असम के चारदुआर रिजर्व फॉरेस्ट में अवैध निर्माणों के लिए कौन है जिम्मेवार, तय करें जिम्मेवारी: एनजीटी

ट्रिब्यूनल ने उन अधिकारियों की पहचान करने को भी कहा है, जिन्होंने कानून को ताक पर रख आरक्षित वन क्षेत्र के भीतर इस तरह के निर्माण की अनुमति दी थी
असम के चारदुआर रिजर्व फॉरेस्ट में अवैध निर्माणों के लिए कौन है जिम्मेवार, तय करें जिम्मेवारी: एनजीटी
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दो मई, 2024 असम के मुख्य सचिव से चार सप्ताह के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। उनसे हलफनामे में यह रेखांकित करने के लिए कहा गया है कि असम के चारदुआर रिजर्व फॉरेस्ट और सोनाई रूपाई वन्यजीव अभयारण्य में अवैध निर्माण या अतिक्रमण के लिए कौन जिम्मेवार है।

इसके अतिरिक्त ट्रिब्यूनल ने उन अधिकारियों की पहचान करने को भी कहा है, जिन्होंने वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 को ताक पर रख आरक्षित वन क्षेत्र के भीतर इस तरह के निर्माण की अनुमति दी थी। हलफनामे में यह भी बताना होगा कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने इस मामले में कार्रवाई क्यों नहीं की, जबकि 2017 से उनकी नाक के नीचे इस तरह की अवैध गतिविधियां चल रही थी।

अदालत ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से भी चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इस हलफनामे में सोनाई रूपाई वन्यजीव अभयारण्य और चारदुआर रिजर्व फॉरेस्ट में निर्माण की अनुमति देने वाले अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, अतिक्रमण और अवैध निर्माण को हटाने के लिए क्या कार्रवाई की गई, इसकी जानकारी भी हलफनामे में होनी चाहिए।

वन क्षेत्र में चल रहे स्कूल

गौरतलब है कि आठ अप्रैल, 2024 को एक हलफनामे में, असम पर्यावरण और वन विभाग के संयुक्त सचिव ने हलफनामे में कहा था कि चारदुआर रिजर्व फॉरेस्ट और सोनाई रूपाई वन्यजीव अभयारण्य के भीतर गैर-वन गतिविधियों के साथ-साथ स्कूल भी चल रहे हैं। जो वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 का उल्लंघन है। इस हलफनामे में यह भी कहा है कि ढेकियाजुली रेंज अधिकारी ने वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए इन स्कूलों की प्रबंध समितियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई की है।

अदालत को यह भी बताया गया है कि सिंचाई विभाग चारदुआर रिजर्व फॉरेस्ट के भीतर वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 का उल्लंघन करते हुए सिलोनी नदी पर स्लुइस गेट का निर्माण कर रहा है। इस अनधिकृत निर्माण के संबंध में उदलगुरी मजबत सिंचाई प्रभाग के कार्यकारी अभियंता को एक पत्र भी भेजा गया है।

इसके अतिरिक्त, जय राम राभा नामक व्यक्ति द्वारा सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना चारदुआर रिजर्व फॉरेस्ट में एक चाय बागान स्थापित किया गया है। अदालत का कहना है कि संयुक्त सचिव द्वारा दायर हलफनामे में इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि क्या अवैध निर्माण को हटाकर जंगल की बहाली की गई है।

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