वर्ष 2019 में सिंगरौली क्षेत्र में विध्यांचल थर्मल पावर प्लांट (टीपीपी) और एस्सार टीपीपी में राख के बांध टूटने की घटनाओं की एक पर्यावरणीय क्षति के आकलन की रिपोर्ट 8 सितंबर, 2020 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष प्रस्तुत की गई। यह रिपोर्ट समिति द्वारा तैयार की गई थी, जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की शामिल थे।
7 अगस्त, 2019 को एस्सार पावर में राख के बांध के टूटने की घटना में - लगभग 50 हेक्टेयर क्षेत्र राख फैलने से प्रभावित हुआ था। ग्रामीण इस क्षेत्र का उपयोग खेती करने के लिए कर रहे थे। इस राख के बांध के टूटने की घटना के कारण तब की खरीफ की फसल खराब हो गई थी।
फील्ड सर्वे और हवाई विडियोग्राफी के आधार पर यह पता चला कि राख का घोल (स्लरी) ने एक लंबा रास्ता तय किया था। घोल जारिया से गर्रा नदी तक बहने के बाद यह मायेर नदी के संगम तक पहुंच गया था। राख के घोल (स्लरी) ने जारिया से गर्रा नदी होते हुए मायेर नदी के संगम तक लगभग 11 किलोमीटर का सफर तय किया।
नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) विंध्याचल, सिंगरौली में - राख के बांध की टूटने की घटना 6 अक्टूबर, 2019 को हुई थी। राख का घोल (स्लरी) प्लांट परिसर में फैल गया था। अधिक ऊंचाई के कारण इसने गहलगढ़ जैसे गांवों को प्रभावित नहीं किया। जूरी गांव भी प्रभावित नहीं हुआ, क्योंकि यह सूर्या नाले के बाएं किनारे पर पड़ता है। राख के घोल के फैलने से कोई भी कृषि भूमि प्रभावित नहीं हुई।
पर्यावरण को नुकसान
मेसर्स एस्सार पावर एमपी लिमिटेड और मेसर्स एनटीपीसी विंध्यनगर में राख का बांध टूटने के कारण होने वाली पर्यावरणीय क्षति का आकलन करना, सिंगरौली में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और जल प्रदूषण के लिए मूल्यांकन किया गया था। समिति ने उपलब्ध निगरानी रिपोर्ट, क्षेत्र की रिपोर्ट के आधार पर पर्यावरणीय क्षति का आकलन किया।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में निम्नलिखित सिफारिशें की है: