हवा का हाल: नलबाड़ी में बढ़ते ओजोन सांस लेना हुआ दुश्वार, 305 पर पहुंचा एक्यूआई

दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 10 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नलबाड़ी की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 30 गुणा खराब है
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक
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सारांश
  • नलबाड़ी में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है, जहां एक्यूआई 305 तक पहुंच गया है। ओजोन के महीन कणों के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया है।

  • देश के अन्य शहरों में हवा की गुणवत्ता में सुधार देखा गया है, लेकिन नलबाड़ी में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 400 फीसदी अधिक है।

  • विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां 39 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 56 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 5 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।

  • दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 10 रिकॉर्ड किया गया।

  • आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में बाड़मेर (196) दूसरे जबकि गुम्मिडिपूंडी (150) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 137 अंकों के साथ जालौर चौथे स्थान पर है।

  • राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। इसके साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 72 पर पहुंच गया। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता मध्यम से संतोषजनक श्रेणी में पहुंच गई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 07 अक्टूबर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां 39 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

वहीं 56 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 5 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा संतोषजनक है। अच्छी खबर यह है कि देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से करीब 25 फीसदी का इजाफा हुआ है।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज प्रदूषण के मामले में नलबाड़ी की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 305 दर्ज किया गया। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में है। इस दौरान वहां की हवा में ओजोन के महीन कण हावी रहे।

रुझानों के मुताबिक वहां फिजाओं में घुला जहर इतना है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

नलबाड़ी में प्रदूषण से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी सुरक्षित सीमा से 400 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि कल नलबाड़ी में वायु गुणवत्ता का स्तर 81 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 224 अंकों का भारी उछाल आया है।

वहीं कल देश में ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 166 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 114 अंकों के सुधार के साथ वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 52 पर पहुंच गया है।

दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 10 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नलबाड़ी की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 30 गुणा खराब है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। इसके साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 72 पर पहुंच गया। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता मध्यम से संतोषजनक श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं फरीदाबाद की बात करें तो वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक मामूली इजाफे के साथ 108 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में बाड़मेर (196) दूसरे जबकि गुम्मिडिपूंडी (150) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 137 अंकों के साथ जालौर चौथे स्थान पर है। विशाखापत्तनम-बर्नीहाट में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 125 और 122 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज धनबाद (120) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज पाली (109), फरीदाबाद (108) और करनाल (107) भी शामिल हैं।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आज जहां गुम्मिडिपूंडी, बर्नीहाट आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी है। वहीं बाड़मेर, जालौर, विशाखापत्तनम, पाली, फरीदाबाद, करनाल, श्री गंगानगर, सिवान आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है।

इन शहरों के विपरीत आज देश के करीब 39 फीसदी यानी 91 शहरों में हवा साफ है।

इन साफ हवा वाले शहरों में कानपुर, करौली, करूर, कारवार, काशीपुर, खुर्जा, कोल्हापुर, कोरबा, कुंजेमुरा, कुरूक्षेत्र, लातूर, मदुरै, महाड, मंडी गोबिंदगढ़, मानेसर, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नाहरलगुन, नांदेड़, नासिक, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, पानीपत, पटियाला, प्रयागराज, पुडुकोट्टई आदि शामिल हैं।  

कल से तुलना करें तो देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस बनी हुई है। दूसरी तरह आज देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में इजाफा हुआ है। इन शहरों की संख्या 25 फीसदी के उछाल के साथ बढ़कर 131 पर पहुंच गई है।

आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हावड़ा, हैदराबाद, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कैथल, कन्नूर, कटनी, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोहिमा, कोलकाता, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मैहर, मालेगांव, मंडीदीप, मांडीखेड़ा, मेरठ, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरनगर, नगांव, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नमक्कल, नारनौल, नवी मुंबई, नोएडा, पंचगांव आदि शामिल हैं।

इन शहरों के उलट आज देश के 11 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में बाड़मेर, बर्नीहाट, धनबाद, फरीदाबाद, गुम्मिडिपूंडी, जालौर, करनाल, पाली, सिवान, श्री गंगानगर, विशाखापत्तनम शामिल हैं।

कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 56 फीसदी की गिरावट आई है, जोकि अच्छी खबर है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 234 में से 91 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 131 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 06 अक्टूबर 2025 को यह आंकड़ा 105 दर्ज किया गया था।

11 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में नलबाड़ी (305) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 310 के करीब पहुंच गया। कल ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 166 रिकॉर्ड किया गया था।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। दिल्ली में 32 अंकों के सुधार के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 73 पर पहुंच गया है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी से संतोषजनक हो गई है। वहीं फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक एक अंक के मामूली उछाल के साथ 108 पर पहुंच गया है।

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज जालौर चौथे स्थान पर है, वहीं बाड़मेर (196) दूसरे, जबकि गुम्मिडिपूंडी (150) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 59, गाजियाबाद में 74, गुवाहाटी में 48, गुरूग्राम में 58, नोएडा में 68, ग्रेटर नोएडा में 52 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 54 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 70, चेन्नई में 89, चंडीगढ़ में 31, हैदराबाद में 73, जयपुर में 57 और पटना में 63 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 91 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अहमदाबाद, अहमदनगर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अररिया, अरियालूर, बागलकोट, बालासोर, बल्लभगढ़, बरेली, बठिंडा, बेलापुर, भिलाई, भोपाल, बिलासपुर, बोईसर, बुलन्दशहर, बूंदी, चामराजनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चरखी दादरी, चुरू, कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, देहरादून, फिरोजाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हावेरी, होसुर, हुबली, इंदौर, जलगांव, झांसी, जींद, कलबुर्गी, कल्याण, कानपुर, करौली, करूर, कारवार, काशीपुर, खुर्जा, कोल्हापुर, कोरबा, कुंजेमुरा, कुरूक्षेत्र, लातूर, मदुरै, महाड, मंडी गोबिंदगढ़, मानेसर, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नाहरलगुन, नांदेड़, नासिक, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, पानीपत, पटियाला, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, रानीपेट, ऋषिकेश, रूपनगर, सागर, सहरसा, सवाई माधोपुर, शिलांग, शिवमोगा, सीकर, सिरसा, शिवसागर, सूरत, त्रिशूर, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, विजयपुरा, विरुधुनगर, वृंदावन, यादगीर शामिल हैं।

वहीं आगरा, अजमेर, अकोला, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अनंतपुर, अंगुल, अंकलेश्वर, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बागपत, बहादुरगढ़, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बारीपदा, बैरकपुर, बेगूसराय, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बीकानेर, बिलीपाड़ा, ब्रजराजनगर, बक्सर, ब्यासनगर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, दिल्ली, देवास, धारूहेड़ा, धौलपुर, धुले, डिंडीगुल, डूंगरपुर, दुर्गापुर, एलूर, गांधीनगर, गया, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हावड़ा, हैदराबाद, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कैथल, कन्नूर, कटनी, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोहिमा, कोलकाता, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मैहर, मालेगांव, मंडीदीप, मांडीखेड़ा, मेरठ, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरनगर, नगांव, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नमक्कल, नारनौल, नवी मुंबई, नोएडा, पंचगांव, परभनी, पटना, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, पुणे, पूर्णिया, रायरंगपुर, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, समस्तीपुर, सांगली, सासाराम, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सिरोही, सोलापुर, तालचेर, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपति, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, वातवा, विजयवाड़ा आदि 131 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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