इंडोनेशिया में खोजा गया दुनिया का सबसे छोटा नुकीले दातों वाला मेंढक, जानिए क्यों है विशेष

इस नई प्रजाति का वैज्ञानिक नाम लिम्नोनेक्टेस फाइलोफोलिया है। यह नन्हें जीव पत्तियों पर अंडे देते हैं, जहां नर मेंढक अंडों की रक्षा करते हैं
इंडोनेशिया में खोजा गया दुनिया का सबसे छोटा नुकीले दातों वाला मेंढक, जानिए क्यों है विशेष
Published on

वैज्ञानिकों ने इंडोनेशिया में मेंढकों की एक नई प्रजाति को खोजा है, जो अपने विशेष दांतों की वजह से दूसरी मेंढक प्रजातियों से काफी अलग है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह दुनिया के अब तक खोजे गए सबसे छोटे नुकीले दातों वाले मेंढक हैं।

आमतौर पर देखें तो मेंढकों में दांतो के बारे में कुछ खास नहीं होता है। वे सामान्यतः ऊपरी जबड़े में लगी छोटी-छोटी नुकीली संरचनाएं होती हैं। हालांकि दक्षिण पूर्व एशिया में मेंढकों का एक विशेष समूह अपने अनूठे दांतों के लिए जाना जाता है। इन मेंढकों के निचले जबड़े से उभरी हुई हड्डियों की दो नुकीली संरचनाएं यानी दांत होते हैं।

यह मेंढक अपने इन दांतों का उपयोग दूसरे साथी मेंढकों से लड़ने के लिए करते हैं। इस तरह वो अपने क्षेत्र और साथी के लिए दूसरे मेंढकों से प्रतिस्पर्धा करते हैं। कभी-कभी यह मेंढक अपने इन दांतों का उपयोग विशाल सेंटीपीड और केकड़ों जैसे कठोर कवच वाले जीवों का शिकार करने के लिए भी करते हैं।

जर्नल प्लोस वन में इन्हीं मेंढकों की एक नई प्रजाति के खोजे जाने का दावा किया गया है जो नुकीले दांतों वाले मेंढकों की अब तक पहचानी गई सबसे छोटी प्रजाति है। इस नई प्रजाति का वैज्ञानिक नाम ‘लिम्नोनेक्टेस फाइलोफोलिया’ है, जहां फाइलोफोलिया शब्द उनके पत्तियों में घोसला बनाने के व्यवहार को संदर्भित करता है।

इस प्रजाति के बारे में अध्ययन और शिकागो के फील्ड संग्रहालय में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता जेफ फ्रेडरिक का कहना है कि, "यह नई खोजी गई प्रजाति अपने आवास में पाए जाने वाली मेंढकों की नुकीली दांतों वाली प्रजातियों की तुलना में काफी छोटी है। इनका आकार उन दूसरी प्रजातियों से आकार का करीब एक चौथाई है।“

उनके मुताबिक इस वंश के कई मेंढक आकार में काफी बड़े होते हैं, जिनमें से कुछ का वजन तो दो पाउंड तक होता है। वहीं यह नई प्रजाति इस मामले में उनसे बेहद अलग है, इनका आकार महज एक सिक्के जितना होता है।

किस तरह दूसरे मेंढकों से अलग है यह प्रजाति

बता दें कि मेंढकों की इस नई प्रजाति की खोज सुलावेसी में की गई है जोकि इंडोनेशिया में एक ऊबड़-खाबड़, पहाड़ी द्वीप है। फ्रेडरिक के मुताबिक यह एक विशाल द्वीप है, जिसमें पहाड़, ज्वालामुखी, तराई के वर्षावनों के साथ जंगलों का एक विशाल नेटवर्क मौजूद है। इतने अलग-अलग आवासों की उपस्थिति का मतलब है कि वहां पेड़-पौधों और जीवों की विशाल जैव-विविधता मौजूद है।

मेंढकों को देखें तो वो एक उभयचर जीव हैं, जो अंडे देते हैं। हालांकि उनके अंडे कठोर, सुरक्षात्मक खोल के बजाय मुलायम जेली से ढके होते हैं। ऐसे में अंडों को सूखने से बचाने के लिए अधिकांश उभयचर जीव अपने अंडे पानी या उसके किनारे रखते हैं। हालांकि अनुसंधान दल को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि जमीन से कई फीट ऊपर पत्तियों और काई वाले पत्थरों पर किसी जीव ने अंडे दिए हुए थे। कुछ ही समय बाद, इन अंडों से स्वयं ही छोटे, भूरे मेंढक दिखाई देने लगे।

फ्रेडरिक के मुताबिक, आम तौर पर जब हम मेंढकों की तलाश कर रहे होते हैं तो इसके लिए पानी के साथ-साथ नदी के किनारों को स्कैन किया जाता है। या फिर जलधारा के बीच में ढूंढा जाता है।

हालांकि जब शोधकर्ताओं की इन मेंढकों के घोसलों पर नजर पड़ी तो उन्होंने देखा कि कुछ मेंढक घोंसलों के पास पत्तियों पर बैठे हैं। वास्तव में यह मेंढक अपने अंडों की रक्षा के लिए बैठे थे। यह निकट संपर्क मेंढकों को अंडों पर ऐसे यौगिकों की परत चढ़ाने की अनुमति देता है जो उन्हें नम बनाए रखती है और बैक्टीरिया के साथ-साथ कवक से बचाने में भी मदद करती है।

शोधकर्ताओं ने जब इन जीवों की बारीकी से जांच की तो उन्हें पता चला कि वे नुकीले मेंढकों के परिवार से जुड़े छोटे सदस्य थे, जिनके दांत बमुश्किल से दिखाई देते हैं। उन्हें यह भी पता चला कि जो मेंढक अंडों की देखभाल कर रहे थे वे सभी नर थे। फ्रेडरिक का इस बारे में कहना है कि, "मेंढकों में नर द्वारा अंडे की रखवाली का व्यवहार पूरी तरह से अज्ञात नहीं है, लेकिन यह असामान्य जरूर है।"

फ्रेडरिक और उनके सहयोगियों का अनुमान है कि इन मेंढकों का असामान्य प्रजनन व्यवहार उनके सामान्य से छोटे नुकीले दांतों से जुड़ा हो सकता है। इन मेंढकों के कुछ रिश्तेदारों के दांत आकार में बड़े होते हैं, जो उन्हें धाराओं के किनारे अपने आवास को सुरक्षित रखने और उसके लिए प्रतिस्पर्धा करने में मदद करते हैं। लेकिन चूंकि इन मेंढकों ने पाने से दूर अंडे देने के लिए अपने आप को अनुकूलित कर लिया  है, ऐसे में हो सकता है कि इन्हें इतने बड़े दांतों नुकीले दांतों की जरूरत न रह गई हो।

प्रेस विज्ञप्ति में इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए फ्रेडरिक ने कहा कि, "यह खोज इन निराले उष्णकटिबंधीय आवासों को संरक्षित करने के महत्व को उजागर करती है।"  उनके मुताबिक सुलावेसी जैसी जगहों पर रहने वाले अधिकांश जीव काफी अनोखे हैं, और प्रजातियों में बहुत ज्यादा विविधता मौजूद हैं। हालांकि इनके आवास पर जिस तरह से खतरा मंडरा रहा है वो इन जीवों के संरक्षण के लिए चुनौतियां पैदा कर रहा है। ऐसे में इन अनूठे जीवों के संरक्षण के लिए जो और कहीं नहीं पाए जाते, इनके पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखना बेहद जरूरी हो जाता है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in