सर्दियों में भारत के 73 फीसदी शहरों में मानकों से ज्यादा रहा पीएम2.5: रिपोर्ट

सीआरईए रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 2024-25 में सर्दियों के दौरान दिल्ली की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 159 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक
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भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण आज भी गंभीर समस्या बना हुआ है। हालात यह हैं कि सर्दियों में देश ज्यादातर शहरों में पीएम 2.5 का स्तर वायु गुणवत्ता मानकों से ज्यादा रहा, इसकी पुष्टि सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) ने भी अपनी नई रिपोर्ट में की है।

'विंटर एम्बिएंट एयर क्वालिटी स्नैपशॉट फॉर इंडिया' नामक इस रिपोर्ट के मुताबिक 2024-25 में सर्दियों के दौरान करीब 73 फीसदी शहरों में पीएम 2.5 का औसत स्तर भारत के अपने खुद के वायु गुणवत्त्ता मानकों पर खरा नहीं था।

वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी वायु गुणवत्ता मानकों के लिहाज से देखें तो इस दौरान देश में एक भी शहर ऐसा नहीं रहा, जहां पीएम 2.5 मानकों के भीतर रहा हो। यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि सर्दियों के दौरान देश के ज्यादातर शहरों में हवा स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित नहीं थी।

गौरतलब है कि सीआरईए ने अपनी इस रिपोर्ट में देश के 238 शहरों में वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इसके निष्कर्ष से पता चला है कि सर्दियों (1 अक्टूबर, 2024 से 28 फरवरी, 2025) के दौरान इनमें से 173 शहर ऐसा थे, जहां पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों से ज्यादा था।

बता दें कि राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) के तहत पीएम 2.5 के लिए 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा निर्धारित की गई है। वहीं दूसरी तरफ विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पीएम 2.5 का स्तर पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के भीतर होना चाहिए।

 यह आंकड़ें इस बात के गवाह हैं कि देश में वायु प्रदूषण की समस्या कितनी गंभीर है।

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रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि 2024-25 में सर्दियों के दौरान राजधानी दिल्ली की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी। आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान पीएम 2.5 का औसत स्तर 159 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया। वहीं 2023-24 की सर्दियों में भी दिल्ली की हवा सबसे ज्यादा खराब रही, जब पीएम 2.5, 171 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया।

दिल्ली के बाद बर्नीहाट में स्थिति सबसे ज्यादा खराब रही। 2024-25 की सर्दियों के दौरान मेघालय के इस शहर में पीएम 2.5 का औसत स्तर 157 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया।

मानकों पर खरा नहीं राजस्थान, बिहार और पश्चिम बंगाल का एक भी शहर

इस दौरान देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में हाजीपुर, गाजियाबाद, गुड़गांव, नोएडा, पटना, आसनसोल, दुर्गापुर और चरखी दादरी शामिल थे। यह शहर दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और असम का हैं।

यदि राज्यवार आंकड़ों पर नजर डालें तो सर्दियों के दौरान राजस्थान के 34, बिहार के 24 और पश्चिम बंगाल के सात शहरों में पीएम 2.5 का औसत स्तर वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक था। मतलब की इन राज्यों में एक भी शहर ऐसा नहीं था, जहां वायु गुणवत्ता मानकों पर खरी रही हो। इसी तरह, महाराष्ट्र के 31 में से 30,

ओडिशा के 16 में से 15 और उत्तर प्रदेश के 20 में से 15 शहरों में वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं थी।

रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि सर्दियों के 151 दिनों में 100 शहरों ने कम से कम एक बार शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों में अपनी जगह बनाई थी। इनमें से 44 शहर इस लिस्ट में 10 या उससे अधिक बार दिखाई दिए। इनमें बर्नीहाट सबसे ज्यादा 111 दिन 10 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल रहा। उसके बाद दिल्ली 105 दिन, हाजीपुर 80 दिन, गाजियाबाद 52 दिन और बहादुरगढ़ 47 दिन, दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल रहा।

