
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 25 फरवरी 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में दिल्ली की हवा सबसे ज्यादा खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 247 रिकॉर्ड किया गया है। कल (25 फरवरी 2025) से देखें तो दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 39 अंकों का इजाफा हुआ है।
प्रदूषण के मामले में मेघालय का शहर बर्नीहाट दूसरे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 228 रिकॉर्ड किया गया। कमोबेश ऐसी ही स्थिति हाजीपुर की है जो 221 अंकों के साथ आज प्रदूषण के मामले में तीसरे पायदान पर है। 217 अंकों के साथ बालासोर देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर रहा। गुरूग्राम-गाजियाबाद में भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है, जो प्रदूषण के मामले में पांचवें और छठे स्थान पर है। सहरसा (207) सातवें, जबकि बारीपदा (206) आठवें स्थान पर बना हुआ है।
वहीं हसन और मोतिहारी नौवें और दसवें स्थान पर हैं, जहां वायु गुणवत्ता खराब बनी हुई है। इन दस शहरों में वायु गुणवत्ता खराब बनी हुई है। कल से देखें तो देश में खराब हवा वाले शहरों की गिनती में 11 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ देश में मैहर की हवा सबसे साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 30 रिकॉर्ड किया गया है। ऐसे में यदि दिल्ली की तुलना मैहर से करें तो वहां स्थिति सात गुणा ज्यादा खराब है। मैहर की तरह ही देश के 18 शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में चामराजनगर, दमोह, हुबली, जालंधर, झांसी, कलबुर्गी, मदिकेरी, मैहर, नगांव, नाहरलगुन, रामनाथपुरम आदि शामिल हैं। हालांकि कल से तुलना करें तो देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में पांच फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
रुझानों के मुताबिक देश में गंगटोक सहित 93 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है। इन शहरों में राजसमंद, रामनगर, रानीपेट, ऋषिकेश, रूपनगर, सागर, सलेम, सांगली, सतना, सिलचर, सिरोही, सिवान, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, उडुपी, उज्जैन, वाराणसी, वातवा, विजयवाड़ा, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम, वृंदावन आदि शामिल हैं।
चिंता की बात यह है कि साफ हवा वाले शहरों की तरह ही देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों में करीब 14 फीसदी की गिरावट आई है।
रुझानों में यह भी सामने आया है कि अगरतला सहित देश के छोटे बड़े 115 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है।
इन शहरों में भुवनेश्वर, बीकानेर, बिलीपाड़ा, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, बूंदी, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चरखी दादरी, चित्तौड़गढ़, चुरू, कटक, दौसा, धनबाद, धौलपुर, डिंडीगुल, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फरीदाबाद, गया, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, ग्वालियर, हल्दिया आदि शामिल हैं। कल से देखें तो मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 21 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।
आंकड़ों के मुताबिक देश के जहां करीब आठ फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं दूसरी तरफ 53 फीसदी में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। वहीं 39 फीसदी शहरों में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है।
कुल मिलाकर देखें तो देश के 236 में से महज 18 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 93 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 25 फरवरी 2025 को यह आंकड़ा 108 दर्ज किया गया।
115 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में दिल्ली (247) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां आज एक्यूआई 250 के करीब पहुंच गया। वहीं कल कुंजेमुरा में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 282 दर्ज किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 39 अंकों का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर बिगड़कर 247 पर पहुंच गया, इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर बिगड़कर खराब श्रेणी में पहुंच गया है।
गौरतलब है कि जनवरी 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था।
देखा जाए तो प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। प्रदूषण के मामले में आज बालासोर चौथे स्थान पर है, वहीं बर्नीहाट (228) दूसरे, जबकि हाजीपुर (221) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 122, गाजियाबाद में 210, गुरुग्राम में 212, नोएडा में 163, ग्रेटर नोएडा में 158 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 132 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 173, चेन्नई में 88, चंडीगढ़ में 126, हैदराबाद में 84, जयपुर में 113 और पटना में 182 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 18 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अमृतसर, अरियालूर, बेलगाम, चामराजनगर, दमोह, हुबली, जालंधर, झांसी, कलबुर्गी, मदिकेरी, मैहर, नगांव, नाहरलगुन, रामनाथपुरम, शिवसागर, श्री विजयापुरम, तिरुनेलवेली, विजयपुरा शामिल हैं।
वहीं आगरा, आइजोल, अकोला, अलवर, अमरावती, अमरावती, अनंतपुर, अंकलेश्वर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बरेली, बठिंडा, बेंगलुरु, भरतपुर, भिलाई, भोपाल, बिलासपुर, बोईसर, चंद्रपुर, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चित्तूर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, देहरादून, देवास, धारवाड़, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गंगटोक, हनुमानगढ़, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, कडपा, कांचीपुरम, कन्नूर, करौली, करूर, कारवार, कटिहार, खन्ना, कोहिमा, कोलार, कोल्हापुर, कोरबा, लातूर, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, मुरादाबाद, मैसूर, नलबाड़ी, ऊटी, पालकालाइपेरुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, रामनगर, रानीपेट, ऋषिकेश, रूपनगर, सागर, सलेम, सांगली, सतना, सिलचर, सिरोही, सिवान, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, उडुपी, उज्जैन, वाराणसी, वातवा, विजयवाड़ा, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम, वृंदावन, यादगीर आदि 93 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।