बढ़ते ओजोन से अगरतला में 300 के पार पहुंचा एक्यूआई, दिल्ली में भी बढ़ा प्रदूषण

विश्लेषण से पता चला है कि देश के जहां 19 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं करीब 63 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक
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देश में दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों को पीछे छोड़ अगरतला की हवा सबसे खराब है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 08 मई 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक अगरतला में वायु गुणवत्ता सूचकांक 302 दर्ज किया गया है। मतलब की कल से अगरतला में प्रदूषण के स्तर में 263 अंकों का भारी उछाल आया है। इस दौरान वहां की हवा में ओजोन का स्तर पूरी तरह से हावी रहा।

वहीं प्रदूषण के मामले में आज दुर्गापुर (182) दूसरे, जबकि नगांव (175) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 170 अंकों के साथ भिवाड़ी चौथे जबकि मुजफ्फरनगर पांचवें स्थान पर बना हुआ है।

राजधानी दिल्ली में भी कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां 16 अंकों के उछाल के साथ एक्यूआई 169 पर पहुंच गया है। बता दें कि देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में आज दिल्ली छठे स्थान पर है। बागपत में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 159 अंकों के साथ आज सातवें स्थान पर है।

इसी तरह झालावाड़ (157), बीकानेर (153) और ग्रेटर नोएडा (141) देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। बता दें कि कल बर्नीहाट की हवा सबसे ज्यादा खराब थी हालांकि आज सीपीसीबी ने बर्नीहाट के प्रदूषण से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।

रुझानों के मुताबिक आज जहां अगरतला, बीकानेर और मेरठ की हवा में ओजोन हावी रहा। वहीं बागपत, ग्रेटर नोएडा, अररिया, और दौसा की हवा में प्रदूषण के महीन कण पीएम10 हावी रहे। इसी तरह मुजफ्फरनगर, गुरूग्राम, पंचगांव, हाजीपुर आदि में पीएम2.5 से स्थिति खराब रही।

वहीं दूसरी तरफ दमोह की हवा सबसे साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 26 दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर अगरतला की तुलना दमोह से करें तो वहां स्थिति 11 गुणा खराब है।

दमोह की तरह ही देश के 42 अन्य शहरों में हवा साफ बनी हुई है। इन शहरों में गंगटोक, हुबली, इंदौर, जलना, झांसी, लातूर, मदिकेरी, मंडीदीप, मीरा-भायंदर, नागपट्टिनम, नांदेड़, नासिक, पालकालाइपेरुर, पिंपरी-चिंचवाड, पुडुकोट्टई, रामनगर, रामनाथपुरम, रतलाम, ऋषिकेश, शिवमोगा, सिरोही, शिवसागर, ठाणे आदि शामिल हैं।

अच्छी खबर यह है कि कल से साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 23 फीसदी का इजाफा हुआ है।

देश में बक्सर सहित 141 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है।

इन शहरों में कोलकाता, कोटा, कुंजेमुरा, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मैहर, मालेगांव, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नवी मुंबई, नयागढ़, परभनी, पटियाला, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुणे, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, सागर, सहरसा, समस्तीपुर, सांगली, सासाराम, सतना, शिलांग, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सोलापुर, श्री गंगानगर, सुआकाती, तालचेर, टेन्सा, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपति आदि शामिल हैं।

साफ हवा वाले शहरों की तरह ही देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी करीब चार फीसदी का इजाफा हुआ है।

रुझानों से पता चला है कि देश में चुरू सहित 39 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में बीकानेर, बुलन्दशहर, छपरा, चुरू, दौसा, दिल्ली, दुर्गापुर, गाजियाबाद, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, हाजीपुर, हापुड, हावड़ा, इंफाल, झालावाड़, झुंझुनूं, कल्याण, कटनी, खुर्जा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, नगांव, नोएडा, ऊटी, पंचगांव, पटना, पूर्णिया आदि शामिल हैं। कल से देखें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की स्थिति जस की तस बनी हुई है और उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।

विश्लेषण से पता चला है कि देश के जहां 19 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं करीब 63 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है। दूसरी तरफ देश के 18 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 224 में से 43 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। 141 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 07 मई 2025 को यह आंकड़ा 136 दर्ज किया गया था।

39 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में अगरतला (302) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 310 के करीब पहुंच गया। कल बर्नीहाट में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब सूचकांक 180 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही 16 अंकों के उछाल के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 169 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता अभी भी मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। वहीं आज एक बार फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।  

गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज भिवाड़ी चौथे स्थान पर है, वहीं दुर्गापुर (182) दूसरे, जबकि नगांव (175) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 76, गाजियाबाद में 128, गुवाहाटी में 60, गुरूग्राम में 131, नोएडा में 126, ग्रेटर नोएडा में 141 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 54 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 100, चेन्नई में 60, चंडीगढ़ में 81, हैदराबाद में 71, जयपुर में 90 और पटना में 123 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 43 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अहमदनगर, बेलापुर, बेलगाम, भिलाई, बोईसर, चामराजनगर, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दमोह, गंगटोक, हुबली, इंदौर, जलना, झांसी, लातूर, मदिकेरी, मंडीदीप, मीरा-भायंदर, नागपट्टिनम, नांदेड़, नासिक, पालकालाइपेरुर, पिंपरी-चिंचवाड, पुडुकोट्टई, रामनगर, रामनाथपुरम, रतलाम, ऋषिकेश, शिवमोगा, सिरोही, शिवसागर, ठाणे, तंजावुर, तिरुपति, वापी, वाराणसी, वातवा, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, यादगीर शामिल हैं।

वहीं आगरा, अहमदाबाद, आइजोल, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अनंतपुर, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बारां, बरेली, बारीपदा, बाड़मेर, बैरकपुर, बठिंडा, बेगूसराय, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कटक, दावनगेरे, देहरादून, देवास, धारवाड़, धौलपुर, डिंडीगुल, डूंगरपुर, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, ग्वालियर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हावेरी, होसुर, हैदराबाद, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जालौर, जोधपुर, कडपा, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कानपुर, करौली, काशीपुर, कटिहार, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोटा, कुंजेमुरा, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मैहर, मालेगांव, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नवी मुंबई, नयागढ़, परभनी, पटियाला, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुणे, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, सागर, सहरसा, समस्तीपुर, सांगली, सासाराम, सतना, शिलांग, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सोलापुर, श्री गंगानगर, सुआकाती, तालचेर, टेन्सा, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपति, तिरुपुर, टोंक, उदयपुर, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विशाखापत्तनम, यादगीर आदि 141 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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