
भारत में वायु गुणवत्ता की स्थिति बेहद खराब है। हालात यह हैं कि देश के अधिकांश शहरों में हवा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी वायु गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 27 मार्च 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में हाजीपुर की हवा सबसे ज्यादा खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 328 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि डब्ल्यूएचओ मानकों के लिहाज से देखें तो बिहार के इस शहर में प्रदूषण का स्तर 2,086 फीसदी अधिक है।
इसी तरह प्रदूषण के मामले में आज गाजियाबाद दूसरे स्थान पर रहा, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 311 रिकॉर्ड किया गया है। दोनों शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। मतलब कि इन शहरों की हवा में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
प्रदूषण के मामले में कटक (282) तीसरे, जबकि गुरूग्राम (274) चौथे स्थान पर है। श्रीगंगानगर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां एक्यूआई 274 रिकॉर्ड किया गया है, जो प्रदूषण के मामले में आज पांचवें स्थान पर है।
बागपत में भी एक्यूआई 273 पर बना हुआ है, जो प्रदूषण के मामले में आज छठे स्थान पर है। इसी तरह नलबाड़ी में सूचकांक 263 दर्ज किया गया। वहीं प्रदूषण के मामले में कुंजेमुरा देश के सबसे प्रदूषित शहरों में आठवें स्थान पर है, जहां एक्यूआई 260 रिकॉर्ड किया गया है। राजधानी दिल्ली भी पीछे नहीं है जहां एक्यूआई 259 दर्ज किया गया है। इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में औरंगाबाद (बिहार) दसवें स्थान पर है, जहां एक्यूआई 248 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों के मुताबिक देश के 17 शहरों में एक्यूआई 'खराब' बना हुआ है। इनमें गुवाहाटी, सिंगरौली, बर्नीहाट, मोतिहारी, दुर्गापुर, पटना, सिलीगुड़ी, बुलन्दशहर, सासाराम आदि शहर शामिल हैं। कल से देखें तो देश में खराब हवा वाले शहरों की गिनती में कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस है।
वहीं दूसरी तरफ देश में बेलगाम की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 36 रिकॉर्ड किया गया है। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर हाजीपुर की तुलना बेलगाम से करें तो वहां स्थिति आठ गुणा खराब है।
बेलगाम की तरह ही देश के 14 अन्य शहरों में हवा साफ बनी हुई है। इन शहरों में हुबली, कलबुर्गी, करूर, कोप्पल, मीरा-भायंदर, पालकालाइपेरुर, रामनाथपुरम, श्री विजया पुरम, सूरत आदि शामिल हैं। राहत की बात यह है कि कल से साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है।
रुझानों के मुताबिक देश में अगरतला सहित 94 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है।
इन शहरों में कटिहार, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, लातूर, लुधियाना, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मुंबई, मैसूर, नागपट्टिनम, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, पुदुचेरी, पुदूकोट्टई, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनगर, रानीपेट, ऋषिकेश, सागर, सलेम, सतना, शिवमोगा, सिलचर आदि शहर शामिल हैं। कल से संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में चार फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।
दिल्ली के पड़ोसी शहर फरीदाबाद की बात करें तो कल से सूचकांक में 24 अंकों का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 102 पर पहुंच गया है। मतलब फरीदाबाद की वायु गुणवत्ता संतोषजनक से मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है।
गौरतलब है कि फरवरी और जनवरी 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। प्रदूषण के मामले में आज गुरूग्राम चौथे स्थान पर है, वहीं गाजियाबाद (311) दूसरे, जबकि कटक (282) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 102, गाजियाबाद में 311, गुरुग्राम में 274, नोएडा में 176, ग्रेटर नोएडा में 182 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 59 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 163, चेन्नई में 77, चंडीगढ़ में 117, हैदराबाद में 95, जयपुर में 126 और पटना में 229 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 15 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें बागलकोट, बठिंडा, बेलगाम, चामराजनगर, दावनगेरे, हुबली, कलबुर्गी, करूर, कोप्पल, मीरा-भायंदर, पालकालाइपेरुर, रामनाथपुरम, श्री विजया पुरम, सूरत, तिरुनेलवेली शामिल हैं।
वहीं अगरतला, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अमरावती, अनंतपुर, अंकलेश्वर, अरियालूर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बेलापुर, बेंगलुरु, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवंडी, बिलासपुर, बोईसर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिक्कामगलुरु, चुरू, कोयंबटूर, दमोह, देहरादून, धारवाड़, धुले, डिंडीगुल, एलूर, गांधीनगर, हल्दिया, हावेरी, होसुर, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जलगांव, जालौर, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कन्नूर, कटिहार, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, लातूर, लुधियाना, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मुंबई, मैसूर, नागपट्टिनम, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, पुदुचेरी, पुदूकोट्टई, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनगर, रानीपेट, ऋषिकेश, सागर, सलेम, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, शिवसागर, सोलापुर, ठाणे, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, उदयपुर, उज्जैन, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, वातवा, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम, यादगीर आदि 94 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
भारत में वायु गुणवत्ता की स्थिति बेहद खराब है। हालात यह हैं कि देश के अधिकांश शहरों में हवा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी वायु गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 27 मार्च 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में हाजीपुर की हवा सबसे ज्यादा खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 328 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि डब्ल्यूएचओ मानकों के लिहाज से देखें तो बिहार के इस शहर में प्रदूषण का स्तर 2,086 फीसदी अधिक है।
इसी तरह प्रदूषण के मामले में आज गाजियाबाद दूसरे स्थान पर रहा, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 311 रिकॉर्ड किया गया है। दोनों शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। मतलब कि इन शहरों की हवा में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
