साफ हवा वाले शहरों में आई 24 फीसदी की गिरावट, केरल के तिरुवनंतपुरम में 250 के पार एक्यूआई

राहत की बात यह रही कि देश में 'खराब' हवा वाले शहरों की गिनती में भी करीब 38 फीसदी की गिरावट आई है।
हवा में घुलता जहर; फोटो: आईस्टॉक
हवा में घुलता जहर; फोटो: आईस्टॉक
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देश के करीब 50 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 05 मार्च 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में तिरुवनंतपुरम की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 252 रिकॉर्ड किया गया।

मंडी गोबिंदगढ़ प्रदूषण के मामले में दूसरे स्थान पर है। इसी तरह समस्तीपुर में भी एक्यूआई 224 पर बना हुआ है। सासाराम में हालात कोई खास अच्छे नहीं, जो आज प्रदूषण के मामले में चौथे पायदान पर बना हुआ है। इसी तरह बारबिल में भी सूचकांक 200 के पार है। इन सभी शहरों में वायु गुणवत्ता खराब बनी हुई है।

हालांकि राहत की बात यह रही कि कल से देश में 'खराब' हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 38 फीसदी की गिरावट आई है।

दूसरी तरफ देश में नाहरलगुन की हवा सबसे साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 19 दर्ज किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर तिरुवनंतपुरम की तुलना नाहरलगुन से करें तो वहां स्थिति 13 गुणा खराब है।

नाहरलगुन की तरह ही देश के 27 अन्य शहरों में हवा साफ बनी हुई है। इन शहरों में कटिहार, मदिकेरी, मैहर, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, रामनाथपुरम, रूपनगर, शिवमोगा आदि शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल से साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 24 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।

राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो कल से प्रदूषण में अच्छी खासी गिरावट आई है, जहां 29 अंकों की गिरावट के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 119 पर पहुंच गया है।

दूसरी तरफ पड़ोसी शहर फरीदाबाद में कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां दो अंकों के इजाफे के साथ एक्यूआई 90 पर पहुंच गया। हालांकि फरीदाबाद में अभी भी वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' बनी हुई है।

फरीदाबाद की तरह ही देश के 91 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। इनमें लातूर, लुधियाना, मदुरै, मंगलौर, मेरठ, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुजफ्फरनगर, मैसूर, नगांव, नोएडा, परभनी, पटियाला, प्रयागराज, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रानीपेट, ऋषिकेश, सागर, सहरसा, सतना, शिलांग, सिलचर, श्री विजया पुरम, सूरत, ठाणे आदि शामिल हैं।

कल (04 मार्च 2025) से देखें तो देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में 12 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि देश में दिल्ली सहित छोटे बड़े 114 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। इन शहरों में गांधीनगर, गया, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, गुवाहाटी, हाजीपुर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हापुड, हावड़ा, हैदराबाद, इंफाल, जयपुर, जैसलमेर, जलगांव, जालौर, झालावाड़, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कटनी, क्योंझर, खुर्जा, किशनगंज, कोहिमा आदि शामिल हैं।

वहीं कल से देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब सात फीसदी का इजाफा हुआ है।

रुझानों पर नजर डालें तो जहां देश के करीब 12 फीसदी शहरों में हवा साफ है, वहीं करीब 50 फीसदी में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। इसी तरह 38 फीसदी शहरों में हवा संतोषजनक है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 239 में से महज 28 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 92 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 04 मार्च 2025 को यह आंकड़ा 82 दर्ज किया गया।

114 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में तिरुवनंतपुरम (252) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां आज एक्यूआई 260 के करीब पहुंच गया। वहीं कल नागौर में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 242 दर्ज किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। इसके साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 29 अंकों की गिरावट के साथ 119 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर अभी भी ‘मध्यम’ श्रेणी में बना हुआ है।

गौरतलब है कि जनवरी 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। प्रदूषण के मामले में आज सासाराम चौथे स्थान पर है, वहीं मंडी गोबिंदगढ़ (224) दूसरे, जबकि समस्तीपुर (224) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 88, गाजियाबाद में 232, गुरुग्राम में 226, नोएडा में 146, ग्रेटर नोएडा में 103 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 90 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 122, चेन्नई में 54, चंडीगढ़ में 70, हैदराबाद में 103, जयपुर में 120 और पटना में 145 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 28 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अमृतसर, अरियालूर, बरेली, बेलगाम, चामराजनगर, कुड्डालोर, दमोह, हुबली, जालंधर, झांसी, कांचीपुरम, करूर, कटिहार, मदिकेरी, मैहर, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, रामनाथपुरम, रूपनगर, शिवमोगा, शिवसागर, तंजावुर, थूथुकुडी, तिरुनेलवेली, वाराणसी शामिल हैं।

वहीं अगरतला, आगरा, अलवर, अमरावती, अनंतपुर, आरा, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बठिंडा, बेतिया, भिलाई, भिवाड़ी, भिवंडी, बीदर, बिलासपुर, बोईसर, चंडीगढ़, चरखी दादरी, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चुरू, कोयंबटूर, दावनगेरे, देहरादून, धारवाड़, धौलपुर, डिंडीगुल, एलूर, फरीदाबाद, फिरोजाबाद, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, हसन, इंदौर, जबलपुर, जलना, झुंझुनूं, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, करौली, काशीपुर, खन्ना, कोल्हापुर, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, लातूर, लुधियाना, मदुरै, मंगलौर, मेरठ, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुजफ्फरनगर, मैसूर, नगांव, नोएडा, परभनी, पटियाला, प्रयागराज, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रानीपेट, ऋषिकेश, सागर, सहरसा, सतना, शिलांग, सिलचर, श्री विजया पुरम, सूरत, ठाणे, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, टोंक, उदयपुर, उडुपी, उज्जैन, वापी, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम, वृंदावन, यादगीर आदि 92 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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