व्यापार के लालच में विलुप्त हो रही मछलियों को किया जा रहा है नजरअंदाज

शोधकर्ताओं ने पाया कि वैज्ञानिक समुदाय मछली के पारिस्थितिक अहमियत से अधिक उनके व्यावसायिक मूल्य की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
शोधकर्ताओं ने समुद्री रीफ मछलियों की 2,408 प्रजातियों में लोगों के पसंदीदा स्तर के बारे में पता लगाया।
शोधकर्ताओं ने समुद्री रीफ मछलियों की 2,408 प्रजातियों में लोगों के पसंदीदा स्तर के बारे में पता लगाया। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, बर्नार्ड स्प्रैग
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सबसे ज्यादा खतरे में पड़ी रीफ मछलियां वैज्ञानिकों और आम जनता द्वारा सबसे अधिक नजरअंदाज की जाने वाली मछलियां हैं। इस बात का खुलासा फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च (सीएनआरएस) के शोधकर्ता की अगुवाई वाली वैज्ञानिकों की एक टीम ने किया है।

इस नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने समुद्री रीफ मछलियों की 2,408 प्रजातियों में लोगों के पसंदीदा स्तर के बारे में पता लगाया। शोधकर्ताओं ने पाया कि वैज्ञानिक समुदाय मछली के पारिस्थितिक अहमियत से अधिक उनके व्यावसायिक मूल्य की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

दूसरी ओर, जनता मुख्य रूप से कुछ प्रजातियों की सौंदर्य विशेषताओं से प्रभावित होती है, जैसे कि लाल शेर मछली (पेरोइस वोलिटंस) और मैंडरिनफिश (सिंचिरोपस स्प्लेंडिडस)।

ब्लेनीज (ब्लेनिडे) और गोबीज (गोबिडे) के बारे में भी सोचा जा सकता है। ये दो मछली परिवार बड़े पैमाने पर शोधकर्ताओं और जनता दोनों के रडार के नीचे तैरते हैं। फिर भी क्लीनर के रूप में वे रीफ के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आकार में छोटे, वे रीफ (ट्रोफोडायनामिक्स) में छोटे शिकार से बड़े उपभोक्ताओं तक ऊर्जा और पदार्थों को पहुंचाने के लिए जरूरी हैं।

साइंस एडवांस में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, अपने निष्कर्षों पर पहुंचने के लिए, शोधकर्ताओं की टीम ने विभिन्न मछली प्रजातियों के लिए वैज्ञानिक डेटाबेस, सोशल मीडिया और विकिपीडिया पेज व्यू से आंकड़े एकत्रित किए।

शोध रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन में शामिल 2,408 प्रजातियों को विकिपीडिया पर 1.7 करोड़ से अधिक बार देखा, लेकिन उनमें से 50 फीसदी से अधिक बार देखी गई केवल सात फीसदी प्रजातियां थी और 20 फीसदी बार देखे गए केवल एक फीसदी थे। इसके अलावा अध्ययन में शामिल की गई मछलियों में लगभग 50 फीसदी वैज्ञानिक प्रकाशन केवल एक फीसदी प्रजातियों के उपसमूह से संबंधित थे।

शोधकर्ताओं ने शोध में कहा कि खतरे में पड़ी और नजरअंदाज की गई प्रजातियों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान शुरू किए जाने चाहिए।

साथ ही उन्होंने ऐसे अनुसंधान कार्यक्रमों की वकालत की है जो वैश्विक संरक्षण रणनीति के लिए सभी पारिस्थितिकी तंत्रों को ध्यान में रखते हों, जो अब जबरन व्यावसायिक प्रक्रियाओं से प्रेरित न हों।

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