
संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) के संयंत्रों को वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। रिपोर्ट 26 नवंबर, 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सबमिट की गई है। प्रदूषण फैलाने वाले यह संयंत्र बिहार में औरंगाबाद के नबीनगर में स्थित हैं।
गौरतलब है कि टीम ने 28-29 अक्टूबर, 2024 को औरंगाबाद के नबीनगर में एनटीपीसी लिमिटेड, नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन और भारतीय रेल बिजली कंपनी लिमिटेड (बीआरबीसीएल) के परिसर का निरीक्षण किया था।
287 पेजों की यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा तीन अक्टूबर, 2024 की दिए आदेश पर अदालत में सबमिट की गई है।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि औरंगाबाद के नबीनगर ने एनटीपीसी-एनएसटीपीएस में ऐश डाइक एग्जिट गेट पर व्हील-वाशिंग सिस्टम लगाया जाना चाहिए। राजमार्ग और ऐश डाइक के को जोड़ने वाली सड़क को रोलर-कॉम्पैक्टेड कंक्रीट (आरसीसी) से बनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही फ्लाई ऐश ले जाने वाले वाहनों को सभी तरफ से कवर किया जाना चाहिए ताकि फ्लाई ऐश को फैलने और ओवरलोडिंग को रोका जा सके।
इसके साथ ही पर्यावरण मंजूरी की शर्तों के मुताबिक अगले वर्ष के भीतर ऐश के 100 फीसदी उपयोग को सुनिश्चित करने की बात भी रिपोर्ट में कही गई है।
औरंगाबाद के नबीनगर में एनटीपीसी-एनएसटीपीएस के लिए भी रिपोर्ट में सुझाव दिए गए हैं। इनके मुताबिक सभी आरसीसी सड़कों की नियमित आधार पर सफाई करने के लिए मैकेनिकल वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। साथ ही एकत्रित राख का उचित तरीके से निपटान होना चाहिए। समिति ने यह भी सुनिश्चित करने की बात कही है कि यूनिट से कोई तरल पदार्थ या अपशिष्ट न निकले।
क्या है पूरा मामला
इसी तरह आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) में तेल और ग्रीस फिल्टर स्थापित किया जाना चाहिए। वैगन टिपलर सेक्शन में पानी का छिड़काव करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए और सिस्टम के चालू होने तक अनलोडिंग को रोक देना चाहिए।
गौरतलब है कि इस मामले में एनटीपीसी के संयंत्रों (एनपीजीसीएल और बीआरबीसीएल) से होने वाले वायु प्रदूषण को लेकर एनजीटी में शिकायत की गई थी।
विजय कुमार सिंह की पत्र याचिका के मुताबिक मेसर्स नबीनगर पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड (एनपीजीसीएल) और मेसर्स भारतीय रेल बिजली कंपनी लिमिटेड (बीआरबीसीएल), दोनों ही एनटीपीसी की सहायक कंपनियां हैं। आरोप है कि यह प्लांट ब्लैक फिल्टर डस्ट और डोलो चार जैसे अपशिष्ट पदार्थों के साथ घटिया किस्म के कोयले का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इससे प्रदूषण फैल रहा है, जिससे पशुओं, कृषि और आम लोगों को नुकसान पहुंच रहा है।