साफ हवा वाले शहरों में पांच फीसदी का इजाफा, ग्रेटर नोएडा-दमोह सबसे प्रदूषित

आज देश के कई छोटे-बड़े शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार आया है, लेकिन ग्रेटर नोएडा जैसे प्रदूषित शहर अभी भी स्वास्थ्य के लिए चुनौती बने हुए हैं
नोएडा के गौतम बुद्ध नगर में सेक्टर 45 के एक हॉउसिंग प्रोजेक्ट में काम करती महिला मजदूर; फोटो: विकास चौधरी
नोएडा के गौतम बुद्ध नगर में सेक्टर 45 के एक हॉउसिंग प्रोजेक्ट में काम करती महिला मजदूर; फोटो: विकास चौधरी
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सारांश
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, देश के 41.2 फीसदी शहरों में हवा साफ है, जबकि 47.5 फीसदी में स्थिति संतोषजनक है।

  • ग्रेटर नोएडा सबसे प्रदूषित शहर है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 166 दर्ज किया गया।

  • हालांकि, साफ हवा वाले शहरों की संख्या में 5% की वृद्धि हुई है, जो एक सकारात्मक संकेत है।

  • आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 8 रिकॉर्ड किया गया।

  • राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। इसके साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 105 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है।

  • वहीं फरीदाबाद की बात करें तो वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक मामूली सुधार के साथ 107 रिकॉर्ड किया गया।

  • प्रदूषण के मामले में आज मेरठ चौथे स्थान पर है, वहीं मुरादाबाद (146) दूसरे, जबकि दमोह (145) तीसरे स्थान पर है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 06 अक्टूबर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां 41.2 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

वहीं 47.5 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 11.3 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा संतोषजनक है। अच्छी खबर यह है कि देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कल से करीब पांच फीसदी का इजाफा हुआ है।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 166 दर्ज किया गया। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इस दौरान वहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) हावी रहे। रुझानों के मुताबिक वहां फिजाओं में घुला जहर इतना है कि वो लोगों को बीमार बना देने के लिए काफी है।

ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी सुरक्षित सीमा से 268 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि कल ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता का स्तर 180 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 14 अंकों का सुधार आया है।

वहीं कल देश में काशीपुर की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 203 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 79 अंकों के सुधार के साथ वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 124 पर पहुंच गया है।

दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 8 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर ग्रेटर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 20 गुणा खराब है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। इसके साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 105 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। वहीं फरीदाबाद की बात करें तो वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक मामूली सुधार के साथ 107 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में मुरादाबाद (146) दूसरे जबकि दमोह (145) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 136 अंकों के साथ मेरठ चौथे स्थान पर है। गाजियाबाद-बुलन्दशहर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 134 और 132 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज नोएडा (139) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज पानीपत (127), काशीपुर (124) और बद्दी (121) भी शामिल हैं।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आज जहां मुरादाबाद, पानीपत, काशीपुर, हापुड, नारनौल आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी है। वहीं ग्रेटर नोएडा, दमोह, मेरठ, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, नोएडा, बद्दी, मंडी गोबिंदगढ़, भिवाड़ी, लखनऊ, पलवल, फरीदाबाद, मुजफ्फरनगर, दिल्ली, गुम्मिडिपूंडी, गुरूग्राम, बागपत, सिंगरौली आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है।

इन शहरों के विपरीत आज देश के करीब 41.2 फीसदी यानी 91 शहरों में हवा साफ है।

इन साफ हवा वाले शहरों में हल्दिया, हनुमानगढ़, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जोधपुर, कलबुर्गी, कारवार, कोल्लम, कोरबा, कोटा, कुंजेमुरा, लातूर, मदुरै, महाड, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नांदेड़, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, परभनी, पटियाला, पटना आदि शामिल हैं।  

अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब पांच फीसदी का उछाल आया है। इसी तरह आज देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी इजाफा हुआ है। इन शहरों की संख्या पांच फीसदी से अधिक के उछाल के साथ बढ़कर 105 पर पहुंच गई है।

आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें नासिक, नवी मुंबई, ऊटी, पाली, पंचगांव, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, पूर्णिया, रतलाम, ऋषिकेश, रोहतक, राउरकेला, सांगली, सासाराम, सतना, सीकर, श्री गंगानगर, तालचेर, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, टोंक, तुमिडीह, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, वातवा आदि शामिल हैं।

इन शहरों के उलट आज देश के 25 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में बद्दी, बागपत, भिवाड़ी, बिलीपाड़ा, बुलन्दशहर, दमोह, दिल्ली, फरीदाबाद, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, गुरूग्राम, हापुड, काशीपुर, लखनऊ, मंडी गोबिंदगढ़, मांडीखेड़ा, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, नारनौल, नोएडा, पलवल, पानीपत, सिंगरौली शामिल हैं।

कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में कोई बदलाव नहीं आया है और स्थिति जस की तस बनी हुई है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 221 में से 91 (+4.6 फीसदी) शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 105 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 05 अक्टूबर 2025 को यह आंकड़ा 100 दर्ज किया गया था।

25 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में ग्रेटर नोएडा (166) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 170 के करीब पहुंच गया। कल काशीपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 203 रिकॉर्ड किया गया था।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। दिल्ली में 54 अंकों के सुधार के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 105 पर पहुंच गया है। इसके बावजूद दिल्ली में वायु गुणवत्ता अभी भी मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। वहीं फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक मामूली सुधार के साथ 107 पर पहुंच गया है।

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज मेरठ चौथे स्थान पर है, वहीं मुरादाबाद (146) दूसरे, जबकि दमोह (145) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 58, गाजियाबाद में 134, गुवाहाटी में 29, गुरूग्राम में 104, नोएडा में 130, ग्रेटर नोएडा में 166 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 66 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 115, चेन्नई में 53, चंडीगढ़ में 52, हैदराबाद में 72, जयपुर में 67 और पटना में 46 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 91 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अहमदाबाद, अहमदनगर, अलवर, अमरावती (महाराष्ट्र), अररिया, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागलकोट, बालासोर, बारबिल, बारीपदा, बाड़मेर, बैरकपुर, बठिंडा, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवानी, भोपाल, बूंदी, चामराजनगर, चंद्रपुर, चित्तौड़गढ़, कुड्डालोर, दौसा, दावनगेरे, देवास, डिंडीगुल, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हाजीपुर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जोधपुर, कलबुर्गी, कारवार, कोल्लम, कोरबा, कोटा, कुंजेमुरा, लातूर, मदुरै, महाड, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नांदेड़, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, परभनी, पटियाला, पटना, पुडुकोट्टई, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, रानीपेट, रूपनगर, सागर, समस्तीपुर, सवाई माधोपुर, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, सोलापुर, सूरत, तंजावुर, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, विजयपुरा शामिल हैं।

वहीं आगरा, अजमेर, अकोला, अमृतसर, अंगुल, अरियालूर, आरा, आसनसोल, बदलापुर, बहादुरगढ़, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बेगूसराय, भरतपुर, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिहारशरीफ, बीकानेर, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, चंडीगढ़, चरखी दादरी, चेंगलपट्टू, चेन्नई, चित्तूर, चुरू, कोयंबटूर, धारवाड़, धुले, दुर्गापुर, गांधीनगर, गया, ग्वालियर, होसुर, हावड़ा, हैदराबाद, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जालौर, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, जींद, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, करौली, करनाल, करूर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, लुधियाना, मदिकेरी, मैहर, मालेगांव, मंडीदीप, मानेसर, मुंबई, नगांव, नलबाड़ी, नमक्कल, नासिक, नवी मुंबई, ऊटी, पाली, पंचगांव, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, पूर्णिया, रतलाम, ऋषिकेश, रोहतक, राउरकेला, सांगली, सासाराम, सतना, सीकर, श्री गंगानगर, तालचेर, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, टोंक, तुमिडीह, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, वातवा, विजयवाड़ा, विरार, विशाखापत्तनम आदि 105 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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