

दिल्ली और नोएडा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। 13 दिसंबर 2025 को नोएडा का एक्यूआई 455 दर्ज किया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 2,900 फीसदी अधिक है।
दिल्ली में भी स्थिति गंभीर है, जहां एक्यूआई 431 तक पहुंच गया। हालात यह हैं कि दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित दिन दर्ज किया गया है। यह स्थिति लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गई है।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 14 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 32 गुणा खराब है।
13 दिसंबर, 2025 को 251 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 3.6 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 22.3 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 74.1 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 214 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा (442) दूसरे जबकि दिल्ली (431) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 430 अंकों के साथ गाजियाबाद चौथे स्थान पर है।
पानीपत-धारूहेड़ा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 426 और 368 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
बल्लभगढ़ (356) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में हापुड़ (355), मेरठ (355), बहादुरगढ़ (353) भी शामिल हैं।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के पांच (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ) और हरियाणा के भी चार शहर (पानीपत, धारूहेड़ा, बल्लभगढ़, बहादुरगढ़) शामिल हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि 13 दिसंबर 2025 को देश में नोएडा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बढ़कर 455 तक पहुंच गया। गौरतलब है कि 12 दिसंबर को नोएडा में एक्यूआई 386 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 69 अंकों का भारी उछाल आया है। इसके साथ ही वहां स्थिति बेहद खराब से गंभीर हो गई है।
रुझानों में सामने आया है कि नोएडा की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,900 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 14 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 32 गुणा खराब है।
गौरतलब है कि कल देश में मुजफ्फरनगर की हवा सबसे ज्यादा खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 दर्ज किया गया था। हालांकि आज 98 अंकों के सुधार के साथ मुजफ्फरनगर में एक्यूआई घटकर 302 पर पहुंच गया है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है। 82 अंकों के उछाल के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 431 पर पहुंच गया। इसके साथ ही दिल्ली में एक बार फिर वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' से गंभीर श्रेणी में पहुंच गई। चिंता की बात यह है कि दिल्ली में अभी भी प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ मानकों से 2700 फीसदी अधिक है।
गौरतलब है कि इससे पहले 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया। हालांकि आज उस रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिल्ली में सूचकांक 431 दर्ज किया गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 13 दिसंबर, 2025 को 251 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 3.6 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 22.3 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 74.1 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। बता दें कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 28.6 फीसदी का इजाफा हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से आठ फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इनकी संख्या में भी कल से चार फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। वहीं दूसरी तरफ खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में 30 फीसदी का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता की बात है।
वहीं दूसरी तरफ देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में कल से 20 फीसदी की गिरावट आई है। इसके साथ ही दिल्ली सहित पांच शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 214 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा (442) दूसरे जबकि दिल्ली (431) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 430 अंकों के साथ गाजियाबाद चौथे स्थान पर है। पानीपत-धारूहेड़ा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 426 और 368 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
बल्लभगढ़ (356) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में हापुड़ (355), मेरठ (355), बहादुरगढ़ (353) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के पांच (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ) और हरियाणा के भी चार शहर (पानीपत, धारूहेड़ा, बल्लभगढ़, बहादुरगढ़) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, दिल्ली, धारूहेड़ा, हापुड़, बहादुरगढ़, मानेसर, जींद, बुलंदशहर, गुरुग्राम, भिवाड़ी, अमृतसर, मुजफ्फरनगर, कैथल, खुर्जा, रोहतक, हल्दिया, कुरुक्षेत्र, बिलीपाड़ा, तालचेर, बालासोर, सासाराम, चरखी दादरी, आसनसोल, करनाल, सोनीपत, बद्दी, हावड़ा, यमुना नगर, गुम्मिडीपूंडी, बक्सर, छपरा, ब्यासनगर, प्रयागराज, फतेहाबाद, आरा, बेगूसराय, लखनऊ, बिहार शरीफ, पंचगांव, पटना, बारबिल, मंडीखेड़ा, हाजीपुर, नारनौल, समस्तीपुर, कोलकाता, दुर्गापुर, सिंगरौली, सांगली, बैरकपुर, राजगीर, चंडीगढ़, ग्वालियर, भोपाल, बारीपदा, मुंगेर, पलवल, खन्ना, बर्नीहाट, भरतपुर, नाहरलागुन, तिरुमाला, जोधपुर, पंचकुला, तिरुपुर, उल्हासनगर, वृंदावन, कानपुर, जलगांव, भीलवाड़ा, भिवानी, कोयंबटूर, कटनी, मुरादाबाद आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं गाजियाबाद, पानीपत, बल्लभगढ़, मेरठ, मंडीदीप, पिंपरी-चिंचवाड़, श्री गंगानगर, विशाखापत्तनम, वाराणसी, फरीदाबाद, धनबाद, झुंझुनू, चूरू, पुणे, टोंक, सीकर, आगरा, कल्याण, पटियाला, गया, जयपुर, कोटा, नागौर, बीकानेर, श्री विजयनगर पुरम, जालौर, हनुमानगढ़, अमरावती (आंध्रप्रदेश), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), औरंगाबाद (बिहार), हिसार, गुवाहाटी, रतलाम, तिरुवनंतपुरम, क्योंझर, परभनी, जैसलमेर, अहमदाबाद, चंद्रपुर, नवी मुंबई, बूंदी, भिवंडी, चेन्नई, अंकलेश्वर, लुधियाना, महाद, सवाई माधोपुर, बदलापुर, रायरंगपुर, बारां, नासिक, राउरकेला, बोइसर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है।
