छोटे शहरों में बिगड़े हालात, राजस्थान के श्रीगंगानगर में स्थिति सबसे ज्यादा खराब

प्रदूषण के मामले में श्रीगंगानगर की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 224 दर्ज किया गया
छोटे शहरों में बिगड़े हालात, राजस्थान के श्रीगंगानगर में स्थिति सबसे ज्यादा खराब
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प्रदूषण के मामले में देश में छोटे शहरों की स्थिति कहीं ज्यादा खराब है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 03 मार्च 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक श्रीगंगानगर की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 224 दर्ज किया गया।

वहीं प्रदूषण के मामले में अंगुल आज दूसरे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 223 दर्ज किया गया। तीसरे स्थान पर मौजूद राउरकेला में भी वायु गुणवत्ता 'खराब' बनी हुई है, जहां एक्यूआई 212 रिकॉर्ड किया गया। देश के इन तीनों शहरों में वायु गुणवत्ता 'खराब' बनी हुई है, जहां एक्यूआई 200 के पार है। हालांकि कल से देखें तो देश में 'खराब' हवा वाले शहरों की गिनती में 25 फीसदी की गिरावट आई है।

रुझानों की मानें तो देश में बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों में स्थिति कहीं ज्यादा खराब है। वहीं प्रदूषण के मामले में आज गाजियाबाद (196) चौथे, जबकि तालचेर (195) पांचवें स्थान पर है।

वहीं दूसरी तरफ नागपट्टिनम की हवा सबसे साफ है, जहां एक्यूआई 24 रिकॉर्ड किया गया है। ऐसे में यदि श्रीगंगानगर की तुलना नागपट्टिनम से करें तो वहां स्थिति आठ गुणा ज्यादा खराब है।

नागपट्टिनम की तरह ही देश के 29 अन्य शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में बठिंडा, चामराजनगर, कुड्डालोर, दमोह, हुबली, झांसी, कडपा, कांचीपुरम, करूर, कटिहार, कोप्पल, मदिकेरी, मदुरै, मैहर, नागपट्टिनम, पालकलाईपेरुर, प्रयागराज, पुदुचेरी आदि शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल  (02 मार्च 2025) से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में छह फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।

कुल मिलाकर देखें तो देश के 13 फीसदी शहरों में हवा साफ बनी हुई है। वहीं 45 फीसदी में हालात चिंताजनक हैं। इसी तरह 42 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है।

रुझानों के मुताबिक देश में आगरा सहित 95 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक बना हुआ है।

इन शहरों में कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोरबा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, मेरठ, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मैसूर, नगांव, ऊटी, परभनी, पटियाला, पूर्णिया, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, रामनगर, रामनाथपुरम, रूपनगर, सागर, सहरसा, सतना, सिलचर, सिरोही, श्री विजया पुरम, सूरत, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपति, तिरुपुर, टोंक, उडुपी, उज्जैन, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम आदि शामिल हैं।

कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में एक फीसदी की मामूली गिरावट आई है।

राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो कल से प्रदूषण में 31 अंकों का इजाफा हुआ है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। दूसरी तरफ फरीदाबाद में भी वायु गुणवत्ता में पांच अंकों का इजाफा हुआ है।

दिल्ली की तरह ही देश के 98 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। इन शहरों में हाजीपुर, हापुड, हावड़ा, इंफाल, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कल्याण, कटनी, खुर्जा, किशनगंज, कोटा, कुंजेमुरा, महाड, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नलबाड़ी, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, नोएडा, पाली आदि शामिल हैं। कल से देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब सात फीसदी का इजाफा हुआ है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 228 में से महज 30 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 96 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 02 मार्च 2025 को यह आंकड़ा 97 दर्ज किया गया।

99 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में श्रीगंगानगर (224) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां आज एक्यूआई 230 के करीब पहुंच गया। वहीं कल धौलपुर में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 213 दर्ज किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। इसके साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 31 अंकों के इजाफे के साथ 156 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर अभी भी ‘मध्यम’ श्रेणी में बना हुआ है।

गौरतलब है कि जनवरी 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। प्रदूषण के मामले में आज गाजियाबाद चौथे स्थान पर है, वहीं अंगुल (223) दूसरे, जबकि राउरकेला (212) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 87, गाजियाबाद में 196, गुरुग्राम में 150, नोएडा में 185, ग्रेटर नोएडा में 134 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 111 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 87, चेन्नई में 58, चंडीगढ़ में 87, हैदराबाद में 86, जयपुर में 101 और पटना में 136 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 30 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अमरावती, बरेली, बठिंडा, चामराजनगर, कुड्डालोर, दमोह, हुबली, झांसी, कडपा, कांचीपुरम, करूर, कटिहार, कोप्पल, मदिकेरी, मदुरै, मैहर, नागपट्टिनम, पालकलाईपेरुर, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, रानीपेट, सलेम, शिवमोगा, शिवसागर, तंजावुर, थूथुकुडी, तिरुनेलवेली, वाराणसी, विजयपुरा शामिल हैं।

वहीं आगरा, आइजोल, अजमेर, अलवर, अमरावती, अमृतसर, अनंतपुर, अरियालूर, आरा, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भिलाई, बिहार शरीफ, बिलासपुर, बोईसर, चंडीगढ़, चेंगलपट्टू, चेन्नई, चिकबलपुर, चुरू, कोयंबटूर, दावनगेरे, देहरादून, धारवाड़, धुले, डिंडीगुल, डूंगरपुर, फरीदाबाद, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, हल्दिया, हनुमानगढ़, हसन, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, करौली, काशीपुर, खन्ना, कोलार, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोरबा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, मेरठ, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मैसूर, नगांव, ऊटी, परभनी, पटियाला, पूर्णिया, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, रामनगर, रामनाथपुरम, रूपनगर, सागर, सहरसा, सतना, सिलचर, सिरोही, श्री विजया पुरम, सूरत, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपति, तिरुपुर, टोंक, उडुपी, उज्जैन, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम, वृंदावन, यादगीर आदि 96 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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