महज 13 फीसदी शहरों में हवा साफ, हापुड-सिंगरौली की स्थिति सबसे खराब

आज देश में अगरतला की हवा सबसे साफ है, जहां एक्यूआई 24 दर्ज किया गया है
प्रतीकात्मक तस्वीर: विकास चौधरी/सीएसई
प्रतीकात्मक तस्वीर: विकास चौधरी/सीएसई
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देश में आज लगातार दूसरे दिन हापुड की स्थिति सबसे खराब रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 255 दर्ज किया गया। हालांकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 08 जून 2025 को जारी आंकड़ों से पता चला है कि कल से हापुड़ के वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार आया है।

प्रदूषण के मामले में सिंगरौली (216) दूसरे जबकि बागपत (206) तीसरे स्थान पर है। कमोबेश ऐसी ही स्थिति मेरठ की है जो 201 अंकों के साथ प्रदूषण के मामले मे चौथे स्थान पर है। बता दें कि देश के इन चारों शहरों में आज हवा 'खराब' दर्ज की गई है।

कल से देखें तो 'खराब' हवा वाले शहरों की गिनती में कोई बदलाव नहीं आया है और स्थिति जस की तस बनी हुई है।

राजधानी दिल्ली की बात करें जो आज प्रदूषण के मामले में पांचवें स्थान पर है, वहां 11 अंकों के सुधार के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 198 रिकॉर्ड किया गया है। मतलब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता एक बार फिर मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है।

इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में लुधियाना (196) छठे, जबकि राजगीर (195) सातवें पायदान पर है। वहीं बद्दी, भरतपुर और गुरूग्राम भी देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में लुधियाना (196) छठे, जबकि राजगीर (195) सातवें पायदान पर है। वहीं बद्दी, भरतपुर और गुरूग्राम भी देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। बता दें कि देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज तीन शहर उत्तर प्रदेश के हैं।

रुझानों के विश्लेषण से पता चला है कि आज हापुड, मेरठ, बद्दी, भरतपुर, मुजफ्फरनगर, बारबिल, हाजीपुर, बुलन्दशहर, ब्यासनगर आदि शहरों में ओजोन हावी रही। वहीं दिल्ली, लुधियाना, राजगीर, भिवाड़ी, चंडीगढ़, मंडी गोबिंदगढ़, नोएडा, अमृतसर, गाजियाबाद, जयपुर, खन्ना, लखनऊ में प्रदूषण के महीन कणों पीएम2.5 से स्थिति चिंताजनक है।

इसी तरह सिंगरौली, बागपत, गुरूग्राम, सवाई माधोपुर, दौसा, सीकर, पाली, बाड़मेर आदि में पीएम10 हावी रहा। आंकड़ों के मुताबिक राजधानी दिल्ली की तरह ही देश के 80 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में रही।

इन शहरों में जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जालौर, झुंझुनूं, करौली, कटिहार, कटनी, खन्ना, खुर्जा, किशनगंज, कोरबा, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नोएडा, पाली, पटियाला, पटना, प्रयागराज, राजगीर, रतलाम, राउरकेला, सहरसा, समस्तीपुर, सासाराम आदि शामिल हैं।

कल से देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब तीन फीसदी का इजाफा हुआ है।

वहीं दूसरी तरफ आज देश में अगरतला की हवा सबसे साफ है, जहां एक्यूआई 24 दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर हापुड की तुलना अगरतला से करें तो वहां स्थिति 10 गुणा खराब है। अगरतला की तरह ही 29 अन्य शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में बेलापुर, भीलवाड़ा, बोईसर, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, दावनगेरे, हसन, हुबली, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कोल्हापुर, मदिकेरी, मैसूर शामिल हैं।

अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 20 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

आंकड़ों के मुताबिक भुवनेश्वर सहित देश के छोटे बड़े 114 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। इन शहरों में देहरादून, देवास, धनबाद, धारवाड़, धुले, डिंडीगुल, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गया, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, हल्दिया, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जलगांव, जलना, झालावाड़, झांसी, जोधपुर, जोरापोखर, कडपा, कल्याण, कन्नूर, कानपुर, काशीपुर, क्योंझर, कोहिमा, कोलकाता आदि शामिल हैं।

साफ हवा वाले शहरों के उलट देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में पांच फीसदी की गिरावट आई है।

आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां महज 13 फीसदी शहरों में हवा साफ है, जबकि 50 फीसदी में स्थिति संतोषजनक दर्ज की गई है। दूसरी तरफ देश के करीब 37 फीसदी शहरों  में हालात चिंताजनक हैं।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 228 में से 30 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। 114 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 07 जून 2025 को यह आंकड़ा 120 दर्ज किया गया था।

80 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में हापुड (255) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 260 के करीब पहुंच गया। कल भी हापुड में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब सूचकांक 256 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 11 अंकों का सुधार आया है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक गिरकर 198 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता एक बार फिर खराब से मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज मेरठ चौथे स्थान पर है, वहीं सिंगरौली (216) दूसरे, जबकि बागपत (206) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 116, गाजियाबाद में 147, गुवाहाटी में 117, गुरूग्राम में 187, नोएडा में 156, ग्रेटर नोएडा में 138 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 65 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 145, चेन्नई में 74, चंडीगढ़ में 171, हैदराबाद में 78, जयपुर में 147 और पटना में 132 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 30 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आइजोल, अकोला, अरियालूर, बागलकोट, बेलापुर, भीलवाड़ा, बोईसर, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, दावनगेरे, हसन, हुबली, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कोल्हापुर, मदिकेरी, मैसूर, पिंपरी-चिंचवाड, पुडुकोट्टई, रामनगर, शिलांग, सिलचर, सूरत, तिरुचिरापल्ली, तिरुनेलवेली, वेल्लोर, विजयपुरा, यादगीर शामिल हैं।

वहीं अहमदनगर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अंकलेश्वर, अररिया, आरा, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बांसवाड़ा, बरेली, बारीपदा, बैरकपुर, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, बक्सर, चंद्रपुर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चित्तूर, कुड्डालोर, देहरादून, देवास, धनबाद, धारवाड़, धुले, डिंडीगुल, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गया, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, हल्दिया, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जलगांव, जलना, झालावाड़, झांसी, जोधपुर, जोरापोखर, कडपा, कल्याण, कन्नूर, कानपुर, काशीपुर, क्योंझर, कोहिमा, कोलकाता, कुंजेमुरा, मदुरै, महाड, मंडीदीप, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, मुंबई, मुंगेर, नगांव, नलबाड़ी, नमक्कल, नांदेड़, नंदेसरी, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, पंचगांव, पीथमपुर, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, पुणे, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनाथपुरम, रानीपेट, ऋषिकेश, सागर, सांगली, सतना, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, सिवान, सोलापुर, ठाणे, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुपति, तिरुपुर, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, वातवा, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन आदि 114 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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