गिरावट के बावजूद दिल्ली में डब्ल्यूएचओ के तय मानकों से 2,360 फीसदी अधिक है वायु प्रदूषण

दिल्ली में 37 अंकों की गिरावट के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 369 रिकॉर्ड किया गया, जो दर्शाता है कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर अभी भी ‘बेहद खराब’ बना हुआ है
भारत की 96 फीसदी आबादी यानी 133 करोड़ लोग ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर हैं जहां पीएम 2.5 का वार्षिक औसत स्तर डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी मानकों से सात गुणा खराब है; फोटो: आईस्टॉक
भारत की 96 फीसदी आबादी यानी 133 करोड़ लोग ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर हैं जहां पीएम 2.5 का वार्षिक औसत स्तर डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी मानकों से सात गुणा खराब है; फोटो: आईस्टॉक
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क्या आप जानते हैं कि आज दिल्लीवासी जिस हवा में सांस ले रहे है वो विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ द्वारा तय मानकों से 2,360 फीसदी अधिक प्रदूषित है।

हालांकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो कल से प्रदूषण में गिरावट जरूर आई है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली में हवा लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

आज दिल्ली में 37 अंकों की गिरावट के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 369 रिकॉर्ड किया गया है, जो दर्शाता है कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर अभी भी ‘बेहद खराब’ बना हुआ है। बता दें कि कल सूचकांक 400 के पार था, जो वायु गुणवत्ता के ‘गंभीर’ स्तर को दर्शाता है।

वहीं प्रदूषण के मामले में आज सीकर दूसरे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 348 रिकॉर्ड किया गया। वहीं स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों पर नजर डालें तो सीकर में प्रदूषण 2,220 फीसदी अधिक है। इसी तरह प्रदूषण के मामले में गुरूग्राम (332) तीसरे, जबकि पाली (329) चौथे स्थान पर रहा, जहां प्रदूषण का स्तर तय मानकों से 2,000 फीसदी से अधिक है।

इसी तरह देश में अररिया (326), झुंझुनूं (326), जालौर (324), नागौर (320), हाजीपुर (312), सिरोही (310), और पीथमपुर (302) में वायु गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है। जहां प्रदूषण का स्तर मानकों से कई गुणा अधिक है। वहीं कल से तुलना करें तो देश में 'बेहद खराब' हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 38 फीसदी का इजाफा हुआ है।

दिल्ली की तरह ही फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, हालांकि इसके बावजूद वहां वायु गुणवत्ता 'खराब' बनी हुई है। गौरतलब है कि फरीदाबाद में चार अंकों की गिरावट के साथ सूचकांक 205 रिकॉर्ड किया गया है।

बता दें कि फरीदाबाद की तरह ही देश के छोटे बड़े 38 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'खराब' बना हुआ है।

इन शहरों में आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), बालासोर, बारां, बारबिल, बाड़मेर, बैरकपुर, बेगूसराय, भागलपुर, भोपाल, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, ब्यासनगर, चरखी दादरी, छपरा, चुरू, कटक, देवास, दुर्गापुर, फरीदाबाद, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, हल्दिया, हावड़ा, जयपुर, जोधपुर, कटिहार, मंडीदीप, मुजफ्फरपुर, नोएडा, पटना, पूर्णिया, रतलाम, सागर, सिंगरौली, श्री गंगानगर, टोंक, उदयपुर, वापी शामिल हैं।

कल से तुलना करें तो देश में खराब हवा वाले शहरों की गिनती में भी करीब 15 फीसदी का उछाल आया है।

वहीं दूसरी तरफ देश में आइजोल की हवा सबसे साफ रही, जहां एक्यूआई 21 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि दिल्ली की तुलना आइजोल से करें तो वहां स्थिति 17 गुणा ज्यादा खराब है। आइजोल की तरह ही देश के 18 अन्य शहरों में हवा साफ है।

इन शहरों में चेन्नई, चिक्कामगलुरु, गडग, हुबली, कारवार, मदिकेरी, मंडी गोबिंदगढ़, मैसूर, राजमहेंद्रवरम आदि शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल से जहां बेहद खराब हवा वाले शहरों की संख्या में इजाफा हुआ है। वहीं साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 24 फीसदी की गिरावट आई है।

