क्या है आईयूसीएन की रेड लिस्ट, इसके बारे में जानना क्यों हैं जरूरी?

आईयूसीएन की रेड लिस्ट दुनिया भर में प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति का सबसे बड़ा सूचना स्रोत है
Photo : Wikimedia Commons
Photo : Wikimedia Commons
Published on

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के अनुसार 37,400 से अधिक प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है। ये वे प्रजातियां हैं, जिनका मूल्यांकन किया गया है, जो केवल 28 फीसदी है।

आईयूसीएन की रेड लिस्ट या लाल सूची क्या है?

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटड स्पीसीज की स्थापना 1964 में की गई थी। यह दुनिया की जैविक प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति का सबसे बड़ा सूचना स्रोत है, जिसमें पशु, कवक और पौधों की प्रजातियों की दुनिया भर से विलुप्त होने की स्थिति की जानकारी समाहित होती है।

आईयूसीएन रेड लिस्ट विश्व की जैव विविधता के स्वास्थ्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी भी रखता है। यह जैव विविधता संरक्षण और नीति परिवर्तन हेतु कार्रवाई करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है। यह प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है जिन्हें हमें बचाना अति आवश्यक है। यह सीमा, जनसंख्या आकार, आवास और पारिस्थितिकी, उपयोग या व्यापार, खतरे और संरक्षण कार्यों के बारे में जानकारी प्रदान करता है जो आवश्यक संरक्षण निर्णयों के बारे में जरूरी सूचना देने में मदद करता है।

इसकी जरूरत क्यों है?

क्योंकि यह हजारों प्रजातियों, उप-प्रजातियों, किस्मों और यहां तक कि उप-आबादी की स्थिति पर महत्वपूर्ण जानकारी और विश्लेषण प्रदान करता है और उन खतरों को सामने रखता है जिन्हें प्रजातियां झेल रहीं होती हैं।

यह जो वन्यजीवों या उनकी प्रजातियां विलुप्त होने के बढ़ते खतरे का सामना कर रहे होते हैं यह उनके संरक्षण के प्रयासों को प्राथमिकता देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों, राष्ट्रीय सरकारों, संरक्षण संगठनों और वैज्ञानिक संस्थानों के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करता है।

सूची का संकलन कौन करता है?

स्विट्जरलैंड आधारित आईयूसीएन (प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ) लाल सूची का निर्माण करने के लिए जिम्मेदार है। लेकिन दिन-प्रतिदिन के आधार पर इसे प्रबंधित और संकलित किया जाता है, जो कैम्ब्रिज में स्थित ग्लोबल स्पीशीज प्रोग्राम रेड लिस्ट यूनिट द्वारा बनाया गया है। इसमें दुनिया के लगभग हर देश में 16,000 वैज्ञानिकों और 1,300 भागीदार संगठनों की जानकारी समाहित होती है।

संरक्षण स्थिति का आकलन कैसे किया जाता है?

बर्डलाइफ इंटरनेशनल, आईयूसीएन प्रजाति उत्तरजीविता आयोग और रेड लिस्ट साझेदारी के कई अन्य सदस्यों के सुझावों के साथ, संख्या और माप के आधार पर (जैसे आबादी का आकार, आबादी में गिरावट और भौगोलिक सीमा) का उपयोग करके प्रत्येक प्रजाति का कड़ाई से मूल्यांकन किया जाता है। एक बार मूल्यांकन को सटीकता से जांचने के बाद, प्रजाति को आठ आधिकारिक श्रेणियों में से एक में रखा जाता है।

श्रेणियां कितनी हैं?

आठ श्रेणियां हैं:

  • विलुप्त -किसी विशेष जानवर या पौधे की प्रजाति की विलुप्ति तब होती है जब दुनिया में कहीं भी वह प्रजाति जीवित नहीं होती हैं
  • जंगली मगर विलुप्त
  • गंभीर रूप से खतरे में-जो जंगली हैं जिनके विलुप्त होने का अत्यधिक खतरा है
  • खतरे में-जो जंगली हैं जिनके विलुप्त होने का बहुत अधिक खतरा है
  • अतिसंवेदनशील-जो जंगली हैं जिनके विलुप्त होने का अधिक खतरा है
  • खतरे के पास- भविष्य में इसके खतरे की श्रेणी में जाने की आशंका है
  • जिसके बारे में कम से कम चिंता-जिसे अधिक खतरे वाले श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है
  • आंकड़ों की कमी-मूल्यांकन करने के लिए आंकड़ों की कमी
  • एक नौवीं श्रेणी-जिन प्रजातियों का अभी तक मूल्यांकन नहीं किया जा सका है

एक खतरे वाली प्रजाति क्या है?

कोई भी प्रजाति जिसे संकटग्रस्त, लुप्तप्राय या कमजोर के रूप में आंका गया है।

क्या हर प्रजाति का मूल्यांकन किया गया है?

बड़े दुख की बात है कि ऐसा नहीं है, 17.4 लाख प्रजातियों की खोज की गई है और उन्हें वैज्ञानिक नाम दिए गए हैं, हालांकि सही संख्या 1 करोड़ से अधिक हो सकती है। उनमें से सिर्फ 93,500 का मूल्यांकन किया गया है और 26,000 से अधिक को विलुप्त होने का खतरा है, जिसमें 41 प्रतिशत उभयचर, 34 प्रतिशत शंकुधारी, 33 प्रतिशत चट्टान निर्माण कोरल, 25 प्रतिशत स्तनधारी और 13 प्रतिशत पक्षी शामिल हैं। मूल्यांकन समय लेने वाली और महंगी प्रक्रिया हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in