
दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों को पीछे छोड़ प्रदूषण के मामले में बिहार का हाजीपुर पहले स्थान पर पहुंच गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 28 फरवरी 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक हाजीपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार पहुंच गया है, जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि वहां वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ हो चुकी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी मानकों के सन्दर्भ में देखें तो हाजीपुर में प्रदूषण 1,933 फीसदी अधिक है।
राहत की बात यह रही कल (27 फरवरी 2025) से ‘खराब’ हवा वाले शहरों की गिनती में 36 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
प्रदूषण के मामले में आज सासाराम दूसरे स्थान पर रहा, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 229 रिकॉर्ड किया गया। प्रतापगढ़ में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है, जहां एक्यूआई 223 रिकॉर्ड किया गया। वहीं 222 अंकों के साथ मंडीदीप आज प्रदूषण के मामले में चौथे स्थान पर रहा।
मेघालय के बर्नीहाट में भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है, जो पांचवें स्थान पर बना हुआ है, जहां एक्यूआई 212 रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह अंगुल, आसनसोल और लखनऊ में भी वायु गुणवत्ता 'खराब' बनी हुई है। कुल मिलाकर देश के सात शहरों में वायु गुणवत्ता 'खराब' बनी हुई है।
वहीं दूसरी तरफ देश में ऋषिकेश की हवा सबसे साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 21 दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि हाजीपुर की तुलना ऋषिकेश से करें तो वहां स्थिति 14 गुणा खराब है। ऋषिकेश की तरह ही देश के 22 अन्य शहरों में हवा साफ है।
इन शहरों में मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, मैसूर, पटियाला, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, रूपनगर, श्री विजया पुरम, थूथुकुडी आदि शामिल हैं। अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 100 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।
राजधानी दिल्ली में भी कल से प्रदूषण में अच्छी खासी गिरावट आई है, जहां 94 अंकों के सुधार के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 121 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'खराब' से मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है। दिल्ली की तरह ही देश के छोटे बड़े 115 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में गांधीनगर, गया, गाजियाबाद, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, गुरूग्राम, गुवाहाटी, ग्वालियर, हल्दिया, हावड़ा, इंदौर, जयपुर, जलगांव, जलना, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कलबुर्गी, कल्याण, कानपुर, करौली, कटनी, क्योंझर, किशनगंज, कोलकाता, कोरबा, कोटा, कुंजेमुरा, महाड, मालेगांव, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर आदि शामिल हैं।
कल से देखें तो इन शहरों की गिनती में आठ फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।
दिल्ली के पड़ोसी शहर फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में गिरावट दर्ज की गई है, जहां 43 अंकों की गिरावट के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 79 पर पहुंच गया। मतलब की फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता मध्यम से संतोषजनक हो गई है।
फरीदाबाद की तरह ही देश के 85 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। इनमे कटिहार, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोलार, कोल्हापुर, कोल्लम, लातूर, लुधियाना, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, नगांव, नाहरलगुन, नोएडा, ऊटी, परभनी, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, राजसमंद, रामनगर, रानीपेट, सागर, सलेम, सांगली, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, शिवसागर आदि शहर शामिल हैं।
चिंता की बात यह है कि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 15 फीसदी की गिरावट आई है।
रुझानों पर नजर डालें तो जहां देश के करीब दस फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 53 फीसदी से ज्यादा शहरों में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। करीब 37 फीसदी शहरों में स्थिति संतोषजनक है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 233 में से महज 23 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 86 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 27 फरवरी 2025 को यह आंकड़ा 101 दर्ज किया गया।
116 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में हाजीपुर (305) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां आज एक्यूआई 310 के करीब पहुंच गया। वहीं कल भी हाजीपुर में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 272 दर्ज किया गया।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 94 अंकों की भारी गिरावट आई है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर गिरकर 121 पर पहुंच गया। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर सुधरकर ‘खराब’ से ‘मध्यम’ श्रेणी में पहुंच गया है।
गौरतलब है कि जनवरी 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। प्रदूषण के मामले में आज मंडीदीप चौथे स्थान पर है, वहीं सासाराम (229) दूसरे, जबकि प्रतापगढ़ (223) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 79, गाजियाबाद में 141, गुरुग्राम में 128, नोएडा में 96, ग्रेटर नोएडा में 96 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 137 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 201, चेन्नई में 81, चंडीगढ़ में 57, हैदराबाद में 94, जयपुर में 113 और पटना में 188 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 23 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अमृतसर, अरियालूर, बरेली, चामराजनगर, कुड्डालोर, दमोह, देहरादून, जालंधर, झांसी, मदिकेरी, मैहर, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, मैसूर, पटियाला, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, रूपनगर, श्री विजया पुरम, थूथुकुडी, विजयपुरा शामिल हैं।
वहीं अगरतला, आगरा, आइजोल, अजमेर, अलवर, अमरावती, अमरावती, अनंतपुर, बद्दी, बठिंडा, बेलगाम, बेंगलुरु, भरतपुर, भिलाई, भिवाड़ी, बिलासपुर, बुलन्दशहर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चरखी दादरी, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चित्तूर, चुरू, कोयंबटूर, दावनगेरे, धारवाड़, डिंडीगुल, एलूर, फरीदाबाद, फिरोजाबाद, ग्रेटर नोएडा, हापुड, हसन, हुबली, हैदराबाद, जबलपुर, जैसलमेर, जालौर, कडपा, कन्नूर, करूर, कारवार, कटिहार, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोलार, कोल्हापुर, कोल्लम, लातूर, लुधियाना, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, नगांव, नाहरलगुन, नोएडा, ऊटी, परभनी, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, राजसमंद, रामनगर, रानीपेट, सागर, सलेम, सांगली, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, शिवसागर, श्रीगंगानगर, सूरत, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, उडुपी, वाराणसी, विजयवाड़ा, विरुधुनगर आदि 86 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।