ताजा रुझानों के मुताबिक अमृतसर सहित देश के 74 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक दर्ज किया गया है।

इन शहरों में पटियाला, पिंपरी-चिंचवाड, पुदुचेरी, रायपुर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सलेम, सांगली, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, शिवसागर, सुआकाती, सूरत, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, उडुपी, वाराणसी, वेल्लोर, विजयवाड़ा आदि शहर शामिल हैं। राहत की बात रही कि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की संख्या में गिरावट की जगह एक फीसदी की वृद्धि हुई है।

देश में आगरा सहित 98 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर मध्यम श्रेणी में बना हुआ है।

इन शहरों में अगरतला, आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अंगुल, अंकलेश्वर, आरा, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बागपत, बांसवाड़ा, बेलापुर, बेतिया, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बोईसर, बुलन्दशहर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चित्तौड़गढ़, दमोह, दौसा, धनबाद, धुले, डूंगरपुर, गांधीनगर, गया, गुवाहाटी, ग्वालियर, इंफाल, इंदौर, जबलपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, झालावाड़, झांसी, कल्याण, करौली, कटनी, क्योंझर, खुर्जा, किशनगंज, कोलकाता, कोरबा, कोटा, कुंजेमुरा, लातूर, लखनऊ, महाड, मालेगांव, मंगुराहा, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, नगांव, नागपुर, नलबाड़ी, नांदेड़, नंदेसरी, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, परभनी, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, रायचुर, रायरंगपुर, राजसमंद, रोहतक, राउरकेला, रूपनगर, सहरसा, समस्तीपुर, सासाराम, सवाई माधोपुर, सिवान, सोलापुर, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, तिरुपुर, तुमकुरु, तुमिडीह, उज्जैन, उल्हासनगर, वातवा, वृंदावन शामिल थे।

वहीं कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में 11 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

कुल मिलाकर देखें तो देश के करीब आठ फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 61 फीसदी से ज्यादा शहरों में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। दूसरी तरफ करीब 31 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 24 दिसंबर 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 241 में से महज 19 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 74 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 23 दिसंबर को यह आंकड़ा 73 दर्ज किया गया था।

98 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में दिल्ली (369) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां आज एक्यूआई 400 के करीब पहुंच गया। वहीं कल भी दिल्ली में हवा सबसे ज्यादा खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 406 दर्ज किया गया था।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 37 अंकों की गिरावट आई है। इसके बावजूद दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर आज भी ‘बेहद खराब’ बना हुआ है।

गौरतलब है कि पिछले महीने नवंबर में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था। इसी तरह नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया।

देखा जाए तो देश में प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। बता दें कि प्रदूषण के मामले में आज पाली चौथे स्थान पर है, वहीं सीकर (348) दूसरे, जबकि गुरूग्राम (332) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 205, गाजियाबाद में 255, गुरुग्राम में 332, नोएडा में 269, ग्रेटर नोएडा में 230 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 146 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 182, चेन्नई में 39, चंडीगढ़ में 150, हैदराबाद में 91, जयपुर में 222 और पटना में 257 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 19 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, अमरावती, बागलकोट, बेलगाम, चामराजनगर, चेन्नई, चिक्कामगलुरु, गडग, हुबली, कारवार, मदिकेरी, मंडी गोबिंदगढ़, मैसूर, राजमहेंद्रवरम, शिवमोगा, तंजावुर, त्रिशूर, तिरुनेलवेली, विजयपुरा शामिल हैं।

वहीं अकोला, अमरावती, अमृतसर, अरियालूर, बद्दी, बरेली, बठिंडा, बेंगलुरु, भरतपुर, भिलाई, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, बक्सर, छाल, चिकबलपुर, चित्तूर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, देहरादून, धारवाड़, धौलपुर, फिरोजाबाद, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, हनुमानगढ़, हापुड, हसन, हैदराबाद, जलना, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, काशीपुर, खन्ना, कोहिमा, कोलार, कोल्हापुर, कोल्लम, कोप्पल, लुधियाना, मदुरै, मैहर, मंगलौर, मिलुपारा, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, पंचकुला, पटियाला, पिंपरी-चिंचवाड, पुदुचेरी, रायपुर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सलेम, सांगली, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, शिवसागर, सुआकाती, सूरत, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, उडुपी, वाराणसी, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम आदि 74 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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