रूस और ईरान के कई संस्थानों से जुड़े प्राणीशास्त्रियों और जीवविज्ञानियों के एक दल ने मध्य ईरान में रेसरनर छिपकलियों की दो नई प्रजातियों की खोज की है। शोधकर्ताओं ने इन प्रजातियों के अनूठे पैटर्न को ध्यान में रखते हुए इन्हें एरेमियास ग्राफिका, और एरेमियास स्यूडोफासिआटा नाम दिया है। जो उनके पीठ पर मौजूद पैटर्न और रेसरनर समूह से उनके संबंधों को दर्शाता है।
इन प्रजातियों के बारे में विस्तृत जानकरी देते हुए जर्नल जूटाक्सा में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ है, जिसमें इन प्रजातियों के आवास, विशेषताओं और छिपकलियों की अन्य रेसरनर प्रजातियों के साथ उनके संबंधों को साझा किया गया है।
गौरतलब है कि 2010 में तेहरान से करीब 55 किलोमीटर दूर तबास शहर के पास एक सड़क किनारे विशिष्ट रेसरनर छिपकलियों की खोज की गई थी। हाल ही में इस खोज की जांच के लिए एक शोध दल का गठन किया गया था। अपने नवीनतम प्रयास में, टीम ने इस साइट का दोबारा दौरा किया और पाए गए दस नमूनों का विस्तार से अध्ययन किया है।
शोधकर्ताओं ने इन सभी छिपकलियों की पीठ पर अनूठे चित्रलिपि पैटर्न देखे हैं, यह विशेषता रेसरनर छिपकलियों में पहले नहीं देखी गई। जांच में शोधकर्ताओं ने थोड़े अलग पैटर्न वाले छिपकलियों के दो समूहों की पहचान की है।
इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने ईरान और आसपास के क्षेत्रों में पाई जाने वाली एरेमियास फासिआटा प्रजाति के 93 आनुवंशिक नमूनों की जांच की है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने इन दो नई प्रजातियों की पहचान को प्रमाणित करने के इनके आकार और स्वरुप के आंकड़ों का भी अध्ययन किया है।
कैसे दूसरी छिपकलियों से हैं अलग
इन छिपकलियों के मिले नमूनों के डीएनए विश्लेषण से पता चला है कि वे वास्तव में छिपकलियों की दो नई प्रजातियां हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं ने इन प्रजातियों के अनूठे पैटर्न को ध्यान में रखते हुए इन्हें एरेमियास ग्राफिका, और एरेमियास स्यूडोफासिआटा नाम दिया है। जो उनके पीठ पर मौजूद पैटर्न और रेसरनर समूह से उनके संबंधों को दर्शाता है।
शोधकर्ताओं को पता चला है कि इन छिपकलियों की औसत लंबाई करीब 18 सेंटीमीटर थी। वहीं शरीर और पीठ पर उनके विशिष्ट रंग ने उन्हें रेगिस्तानी आवास में अच्छी तरह से घुलने मिलने के काबिल बनाया। शोधकर्ताओं ने देखा कि छिपकलियां अक्सर चट्टानों या रेतीले स्थानों पर शांत बैठी रहती हैं और कभी-कभी शिकार करने या ठंडक के लिए पास की झाड़ियों के नीचे छाया में जाती हैं।
करीब से देखने पर पता चला है कि इन सभी छिपकलियों की पीठ पर गहरे भूरे रंग की धारियां थीं, जो पहले देखे गए चित्रलिपि पैटर्न का निर्माण करती हैं। इन छिपकलियों की पूंछ लम्बी है, जो उनके शरीर से करीब दोगुनी लंबी थीं। साथ ही उनकी गहरी भूरी आंखे और नुकीले पंजे भी थे। कई रेगिस्तानी जीवों की तरह, यह छिपकलियां भी सुबह और शाम के समय सबसे ज्यादा सक्रिय होती हैं।
रेसरनर, जैसा कि इनके नाम से पता चलता है, यह छिपकलियां अपनी रफ्तार के लिए जानी जाती हैं। इनमें से कुछ प्रजातियां को तो 28 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार से दौड़ते देखा गया है।