वहीं दूसरी तरफ सर्दियों के दौरान आइजोल की हवा सबसे साफ रही, जहां पीएम 2.5 का औसत सतर महज सात दर्ज किया गया। हालांकि मिजोरम के इस शहर में भी वायु गुणवत्ता डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं थी। इसी तरह देश के दस सबसे कम प्रदूषित शहरों में कर्नाटक के छह, तमिलनाडु के तीन और मिजोरम का एक शहर शामिल था।

देश की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम यानी एनसीएपी की शुरुआत की थी। 10 जनवरी 2019 को आरंभ हुए इस कार्यक्रम में पीएम2.5 और पीएम 10 (बेहद महीन हानिकारक पर्टिकुलेट मैटर) को 2023 तक 20 से 30 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया था।

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हालांकि रिपोर्ट से पता चला है कि 98 एनसीएपी शहरों में से 78 में पीएम 2.5 का औसत स्तर भारत द्वारा वायु गुणवत्ता को लेकर निर्धारित सुरक्षित सीमा से ऊपर था। यह 98 वो शहर हैं जहां वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़ों की निरंतर निगरानी की जाती है। वहीं डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के लिहाज से देखें तो इनमें से एक भी शहर मानकों पर खरा नहीं था।

इसी तरह 140 गैर-एनसीएपी शहरों में, 95 में पीएम2.5 का स्तर भारतीय मानकों से ऊपर था। इसी तरह एक बार फिर इनमें से एक भी शहर डब्ल्यूएचओ मानकों पर खरा नहीं रहा। यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि वायु प्रदूषण देश के ज्यादातर शहरों के लिए गंभीर समस्या बन चुका है।

इस बारे में सीआरईए से जुड़े विश्लेषक मनोज कुमार का कहना है, “भारतीय शहरों में प्रदूषण के वार्षिक औसत स्तर को कम करने के लिए सर्दियों में वायु प्रदूषण को कम करना आवश्यक है।“ उनके मुताबिक विश्लेषण से पता चला है कि एनसीएपी और गैर-एनसीएपी शहरों में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है। प्रदूषण का यह जहर अब एनसीआर तक ही सीमित नहीं है। यह पूरे देश को अपनी जद में ले चुका है।

उनका कहना है कि "एनसीएपी में होने वाला अपडेट इस कार्यक्रम में और अधिक शहरों को जोड़ने और प्रदूषण को कम करने के लिए प्रत्यक्ष कार्रवाई करने का एक मौका है।" इसका मतलब है कि प्रदूषण के प्रभावों से निपटने के बजाय, सख्त उत्सर्जन नियमों को लागू करके प्रदूषण को उसके स्रोत पर ही रोकना महत्वपूर्ण है।

सीआरईए ने अपनी रिपोर्ट में आंकड़ों की कमी को भी बड़ी चुनौती बताया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2024-25 में सर्दियों के दौरान  दरभंगा, एर्नाकुलम, होसुर, कोच्चि, कोझीकोड, पाथरडीह और थूथुकुडी के स्टेशनों से किसी भी दिन के लिए कोई सीएएक्यूएमएस डेटा उपलब्ध नहीं था। इसी तरह हरियाणा के 21 शहरों सहित 44 शहरों में वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़ों की कवरेज 80 फीसदी से कम थी।

हालांकि सर्दियों की शुरुआत में हरियाणा के सभी 24 शहरों के आंकड़े उपलब्ध थे। लेकिन दिसंबर तक कई निगरानी स्टेशनों ने रिपोर्टिंग बंद कर दी।  वहीं सीजन के अंत तक केवल चरखी दादरी, फरीदाबाद और गुड़गांव के 80 फीसदी आंकड़े उपलब्ध थे। दूसरी तरफ अन्य 21 शहरों में प्रदूषण का आंकलन करने के लिए महत्वपूर्ण आंकड़ों का आभाव था।

भारत में वायु प्रदूषण से जुड़ी ताजा जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।

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