
देश में बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों की स्थिति कहीं ज्यादा खराब है। हालात यह हैं कि मेघालय के एक शहर बर्नीहाट में वायु गुणवत्ता सूचकांक 362 तक पहुंच गया है। मतलब कि वहां की फिजाओं में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
इसी तरह हाजीपुर में भी स्थिति बेहद खराब बनी हुई है, जहां एक्यूआई 312 दर्ज किया गया है। देखा जाए तो जहां कल देश में किसी भी शहर में वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' नहीं थी, वहीं आज इनकी संख्या दो हो गई है।
प्रदूषण के मामले में आज हावड़ा तीसरे स्थान पर है, जहां वायु गुणवत्ता का स्तर 282 रिकॉर्ड किया गया। दिल्ली में भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है, जहां कल से आठ अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 276 तक पहुंच गया है। वहीं प्रदूषण के मामले में आज कुंजेमुरा पांचवे स्थान पर रहा, जहां एक्यूआई 274 रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह 273 अंकों के साथ अररिया-तालचेर छठे, सातवें स्थान पर रहे।
समस्तीपुर में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं जहां सूचकांक 272 तक पहुंच गया। नौवें स्थान पर रहे गुवाहाटी में वायु गुणवत्ता का स्तर 258 तक पहुंच गया है। प्रदूषण के मामले में पटना भी ज्यादा पीछे नहीं है, जहां एक्यूआई 255 पर बना हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक देश के कुल 33 शहरों में वायु गुणवत्ता 'खराब' बनी हुई है।
इन शहरों में अंगुल, अररिया, आसनसोल, बद्दी, बालासोर, बैरकपुर, बेतिया, भागलपुर, बीकानेर, चंडीगढ़, चरखी दादरी, दिल्ली, दुर्गापुर, गोरखपुर, गुरूग्राम, गुवाहाटी, हल्दिया, हावड़ा, कल्याण, काशीपुर, कटिहार, किशनगंज, कुंजेमुरा, लखनऊ, मंगुराहा, मुजफ्फरपुर, नलबाड़ी, पटना, ऋषिकेश, समस्तीपुर, सीकर, तालचेर, वापी शामिल हैं।
कल से देखें तो देश में 'खराब' हवा वाले शहरों की संख्या में 14 फीसदी का इजाफा हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ देश में नंदेसरी की हवा सबसे साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 33 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर बर्नीहाट की तुलना नंदेसरी से करें तो वहां वायु गुणवत्ता दस गुणा ज्यादा खराब है।
आंकड़ों के मुताबिक देश में नंदेसरी की तरह ही 13 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता साफ बनी हुई है। इनमें हुबली, करूर, कारवार, मदिकेरी, मैहर, नंदेसरी, सिलचर, तिरुनेलवेली, वाराणसी आदि शहर शामिल हैं।
चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 33 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
इसी तरह देश में अंकलेश्वर सहित 66 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक दर्ज किया गया है।
इन शहरों में प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुकोट्टई, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रामनाथपुरम, सागर, शिवमोगा, सिरोही, शिवसागर, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपति, तुमिडीह, उडुपी, उज्जैन, विजयवाड़ा आदि शामिल हैं। कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की संख्या में भी 14 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
कुल मिलाकर देखें तो देश के जहां महज छह फीसदी शहरों में हवा साफ है, वहीं 66 फीसदी में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। इसी तरह देश के 28 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 28 जनवरी 2025 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 234 में से महज 14 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 66 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 27 जनवरी 2025 को यह आंकड़ा 77 दर्ज किया गया।
119 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में बर्नीहाट (362) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां आज एक्यूआई 400 के करीब पहुंच गया। वहीं कल अजमेर में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 295 दर्ज किया गया।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 8 अंकों का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर आज बढ़कर 276 पर पहुंच गया, मतलब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘खराब’ स्तर पर पहुंच गई है।
गौरतलब है कि दिसंबर 2024 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था।
देखा जाए तो देश में प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। प्रदूषण के मामले में आज दिल्ली चौथे स्थान पर है, वहीं हाजीपुर (312) दूसरे, जबकि हावड़ा (282) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 186, गाजियाबाद में 165, गुरुग्राम में 238, नोएडा में 164, ग्रेटर नोएडा में 175 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 120 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 217, चेन्नई में 107, चंडीगढ़ में 249, हैदराबाद में 95, जयपुर में 155 और पटना में 255 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 14 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें बागलकोट, बठिंडा, चामराजनगर, छाल, चिक्कामगलुरु, हुबली, करूर, कारवार, मदिकेरी, मैहर, नंदेसरी, सिलचर, तिरुनेलवेली, वाराणसी शामिल हैं।
वहीं आगरा, आइजोल, अजमेर, अलवर, अनंतपुर, अंकलेश्वर, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बाड़मेर, भिलाई, भीलवाड़ा, बिलासपुर, बोईसर, चेंगलपट्टू, चिकबलपुर, कोयंबटूर, दमोह, दावनगेरे, देवास, धारवाड़, धुले, डूंगरपुर, एलूर, फिरोजाबाद, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जलगांव, झांसी, कलबुर्गी, कन्नूर, क्योंझर, खन्ना, कोलार, कोरबा, लातूर, मिलुपारा, मैसूर, नाहरलगुन, पालकलाईपेरुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुकोट्टई, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रामनाथपुरम, सागर, शिवमोगा, सिरोही, शिवसागर, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपति, तुमिडीह, उडुपी, उज्जैन, विजयवाड़ा, यादगीर आदि 66 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
