प्रदूषण का गणित: नंदेसरी को पीछे छोड़ प्रदूषण में अव्वल बना बूंदी, 318 पर पहुंचा एक्यूआई

बूंदी की हवा किस कदर खराब है, इसे इसी से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से 2,000 फीसदी अधिक है
प्रदूषण का गणित: नंदेसरी को पीछे छोड़ प्रदूषण में अव्वल बना बूंदी, 318 पर पहुंचा एक्यूआई
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देश में आज बड़े शहरों को पीछे छोड़ राजस्थान के बूंदी की हवा सबसे प्रदूषित है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 318 पर पहुंच गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 26 जून 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इस दौरान बूंदी की हवा में प्रदूषण के महीन कण पीएम2.5 हावी हैं।

बूंदी की हवा किस कदर खराब है, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से 2,000 फीसदी खराब है।

गौरतलब है कि कल देश में नंदेसरी की हवा सबसे प्रदूषित थी। हालांकि आज नंदेसरी 77 अंकों के सुधार के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। बता दें कि इन दोनों शहरों की हवा में घुला जहर लोगों को बीमार बना देने के लिए काफी है।

वहीं मेघालय का बर्नीहाट आज प्रदूषण के मामले में तीसरे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 145 रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह 135 अंकों के साथ बीकानेर चौथे जबकि करौली (130) पांचवें स्थान पर है। गुम्मिडिपूंडी में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां सूचकांक 127 दर्ज किया गया। सागर प्रदूषित शहरों में सातवें जबकि ग्रेटर नोएडा (118) आठवें स्थान पर है। इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में खुर्जा (117) और लुधियाना (111) भी शामिल हैं।

विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में तीन राजस्थान के जबकि दो उत्तर प्रदेश के शहर शामिल हैं। रुझानों से यह भी पता चला है कि बीकानेर, ग्रेटर नोएडा, खुर्जा, लुधियाना, जालौर, झुंझुनूं, बद्दी आदि शहरों की हवा में पीएम10 हावी है। वहीं बूंदी, नंदेसरी, बर्नीहाट, करौली, गुम्मिडिपूंडी, सागर की हवा पीएम2.5 से चिंताजनक है।

इन शहरों के उलट आज आइजोल की हवा सबसे साफ है, जहां सूचकांक महज 12 दर्ज किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर बूंदी से इसकी तुलना करें तो वहां स्थिति 25 गुणा बेहतर है।

आइजोल की तरह ही आज देश के छोटे बड़े 105 शहरों में हवा साफ है।

इन शहरों में बठिंडा, बेलापुर, बेलगाम, भिलाई, भोपाल, बिलासपुर, बोईसर, बक्सर, चामराजनगर, चंद्रपुर, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, देहरादून, धुले, डिंडीगुल, डूंगरपुर, दुर्गापुर, एलूर, फिरोजाबाद, गोरखपुर, गुवाहाटी, हल्दिया, हावेरी, हावड़ा, हुबली, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, जलना, झांसी, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कन्नूर, करूर, काशीपुर, कटनी, खन्ना, किशनगंज आदि शामिल हैं।

अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 17 फीसदी का इजाफा हुआ है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से वहां प्रदूषण में गिरावट आई है। इसके साथ ही 37 अंकों के सुधार के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता एक बार फिर संतोषजनक हो गई है। दिल्ली की तरह ही देश के 94 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है।

इन शहरों में बेंगलुरु, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिलीपाड़ा, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चेन्नई, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चुरू, दौसा, दिल्ली, देवास, धनबाद, धारवाड़, गांधीनगर, गया, गाजियाबाद, ग्वालियर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हापुड, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, झालावाड़, जोधपुर आदि शामिल हैं।

कल दे देखें तो देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में करीब नौ फीसदी की गिरावट आई है।

आंकड़ों के मुताबिक आज देश में बद्दी सहित 11 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में बीकानेर, बर्नीहाट, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, जालौर, झुंझुनूं, करौली, खुर्जा, लुधियाना, सागर भी शामिल हैं। राहत की बात यह है कि कल से देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में भी 31 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।

विश्लेषण से पता चला है कि आज जहां देश के करीब आधे शहरों की हवा साफ है। वहीं करीब 45 फीसदी शहरों में स्थिति संतोषजनक है। दूसरी तरफ देश के छह फीसदी से अधिक शहरों में हालात चिंताजनक हैं।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 213 में से 105 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। 95 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 25 जून 2025 को यह आंकड़ा 104 दर्ज किया गया था।

11 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में बूंदी (318) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 320 के करीब पहुंच गया। कल नंदेसरी में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब सूचकांक 286 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 37 अंकों की गिरावट आई है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक सुधारकर दोबारा 95 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता एक बार फिर मध्यम से संतोषजनक श्रेणी में पहुंच गई। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज बीकानेर चौथे स्थान पर है, वहीं नंदेसरी (209) दूसरे, जबकि बर्नीहाट (145) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 83, गाजियाबाद में 94, गुवाहाटी में 40, गोरखपुर में 36, नोएडा में 80, ग्रेटर नोएडा में 118 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 64 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 62, चेन्नई में 77, चंडीगढ़ में 56, हैदराबाद में 70, जयपुर में 68 और पटना में 65 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 105 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आइजोल, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बालासोर, बांसवाड़ा, बारबिल, बारीपदा, बैरकपुर, बठिंडा, बेलापुर, बेलगाम, भिलाई, भोपाल, बिलासपुर, बोईसर, बक्सर, चामराजनगर, चंद्रपुर, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, देहरादून, धुले, डिंडीगुल, डूंगरपुर, दुर्गापुर, एलूर, फिरोजाबाद, गोरखपुर, गुवाहाटी, हल्दिया, हावेरी, हावड़ा, हुबली, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, जलना, झांसी, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कन्नूर, करूर, काशीपुर, कटनी, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, कोलकाता, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मंगलौर, मीरा-भायंदर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नलबाड़ी, नयागढ़, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पटियाला, पेरुंदुरई, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, रामनगर, रामनाथपुरम, रतलाम, सांगली, शिलांग, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, शिवसागर, सोलापुर, टेन्सा, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, तिरुमाला, तिरुपुर, तुमकुरु, वाराणसी, वेल्लोर, विजयपुरा, विरुधुनगर, यादगीर शामिल हैं।

वहीं आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अंगुल, अंकलेश्वर, अररिया, बदलापुर, बारां, बरेली, बाड़मेर, बेगूसराय, बेंगलुरु, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिलीपाड़ा, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चेन्नई, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चुरू, दौसा, दिल्ली, देवास, धनबाद, धारवाड़, गांधीनगर, गया, गाजियाबाद, ग्वालियर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हापुड, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, झालावाड़, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कानपुर, कटिहार, क्योंझर, कोहिमा, कोटा, लखनऊ, मदुरै, महाड, मालेगांव, मंडीदीप, मेरठ, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरनगर, नगांव, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नोएडा, पाली, पंचगांव, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रयागराज, पुणे, रानीपेट, राउरकेला, सलेम, समस्तीपुर, सवाई माधोपुर, शिवमोगा, सिंगरौली, सिरोही, श्री गंगानगर, सुआकाती, तालचेर, ठाणे, थूथुकुड़ी, तिरुचिरापल्ली, टोंक, तुमिडीह, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम आदि 95 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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