आइजोल सहित देश के 45 फीसदी शहरों में हवा साफ, कल से 34 फीसदी बढ़ा आंकड़ा

दूसरे शहरों की तुलना में देश में नंदेसरी की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 208 दर्ज किया गया है
फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई)
फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई)
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देश में आज आइजोल की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 9 दर्ज किया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 16 जून 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण में सामने आया है कि देश में आइजोल सहित 45 फीसदी से अधिक शहरों में हवा साफ है।

कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 34 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती बढ़कर 94 पर पहुंच गई है।

वहीं दूसरी तरफ आज देश में गुजरात के नंदेसरी की हवा सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 208 दर्ज किया गया है। राहत की बात यह है कि आज देश में महज नंदेसरी की हवा 'खराब' दर्ज की गई। वहीं कल देश में खराब हवा वाले शहरों की गिनती तीन थी।

रुझानों पर नजर डालें तो कल देश में गुरुग्राम की हवा सबसे प्रदूषित थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 300 के पार पहुंच गया था। हालांकि कल से गुरुग्राम की वायु गुणवत्ता में 155 अंकों का सुधार आया है।

आंकड़ों पर नजर डालें तो आज प्रदूषण के मामले में भरतपुर (167) दूसरे, जबकि करौली (166) तीसरे स्थान पर है। धौलपुर में भी स्थिति ऐसी ही है, जो 161 अंकों के साथ चौथे पायदान पर है। वहीं गुरूग्राम (149) पांचवें जबकि हनुमानगढ़ (139) छठे स्थान पर है। इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में श्रीगंगानगर (132), सवाई माधोपुर (127), नोएडा (126) और बूंदी (125) शामिल हैं।

विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि आज देश में जहां भरतपुर, गुरूग्राम, हाजीपुर, बाड़मेर आदि शहरों की हवा में ओजोन हावी है। वहीं नंदेसरी, धौलपुर, खन्ना, राउरकेला आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण पीएम2.5 हावी हैं। इसी तरह करौली, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बूंदी, चुरू, खुर्जा, ग्रेटर नोएडा, जैसलमेर, लुधियाना, झुंझुनूं आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। इसके साथ ही 29 अंकों के सुधार के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 111 पर पहुंच गया है। रुझानों पर नजर डालें तो दिल्ली सहित देश के छोटे-बड़े 23 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में बाड़मेर, भरतपुर, बूंदी, छपरा, चुरू, धौलपुर, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, हाजीपुर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, झुंझुनूं, करौली, खन्ना, खुर्जा, लुधियाना, नोएडा, राउरकेला, सवाई माधोपुर, श्रीगंगानगर आदि शामिल हैं।

राहत की बात यह है कि कल से देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 43 फीसदी का सुधार आया है।

अहमदनगर सहित देश के जिन 94 शहरों में हवा साफ है, उनमें बेलापुर, भिलाई, भिवंडी, बोईसर, चामराजनगर, चेंगलपट्टू, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कुड्डालोर, दमोह, देहरादून, धारवाड़, धुले, गांधीनगर, गंगटोक, गोरखपुर, हल्दिया, हावड़ा, हुबली, इंदौर, जलगांव, जलना, झालावाड़, झांसी, कलबुर्गी, कल्याण, करूर, काशीपुर, कटनी, क्योंझर, कोलकाता, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मदुरै आदि शामिल हैं। कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 34 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

देश में आज आगरा सहित 90 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है।

इन शहरों में कोयंबटूर, कटक, दौसा, देवास, धनबाद, डूंगरपुर, दुर्गापुर, एलूर, गया, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, ग्वालियर, हैदराबाद, जबलपुर, जालंधर, जालौर, जोधपुर, कडपा, कांचीपुरम, कानपुर, कटिहार, किशनगंज, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागौर, पाली, पंचगांव, पटियाला, पटना, प्रतापगढ़ आदि शामिल हैं।

कल से तुलना करें तो देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 13 फीसदी की गिरावट आई है, जोकि चिंता का विषय है।

रुझानों के विश्लेषण में सामने आया है कि आज जहां देश के 45 फीसदी शहरों की हवा साफ है। वहीं 43 फीसदी से अधिक शहरों में स्थिति संतोषजनक है। दूसरी तरफ देश के करीब 12 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 208 में से 94 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। 90 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 15 जून 2025 को यह आंकड़ा 103 दर्ज किया गया था।

23 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में नंदेसरी (208) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 210 के करीब पहुंच गया। कल गुरूग्राम में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब सूचकांक 304 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 29 अंकों की गिरावट आई है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक सुधरकर 111 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता एक बार फिर खराब से मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज धौलपुर चौथे स्थान पर है, वहीं भरतपुर (167) दूसरे, जबकि करौली (166) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 61, गाजियाबाद में 102, गुवाहाटी में 84, गुरूग्राम में 149, नोएडा में 126, ग्रेटर नोएडा में 110 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 43 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘बेहतर’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 83, चेन्नई में 56, चंडीगढ़ में 80, हैदराबाद में 90, जयपुर में 101 और पटना में 90 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 94 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अहमदनगर, आइजोल, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अररिया, अरियालूर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बागलकोट, बालासोर, बारीपदा, बैरकपुर, बेलापुर, भिलाई, भिवंडी, बोईसर, चामराजनगर, चेंगलपट्टू, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कुड्डालोर, दमोह, देहरादून, धारवाड़, धुले, गांधीनगर, गंगटोक, गोरखपुर, हल्दिया, हावड़ा, हुबली, इंदौर, जलगांव, जलना, झालावाड़, झांसी, कलबुर्गी, कल्याण, करूर, काशीपुर, कटनी, क्योंझर, कोलकाता, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मीरा-भायंदर, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मैसूर, नागपुर, नलबाड़ी, नमक्कल, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवड, पीथमपुर, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, रानीपेट, सलेम, सांगली, शिवमोगा, सिलचर, शिवसागर, सोलापुर, श्री विजया पुरम, टेन्सा, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपति, तिरुपुर, उल्हासनगर, वातवा, वेल्लोर, विजयपुरा, विजयवाड़ा, विरुधुनगर, वृंदावन, यादगीर शामिल हैं।

वहीं आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमृतसर, अनंतपुर, अंगुल, अंकलेश्वर, आरा, आसनसोल, बद्दी, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बठिंडा, बेगूसराय, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिलीपाड़ा, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेन्नई, चित्तूर, कोयंबटूर, कटक, दौसा, देवास, धनबाद, डूंगरपुर, दुर्गापुर, एलूर, गया, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, ग्वालियर, हैदराबाद, जबलपुर, जालंधर, जालौर, जोधपुर, कडपा, कांचीपुरम, कानपुर, कटिहार, किशनगंज, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागौर, पाली, पंचगांव, पटियाला, पटना, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, राजगीर, राजसमंद, सागर, सहरसा, समस्तीपुर, सासाराम, सीकर, सिरोही, सूरत, तिरुचिरापल्ली, टोंक, उदयपुर, वापी, वाराणसी, विशाखापत्तनम आदि 90 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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