देश में बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों की स्थिति कहीं ज्यादा खराब है। हालात यह हैं कि मेघालय के एक शहर बर्नीहाट में वायु गुणवत्ता सूचकांक 362 तक पहुंच गया है। मतलब कि वहां की फिजाओं में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
इसी तरह हाजीपुर में भी स्थिति बेहद खराब बनी हुई है, जहां एक्यूआई 312 दर्ज किया गया है। देखा जाए तो जहां कल देश में किसी भी शहर में वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' नहीं थी, वहीं आज इनकी संख्या दो हो गई है।
प्रदूषण के मामले में आज हावड़ा तीसरे स्थान पर है, जहां वायु गुणवत्ता का स्तर 282 रिकॉर्ड किया गया। दिल्ली में भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है, जहां कल से आठ अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 276 तक पहुंच गया है। वहीं प्रदूषण के मामले में आज कुंजेमुरा पांचवे स्थान पर रहा, जहां एक्यूआई 274 रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह 273 अंकों के साथ अररिया-तालचेर छठे, सातवें स्थान पर रहे।
समस्तीपुर में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं जहां सूचकांक 272 तक पहुंच गया। नौवें स्थान पर रहे गुवाहाटी में वायु गुणवत्ता का स्तर 258 तक पहुंच गया है। प्रदूषण के मामले में पटना भी ज्यादा पीछे नहीं है, जहां एक्यूआई 255 पर बना हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक देश के कुल 33 शहरों में वायु गुणवत्ता 'खराब' बनी हुई है।
इन शहरों में अंगुल, अररिया, आसनसोल, बद्दी, बालासोर, बैरकपुर, बेतिया, भागलपुर, बीकानेर, चंडीगढ़, चरखी दादरी, दिल्ली, दुर्गापुर, गोरखपुर, गुरूग्राम, गुवाहाटी, हल्दिया, हावड़ा, कल्याण, काशीपुर, कटिहार, किशनगंज, कुंजेमुरा, लखनऊ, मंगुराहा, मुजफ्फरपुर, नलबाड़ी, पटना, ऋषिकेश, समस्तीपुर, सीकर, तालचेर, वापी शामिल हैं।
कल से देखें तो देश में 'खराब' हवा वाले शहरों की संख्या में 14 फीसदी का इजाफा हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ देश में नंदेसरी की हवा सबसे साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 33 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर बर्नीहाट की तुलना नंदेसरी से करें तो वहां वायु गुणवत्ता दस गुणा ज्यादा खराब है।
आंकड़ों के मुताबिक देश में नंदेसरी की तरह ही 13 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता साफ बनी हुई है। इनमें हुबली, करूर, कारवार, मदिकेरी, मैहर, नंदेसरी, सिलचर, तिरुनेलवेली, वाराणसी आदि शहर शामिल हैं।
चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 33 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
इसी तरह देश में अंकलेश्वर सहित 66 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक दर्ज किया गया है।
इन शहरों में प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुकोट्टई, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रामनाथपुरम, सागर, शिवमोगा, सिरोही, शिवसागर, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपति, तुमिडीह, उडुपी, उज्जैन, विजयवाड़ा आदि शामिल हैं। कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की संख्या में भी 14 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
कुल मिलाकर देखें तो देश के जहां महज छह फीसदी शहरों में हवा साफ है, वहीं 66 फीसदी में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। इसी तरह देश के 28 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 28 जनवरी 2025 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 234 में से महज 14 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 66 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 27 जनवरी 2025 को यह आंकड़ा 77 दर्ज किया गया।
119 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में बर्नीहाट (362) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां आज एक्यूआई 400 के करीब पहुंच गया। वहीं कल अजमेर में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 295 दर्ज किया गया।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 8 अंकों का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर आज बढ़कर 276 पर पहुंच गया, मतलब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘खराब’ स्तर पर पहुंच गई है।
गौरतलब है कि दिसंबर 2024 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था।
देखा जाए तो देश में प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। प्रदूषण के मामले में आज दिल्ली चौथे स्थान पर है, वहीं हाजीपुर (312) दूसरे, जबकि हावड़ा (282) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 186, गाजियाबाद में 165, गुरुग्राम में 238, नोएडा में 164, ग्रेटर नोएडा में 175 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 120 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 217, चेन्नई में 107, चंडीगढ़ में 249, हैदराबाद में 95, जयपुर में 155 और पटना में 255 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 14 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें बागलकोट, बठिंडा, चामराजनगर, छाल, चिक्कामगलुरु, हुबली, करूर, कारवार, मदिकेरी, मैहर, नंदेसरी, सिलचर, तिरुनेलवेली, वाराणसी शामिल हैं।
वहीं आगरा, आइजोल, अजमेर, अलवर, अनंतपुर, अंकलेश्वर, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बाड़मेर, भिलाई, भीलवाड़ा, बिलासपुर, बोईसर, चेंगलपट्टू, चिकबलपुर, कोयंबटूर, दमोह, दावनगेरे, देवास, धारवाड़, धुले, डूंगरपुर, एलूर, फिरोजाबाद, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जलगांव, झांसी, कलबुर्गी, कन्नूर, क्योंझर, खन्ना, कोलार, कोरबा, लातूर, मिलुपारा, मैसूर, नाहरलगुन, पालकलाईपेरुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुकोट्टई, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रामनाथपुरम, सागर, शिवमोगा, सिरोही, शिवसागर, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपति, तुमिडीह, उडुपी, उज्जैन, विजयवाड़ा, यादगीर आदि 66 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।