छोटे शहरों को निगलता प्रदूषण का जहर: काशीपुर में 203 एक्यूआई, मानकों से 1250 गुणा अधिक प्रदूषण
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, काशीपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 203 दर्ज किया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 1,253 फीसदी अधिक है।
देश के 12.2 फीसदी शहरों में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है, जबकि 40.8 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कल से 18 फीसदी की गिरावट आई है।
दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 11 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर काशीपुर की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 17 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 159 पर पहुंच गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 05 अक्टूबर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां 40.8 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 47 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 12.2 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा संतोषजनक है। चिंता की बात यह है कि देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कल से 18 फीसदी की गिरावट आई है।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज प्रदूषण के मामले में काशीपुर की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 203 दर्ज किया गया। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में है। इस दौरान वहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी रहे। रुझानों के मुताबिक वहां फिजाओं में घुला जहर इतना है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
काशीपुर में प्रदूषण से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी सुरक्षित सीमा से 1,253 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि कल काशीपुर में वायु गुणवत्ता का स्तर 38 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 165 अंकों का भारी उछाल आया है।
कल देश में ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 227 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 47 अंकों के सुधार के साथ वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 180 पर पहुंच गया है।
दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 11 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर काशीपुर की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 17 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 159 पर पहुंच गया। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता संतोषजनक से मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं फरीदाबाद की बात करें तो वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 108 रिकॉर्ड किया गया। कल से वहां स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में मंडी गोबिंदगढ़ (198) दूसरे जबकि नोएडा (194) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 180 अंकों के साथ ग्रेटर नोएडा चौथे स्थान पर है। हापुड-भिवाड़ी में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 179 और 178 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज दिल्ली (159) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज गाजियाबाद (158), नारनौल (154) और बहादुरगढ़ (152) भी शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आज जहां काशीपुर, मंडी गोबिंदगढ़, हापुड, नारनौल, रोहतक, पानीपत आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी है। वहीं ग्रेटर नोएडा, भिवाड़ी, गाजियाबाद, बहादुरगढ़, गुरूग्राम, बागपत, श्रीगंगानगर, करनाल, मुरादाबाद, पलवल, बद्दी, मुजफ्फरनगर, फरीदाबाद, बुलन्दशहर, हनुमानगढ़, विशाखापत्तनम, आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है।
इन शहरों के विपरीत आज देश के करीब 41 फीसदी यानी 87 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में हाजीपुर, हल्दिया, होसुर, हावड़ा, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जलगांव, कलबुर्गी, कल्याण, कानपुर, कारवार, कोलकाता, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, महाड, मैहर, मीरा-भायंदर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागपुर, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नांदेड़, नासिक, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, प्रयागराज, पुणे, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनाथपुरम, रानीपेट, रूपनगर, सागर, सलेम आदि शामिल हैं।
चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 18 फीसदी की गिरावट आई है। दूसरी तरह आज देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में इजाफा हुआ है। इन शहरों की संख्या 11 फीसदी से अधिक के उछाल के साथ बढ़कर 100 पर पहुंच गई है।
आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें जींद, जोधपुर, कांचीपुरम, कन्नूर, करौली, करूर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोल्हापुर, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मालेगांव, मंडीदीप, मानेसर, मुंबई, नगांव, नागौर, नवी मुंबई, पाली, पंचगांव, परभनी, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, रायरंगपुर, राजगीर, रतलाम, ऋषिकेश आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 25 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में बद्दी, बागपत, बहादुरगढ़, भिवाड़ी, बुलन्दशहर, दिल्ली, फरीदाबाद,
गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, हनुमानगढ़, हापुड, करनाल, मंडी गोबिंदगढ़, मांडीखेड़ा, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, नारनौल, नोएडा, पलवल, पानीपत, रोहतक, श्रीगंगानगर, विशाखापत्तनम शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब चार फीसदी की गिरावट आई है, जोकि राहत की खबर है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 213 में से 87 (-18 फीसदी) शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 100 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 04 अक्टूबर 2025 को यह आंकड़ा 90 दर्ज किया गया था।
25 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में काशीपुर (203) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 210 के करीब पहुंच गया। कल ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 227 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। दिल्ली में 21 अंकों के इजाफे के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 159 पर पहुंच गया है। इसके साथ ही वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। वहीं फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता का स्तर 108 पर बना हुआ है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज ग्रेटर नोएडा चौथे स्थान पर है, वहीं मंडी गोबिंदगढ़ (198) दूसरे, जबकि नोएडा (194) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 65, गाजियाबाद में 158, गुवाहाटी में 35, गुरूग्राम में 142, नोएडा में 194, ग्रेटर नोएडा में 180 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 61 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 76, चेन्नई में 63, चंडीगढ़ में 61, हैदराबाद में 69, जयपुर में 84 और पटना में 55 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 87 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अहमदाबाद, अहमदनगर, अकोला, अररिया, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागलकोट, बालासोर, बारबिल, बैरकपुर, बेलापुर, बेंगलुरु, भागलपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवानी, ब्रजराजनगर, चामराजनगर, चंद्रपुर, चित्तौड़गढ़, दावनगेरे, डिंडीगुल, एलूर, फिरोजाबाद, गंगटोक, गया, गुवाहाटी, हाजीपुर, हल्दिया, होसुर, हावड़ा, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जलगांव, कलबुर्गी, कल्याण, कानपुर, कारवार, कोलकाता, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, महाड, मैहर, मीरा-भायंदर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागपुर, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नांदेड़, नासिक, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, प्रयागराज, पुणे, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनाथपुरम, रानीपेट, रूपनगर, सागर, सलेम, सांगली, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सिरोही, शिवसागर, सोलापुर, सूरत, तंजावुर, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुमाला, तुमिडीह, वाराणसी, विजयपुरा, विरार शामिल हैं।
वहीं आगरा, अजमेर, अलवर, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अंगुल, अरियालूर, बदलापुर, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बारीपदा, बाड़मेर, बठिंडा, बेगूसराय, भरतपुर, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिहारशरीफ, बीकानेर, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बूंदी, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चरखी दादरी, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चुरू, कोयंबटूर, कुड्डालोर, कटक, दमोह, दौसा, देवास, धारवाड़, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, गांधीनगर, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, हैदराबाद, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जालौर, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, जींद, जोधपुर, कांचीपुरम, कन्नूर, करौली, करूर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोल्हापुर, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मालेगांव, मंडीदीप, मानेसर, मुंबई, नगांव, नागौर, नवी मुंबई, पाली, पंचगांव, परभनी, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, रायरंगपुर, राजगीर, रतलाम, ऋषिकेश, राउरकेला, सतना, सवाई माधोपुर, सीकर, सिरसा, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, टोंक, उल्हासनगर, वापी, विजयवाड़ा, वृंदावन आदि 100 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।