इन शहरों के विपरीत देश के 3.6 फीसदी यानी महज नौ शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में चिक्कमगलुरु, दमोह, कलबुर्गी, किशनगंज, कुंजेमुरा, शिलांग, तिरुनेलवेली आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन 56 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें कटिहार, कोहिमा, कोल्हापुर, कोप्पल, कोरबा, मदिकेरी, मैहर, मंगुराहा, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, ऊटी, पेरुंदुरई, प्रतापगढ़, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, राजसमंद, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सागर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, सूरत, तंजावुर, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, तुमडीह, वापी, विजयवाड़ा आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 117 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अंबाला, अंगुल, अंकलेश्वर, अररिया, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बारां, बरेली, बारीपदा, बाड़मेर, बठिंडा, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भिवानी, भोपाल, बीकानेर, बिलासपुर, बोइसर, बूंदी, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेन्नई, छाल, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, दौसा, देहरादून, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गुवाहाटी, ग्वालियर, हनुमानगढ़, हिसार, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, जोधपुर, कल्याण, कानपुर, करूर, कटनी, क्योंझर, खन्ना, कोटा, लातूर, लुधियाना, मदुरै, महाद, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूरु, नागांव, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नाहरलागुन, नलबाड़ी, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पलवल, पंचकुला, परभनी, पटियाला, पीथमपुर, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, रतलाम, राउरकेला, सलेम, सवाई माधोपुर, सीकर, सिवान, सोलापुर, श्री विजयनगर पुरम, सुआकाती, टेन्सा, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, तिरुमाला, तिरुपुर, उदयपुर, उल्हासनगर, वातवा, विरार, वृंदावन शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 52 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में आरा, आसनसोल, बद्दी, बालासोर, बारबिल, बैरकपुर, बेगूसराय, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बिलीपाड़ा, बक्सर, ब्यासनगर, चरखी दादरी, छपरा, चूरू, कटक, धनबाद, दुर्गापुर, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुम्मिडीपूंडी, हाजीपुर, हल्दिया, हावड़ा, झुंझुनू, कैथल, करनाल, खुर्जा, कोलकाता, कुरुक्षेत्र, लखनऊ, मंडीदीप, मंडीखेड़ा, नारनौल, पंचगांव, पटना, पिंपरी-चिंचवाड़, प्रयागराज, पुणे, राजगीर, रोहतक, समस्तीपुर, सांगली, सासाराम, सिंगरौली, सोनीपत, श्री गंगानगर, तालचेर, टोंक, वाराणसी, विशाखापत्तनम, यमुना नगर शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के 12 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में अमृतसर, बहादुरगढ़, बल्लभगढ़, भिवाड़ी, बुलंदशहर, धारूहेड़ा, गुरुग्राम, हापुड़, जींद, मानेसर, मेरठ, मुजफ्फरनगर शामिल हैं। वहीं पांच शहरों दिल्ली, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, नोएडा, पानीपत में स्थिति गंभीर बनी हुई है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 251 में से महज 9 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 56 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 12 दिसंबर 2025 को यह आंकड़ा 61 दर्ज किया गया था।
117 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज नोएडा (455) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 460 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल से नोएडा में प्रदूषण के स्तर में 69 अंकों का उछाल आया है। नोएडा में वायु गुणवत्ता अभी भी 'बेहद खराब' श्रेणी में बनी हुई है।
गौरतलब है कि कल देश में मुजफ्फरनगर की हवा सबसे ज्यादा खराब थी, जब एक्यूआई बढ़कर 400 तक पहुंच गया था। वहीं आज मुजफ्फरनगर में प्रदूषण के स्तर में 98 अंकों का भारी सुधार आया है, जिसके बाद एक्यूआई घटकर 302 तक पहुंच गया।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में अच्छा खासा इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 431 पर पहुंच गया।
इसी तरफ फरीदाबाद में कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां 10 अंकों के उछाल के साथ एक्यूआई बढ़कर 214 रिकॉर्ड किया गया। मतलब की फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता आज भी खराब श्रेणी में बनी हुई है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 13 दिसंबर को गाजियाबाद चौथे स्थान पर है, वहीं ग्रेटर नोएडा (442) दूसरे, जबकि दिल्ली (431) तीसरे स्थान पर है। अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 199, गाजियाबाद में 430, गुवाहाटी में 151, गुरूग्राम में 322, नोएडा में 455, ग्रेटर नोएडा में 442 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 115 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 230, चेन्नई में 134, चंडीगढ़ में 199, हैदराबाद में 103, जयपुर में 178 और पटना में 226 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन नौ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, चामराजनगर, चिक्कमगलुरु, दमोह, कलबुर्गी, किशनगंज, कुंजेमुरा, शिलांग, तिरुनेलवेली शामिल हैं।
वहीं अगरतला, अहमदनगर, अकोला, अमरावती (महाराष्ट्र), अनंतपुर, अरियालुर, बेलापुर, भिलाई, ब्रजराजनगर, कुड्डालोर, देवास, धारवाड़, गोरखपुर, हुबली, झांसी, कडप्पा, कन्नूर, करौली, काशीपुर, कटिहार, कोहिमा, कोल्हापुर, कोप्पल, कोरबा, मदिकेरी, मैहर, मंगुराहा, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, ऊटी, पेरुंदुरई, प्रतापगढ़, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, राजसमंद, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सागर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, सूरत, तंजावुर, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, तुमडीह, वापी, विजयवाड़ा, विरुधुनगर, यादगीर आदि 56 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:
मुजफ्फरनगर में बढ़कर 400 पर पहुंचा एक्यूआई, दिल्ली-एनसीआर में फिर बिगड़े हालात