प्रदूषण का गणित: 49 फीसदी शहरों में हवा साफ, दौसा में मानकों से 184 फीसदी अधिक प्रदूषण

दूसरी तरफ आज देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 14 दर्ज किया गया
प्रदूषण का गणित: 49 फीसदी शहरों में हवा साफ, दौसा में मानकों से 184 फीसदी अधिक प्रदूषण
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देश में प्रदूषण के समीकरण हर दिन बदल रहे हैं। हालांकि एक बात तो तय है कि मानसून के साथ देश के ज्यादातर शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार आया है। यही वजह है कि आज देश में तीन फीसदी से भी कम शहरों में हवा चिंताजनक है, जबकि विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के करीब 49 फीसदी शहरों में की हवा साफ है।

वहीं इतने ही शहरों में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 16 जुलाई 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक आज देश में दौसा की हवा सबसे प्रदूषित है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 128 दर्ज किया गया।

विश्लेषण से पता चला है कि राजस्थान के इस शहर में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से 184 फीसदी अधिक है। इस दौरान दौसा की हवा में पीएम10 हावी था। बता दें कि कल देश में सूरत की हवा सबसे प्रदूषित थी, हालांकि आज सरकार ने सूरत के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।

प्रदूषण के मामले में आज अररिया (120) दूसरे जबकि ब्रजराजनगर (116) तीसरे स्थान पर है। कमोबेश टोंक में भी कुछ ऐसी ही स्थिति बनी हुई है, जहां एक्यूआई 115 दर्ज किया गया है। इसी तरह देश के सबसे प्रदूषित शहरों में आज विशाखापत्तनम (107) भी शामिल है।

आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान जहां ब्रजराजनगर में ओजोन से स्थिति चिंताजनक है। वहीं दौसा अररिया, टोंक, विशाखापत्तनम आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण पीएम2.5 और पीएम10 हावी हैं।

दूसरी तरफ आज देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 14 दर्ज किया गया। ऐसे में यदि शिलांग की तुलना दौसा से करें तो वहां स्थिति आठ गुणा खराब है।

शिलांग की तरह ही आज देश के छोटे बड़े 106 शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में बुलन्दशहर, चामराजनगर, चंडीगढ़, चेंगलपट्टू, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चुरू, दमोह, दावनगेरे, देहरादून, डिंडीगुल, फिरोजाबाद, गया, गोरखपुर, गुवाहाटी, हल्दिया, हनुमानगढ़, हापुड, हावेरी, होसुर, हुबली, जबलपुर, जालंधर, झुंझुनूं, कलबुर्गी, करौली, काशीपुर, खन्ना, कोल्हापुर आदि शामिल हैं।

चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 17 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।

राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो भले ही कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, लेकिन दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है। बता दें कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 16 अंकों के उछाल के साथ 67 पर पहुंच गया है।

दिल्ली की तरह ही देश के सौ से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक दर्ज की गई। इन शहरों में हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, झांसी, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, खुर्जा, कोहिमा, कोलकाता, कोरबा, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मुरादाबाद आदि शामिल हैं।

राहत की बात है कि देश में कल से संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 33 फीसदी का इजाफा हुआ है।

ताजा रुझानों से पता चला है आज देश के पांच शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में अररिया, ब्रजराजनगर, दौसा, टोंक, विशाखापत्तनम शामिल हैं। अच्छी खबर यह है कि कल से देश में मध्य वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में भी 50 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 217 में से 106 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 106 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 15 जुलाई 2025 को यह आंकड़ा 80 दर्ज किया गया था।

5 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में दौसा (128) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 130 के करीब पहुंच गया। कल सूरत में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब सूचकांक 175 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 16 अंकों का इजाफा हुआ है। इसके साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 67 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज टोंक चौथे स्थान पर है, वहीं अररिया (120) दूसरे, जबकि ब्रजराजनगर (116) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 73, गाजियाबाद में 65, गुवाहाटी में 40, हापुड में 49, नोएडा में 82, ग्रेटर नोएडा में 80 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 51 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 63, चेन्नई में 69, चंडीगढ़ में 45, हैदराबाद में 65, जयपुर में 85 और पटना में 56 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 106 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आगरा, अहमदनगर, आइजोल, अकोला, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागलकोट, बागपत, बारबिल, बठिंडा, भागलपुर, भरतपुर, भिलाई, बीदर, बिलासपुर, बुलन्दशहर, चामराजनगर, चंडीगढ़, चेंगलपट्टू, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चुरू, दमोह, दावनगेरे, देहरादून, डिंडीगुल, फिरोजाबाद, गया, गोरखपुर, गुवाहाटी, हल्दिया, हनुमानगढ़, हापुड, हावेरी, होसुर, हुबली, जबलपुर, जालंधर, झुंझुनूं, कलबुर्गी, करौली, काशीपुर, खन्ना, कोल्हापुर, कोल्लम, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मैहर, मंगलौर, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपुर, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नांदेड़, नवी मुंबई, नयागढ़, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पंचगांव, पटियाला, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, रामनगर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, राउरकेला, सहरसा, सलेम, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, शिवसागर, सोलापुर, श्रीगंगानगर, टेन्सा, ठाणे, तंजावुर, तिरुचिरापल्ली, रुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, तुमकुरु, तुमिडीह, वाराणसी, विजयपुरा, विरार, विरुधुनगर, यादगीर शामिल हैं।

वहीं अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अनंतपुर, अंगुल, अंकलेश्वर, अरियालूर, बद्दी, बदलापुर, बालासोर, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बाड़मेर, बैरकपुर, बेंगलुरु, बेतिया, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बोईसर, बूंदी, ब्यासनगर, चंद्रपुर, चेन्नई, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कटक, दिल्ली, देवास, धारवाड़, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, एलूर, गांधीनगर, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, हाजीपुर, हसन, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, झांसी, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, खुर्जा, कोहिमा, कोलकाता, कोरबा, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मुरादाबाद, मुंबई, नगांव, नागौर, नासिक, नोएडा, पटना, पीथमपुर, प्रतापगढ़, पुणे, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रतलाम, रूपनगर, सागर, सांगली, सवाई माधोपुर, सीकर, तालचेर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुपति, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, विजयवाड़ा, वृंदावन आदि 106 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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