प्रदूषण के मामले में कटक (282) तीसरे, जबकि गुरूग्राम (274) चौथे स्थान पर है। श्रीगंगानगर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां एक्यूआई 274 रिकॉर्ड किया गया है, जो प्रदूषण के मामले में आज पांचवें स्थान पर है।
बागपत में भी एक्यूआई 273 पर बना हुआ है, जो प्रदूषण के मामले में आज छठे स्थान पर है। इसी तरह नलबाड़ी में सूचकांक 263 दर्ज किया गया। वहीं प्रदूषण के मामले में कुंजेमुरा देश के सबसे प्रदूषित शहरों में आठवें स्थान पर है, जहां एक्यूआई 260 रिकॉर्ड किया गया है। राजधानी दिल्ली भी पीछे नहीं है जहां एक्यूआई 259 दर्ज किया गया है। इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में औरंगाबाद (बिहार) दसवें स्थान पर है, जहां एक्यूआई 248 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों के मुताबिक देश के 17 शहरों में एक्यूआई 'खराब' बना हुआ है। इनमें गुवाहाटी, सिंगरौली, बर्नीहाट, मोतिहारी, दुर्गापुर, पटना, सिलीगुड़ी, बुलन्दशहर, सासाराम आदि शहर शामिल हैं। कल से देखें तो देश में खराब हवा वाले शहरों की गिनती में कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस है।
वहीं दूसरी तरफ देश में बेलगाम की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 36 रिकॉर्ड किया गया है। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर हाजीपुर की तुलना बेलगाम से करें तो वहां स्थिति आठ गुणा खराब है।
बेलगाम की तरह ही देश के 14 अन्य शहरों में हवा साफ बनी हुई है। इन शहरों में हुबली, कलबुर्गी, करूर, कोप्पल, मीरा-भायंदर, पालकालाइपेरुर, रामनाथपुरम, श्री विजया पुरम, सूरत आदि शामिल हैं। राहत की बात यह है कि कल से साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है।
रुझानों के मुताबिक देश में अगरतला सहित 94 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है।
इन शहरों में कटिहार, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, लातूर, लुधियाना, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मुंबई, मैसूर, नागपट्टिनम, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, पुदुचेरी, पुदूकोट्टई, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनगर, रानीपेट, ऋषिकेश, सागर, सलेम, सतना, शिवमोगा, सिलचर आदि शहर शामिल हैं। कल से संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में चार फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।
दिल्ली के पड़ोसी शहर फरीदाबाद की बात करें तो कल से सूचकांक में 24 अंकों का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 102 पर पहुंच गया है। मतलब फरीदाबाद की वायु गुणवत्ता संतोषजनक से मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है।
फरीदाबाद की तरह ही देश के 106 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर मध्यम श्रेणी में बना हुआ है। इन शहरों में भोपाल, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बीकानेर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, छपरा, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कुड्डालोर, दौसा, देवास, धनबाद, धौलपुर, डूंगरपुर, फरीदाबाद, फिरोजाबाद, गंगटोक, गया, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, हनुमानगढ़, हावड़ा, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलना, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, कानपुर, करौली, काशीपुर, कटनी, खन्ना, खुर्जा, किशनगंज, कोहिमा, कोरबा, कोटा, लखनऊ आदि शामिल हैं।
कल से देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब चार फीसदी की गिरावट आई है।
रुझानों के मुताबिक देश के जहां छह फीसदी से ज्यादा शहरों में हवा साफ है। वहीं 40 फीसदी शहरों में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है। दूसरी तरफ देश के करीब 54 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक बनी हुई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 235 में से महज 15 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 94 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 26 मार्च 2025 को यह आंकड़ा 90 दर्ज किया गया।
107 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में हाजीपुर (328) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 330 के करीब पहुंच गया। कल बर्नीहाट में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब एक्यूआई 335 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 28 अंकों के इजाफे के साथ बढ़कर 259 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में कल से वायु गुणवत्ता अभी भी खराब बनी हुई है। यह आठवां दिन है जब इस महीने दिल्ली की वायु गुणवत्ता खराब दर्ज की गई है।
गौरतलब है कि फरवरी और जनवरी 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। प्रदूषण के मामले में आज गुरूग्राम चौथे स्थान पर है, वहीं गाजियाबाद (311) दूसरे, जबकि कटक (282) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 102, गाजियाबाद में 311, गुरुग्राम में 274, नोएडा में 176, ग्रेटर नोएडा में 182 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 59 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 163, चेन्नई में 77, चंडीगढ़ में 117, हैदराबाद में 95, जयपुर में 126 और पटना में 229 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 15 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें बागलकोट, बठिंडा, बेलगाम, चामराजनगर, दावनगेरे, हुबली, कलबुर्गी, करूर, कोप्पल, मीरा-भायंदर, पालकालाइपेरुर, रामनाथपुरम, श्री विजया पुरम, सूरत, तिरुनेलवेली शामिल हैं।
वहीं अगरतला, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अमरावती, अनंतपुर, अंकलेश्वर, अरियालूर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बेलापुर, बेंगलुरु, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवंडी, बिलासपुर, बोईसर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिक्कामगलुरु, चुरू, कोयंबटूर, दमोह, देहरादून, धारवाड़, धुले, डिंडीगुल, एलूर, गांधीनगर, हल्दिया, हावेरी, होसुर, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जलगांव, जालौर, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कन्नूर, कटिहार, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, लातूर, लुधियाना, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मुंबई, मैसूर, नागपट्टिनम, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, पुदुचेरी, पुदूकोट्टई, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनगर, रानीपेट, ऋषिकेश, सागर, सलेम, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, शिवसागर, सोलापुर, ठाणे, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, उदयपुर, उज्जैन, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, वातवा, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम, यादगीर आदि 94 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।