज 13.8 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं करीब 38.5 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 47.7 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा चिंताजनक है। चिंता की बात यह है कि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में गिरावट आई है।
रुझानों से पता चला है कि आज जहां देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 27 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं सन्तोषजनक हवा वाले शहरों की संख्या में छह फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। इसी तरह मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में भी छह फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है।
चिंता की बात यह है कि देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 43 फीसदी का इजाफा हुआ है।
दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 11 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 28 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 233 पर पहुंच गया। वहीं फरीदाबाद की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है और सूचकांक घटकर 112 पर पहुंच गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा (263) दूसरे जबकि गाजियाबाद (254) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 251 अंकों के साथ गुरूग्राम चौथे स्थान पर है। दिल्ली-कैथल में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 233 और 225 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज बल्लभगढ़ (220) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज हनुमानगढ़ (217), सागर (205) और हापुड (204) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के चार (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, हापुड) और हरियाणा के तीन शहर (गुरूग्राम, बल्लभगढ़, कैथल) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आज जहां कैथल, बल्लभगढ़, हनुमानगढ़, सागर, हापुड, रोहतक, हाजीपुर, अंगुल, जलगांव, नंदेसरी, भरतपुर, पीथमपुर, लखनऊ, पंचकुला, कोयंबटूर, मांडीखेड़ा, कांचीपुरम, कानपुर, हल्दिया, धारूहेड़ा, कुरूक्षेत्र, फतेहाबाद, बरेली, दमोह, अहमदाबाद, विशाखापत्तनम, कटक, सांगली, बारीपदा, खन्ना, बालासोर आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी है।
वहीं गाजियाबाद, गुरूग्राम, भिवाड़ी, बिलीपाड़ा, मेरठ, बीकानेर, खुर्जा, मानेसर, जालौर, बद्दी, नवी मुंबई, बागपत, चुरू, आगरा, टोंक, बुलन्दशहर, मुंबई, सिंगरौली, पिंपरी-चिंचवाड, पुणे, मुरादाबाद, धौलपुर, रतलाम, देवास, नासिक, नागौर, कोलकाता, पटना, धुले, जबलपुर, मीरा-भायंदर, श्री गंगानगर, पाली, बूंदी, तालचेर, क्योंझर, हावड़ा, बारबिल, सिवान, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), भिवंडी, उदयपुर, बाड़मेर, लुधियाना, भोपाल आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत आज देश के 13.8 फीसदी यानी 33 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में गंगटोक, होसुर, हुबली, कलबुर्गी, कोरबा, मदिकेरी, मदुरै, मोतिहारी, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, पालकालाइपेरुर, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, रामनगर, शिलांग, शिवमोगा, सिरसा, शिवसागर आदि शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 27 फीसदी का इजाफा हुआ है। दूसरी तरह देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में छह फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें गुवाहाटी, हैदराबाद, जैसलमेर, जालंधर, झालावाड़, जींद, कडपा, कन्नूर, करनाल, करूर, काशीपुर, कटिहार, कोहिमा, कोल्हापुर, कुंजेमुरा, लातूर, महाड, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मंगुराहा, मिलुपारा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नगांव, नलबाड़ी, नमक्कल, नांदेड़, नयागढ़, पलवल, पंचगांव, प्रयागराज, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 103 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अंगुल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बागपत, बालासोर, बारां, बारबिल, बरेली, बारीपदा, बाड़मेर, बैरकपुर, बेलापुर, भरतपुर, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बीकानेर, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बुलन्दशहर, बूंदी, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चुरू, कोयंबटूर, कटक, दमोह, दौसा, देवास, धारूहेड़ा, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गया, ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, हावड़ा, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जलगांव, जालौर, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कांचीपुरम, कानपुर, कटनी, क्योंझर, खन्ना, खुर्जा, कोलकाता, कोटा, कुरूक्षेत्र, लखनऊ, लुधियाना, मालेगांव, मांडीखेड़ा, मानेसर, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरनगर, नागौर, नागपुर, नंदेसरी, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पंचकुला, परभनी, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, पुणे, रायरंगपुर, रतलाम, ऋषिकेश, रोहतक, सांगली, सवाई माधोपुर, सीकर, सिंगरौली, सिवान, श्री गंगानगर, तालचेर, ठाणे , टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, विशाखापत्तनम, वृंदावन, यमुनानगर शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में छह फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
वहीं दूसरी तरफ आज देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में करीब 43 फीसदी का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है। आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है, उनमें बल्लभगढ़, भिवाड़ी, दिल्ली, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, हनुमानगढ़, हापुड, कैथल, सागर शामिल हैं।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 239 में से 33 शहरों (+27 फीसदी) में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 92 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 14 अक्टूबर 2025 को यह आंकड़ा 98 दर्ज किया गया था।
103 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में नोएडा (318) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 320 के करीब पहुंच गया। कल गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 261 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। दिल्ली में 22 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 233 पर पहुंच गया है। हालांकि दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में बनी हुई है। वहीं फरीदाबाद में प्रदूषण में गिरावट आई है, जिसके साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक गिरकर 112 पर पहुंच गया है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज गुरूग्राम चौथे स्थान पर है, वहीं ग्रेटर नोएडा (263) दूसरे, जबकि गाजियाबाद (254) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 148, गाजियाबाद में 254, गुवाहाटी में 71, गुरूग्राम में 251, नोएडा में 318, ग्रेटर नोएडा में 263 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 137 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 145, चेन्नई में 52, चंडीगढ़ में 132, हैदराबाद में 66, जयपुर में 147 और पटना में 127 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 33 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अमृतसर, आरा, औरंगाबाद (बिहार), बागलकोट, चामराजनगर, चरखी दादरी, कुड्डालोर, दावनगेरे, डिंडीगुल, गंगटोक, होसुर, हुबली, कलबुर्गी, कोरबा, मदिकेरी, मदुरै, मोतिहारी, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, पालकालाइपेरुर, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, रामनगर, शिलांग, शिवमोगा, सिरसा, शिवसागर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, विजयपुरा, विरुधुनगर शामिल हैं।
वहीं अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अम्बाला, अमरावती (महाराष्ट्र), अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, आसनसोल, बदलापुर, बांसवाड़ा, बठिंडा, बेगूसराय, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, बिहार शरीफ, बोईसर, ब्रजराजनगर, बर्नीहाट, चंद्रपुर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, छपरा, चित्तूर, देहरादून, धनबाद, धारवाड़, दुर्गापुर, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, हैदराबाद, जैसलमेर, जालंधर, झालावाड़, जींद, कडपा, कन्नूर, करनाल, करूर, काशीपुर, कटिहार, कोहिमा, कोल्हापुर, कुंजेमुरा, लातूर, महाड, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मंगुराहा, मिलुपारा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नगांव, नलबाड़ी, नमक्कल, नांदेड़, नयागढ़, पलवल, पंचगांव, प्रयागराज, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, रानीपेट, राउरकेला, रूपनगर, समस्तीपुर, सासाराम, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सोलापुर, सूरत, तिरुवनंतपुरम, तिरुपति, तिरुपुर, तुमिडीह, विजयवाड़ा, विरार आदि 92 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।