आज है विश्व मधुमक्खी दिवस, जानें उनका महत्व

कृषि भूमि के उपयोग में बदलाव, आवास का विनाश, कीटनाशक, जलवायु परिवर्तन, बीमारियां व परजीवियों की वजह से मधुमक्खियों की आबादी कम हो रही है
मधुमक्खियां सिर्फ शहद बनाने वाली नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता और अर्थव्यवस्था की नींव हैं।
मधुमक्खियां सिर्फ शहद बनाने वाली नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता और अर्थव्यवस्था की नींव हैं।फोटो साभार: आईस्टॉक
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विश्व मधुमक्खी दिवस (वर्ल्ड हनी बी डे) हर साल अगस्त के तीसरे शनिवार को मनाया जाता है, जो इस साल 16 अगस्त को पड़ रहा है। यह दिवस हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और खाद्य सुरक्षा में मधुमक्खियों की अहम भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। यह दिवस मधुमक्खी पालन के महत्व और मधुमक्खी आबादी के संरक्षण की जरूरत पर भी प्रकाश डालता है। दुनिया भर में मधुमक्खियों की 20,000 अलग-अलग प्रजातियां हैं।

साल 2025 की थीम "प्रकृति से प्रेरित मधुमक्खियां हम सभी का पोषण करें"। यह थीम कृषि-खाद्य प्रणालियों और पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य में मधुमक्खियों और अन्य परागणकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। यह दिन प्रकृति, खाद्य सुरक्षा और मानव कल्याण के बीच संबंध पर जोर देता है।

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मधुमक्खियां सिर्फ शहद बनाने वाली नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता और अर्थव्यवस्था की नींव हैं।

रानी मधुमक्खी को अंडे से वयस्क बनने में 16 दिन लगते हैं। श्रमिक मधुमक्खी को पूर्ण विकास में 18 से 22 दिन लगते हैं, और ड्रोन मधुमक्खियों को वयस्क मधुमक्खी बनने में 24 दिन लगते हैं। मधुमक्खी पालन की परंपरा कम से कम 4,500 साल पुरानी है। एक मधुमक्खी छह मील तक और 15 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकती है।

परागण में अग्रणी भूमिका निभाने वाली मधुमक्खियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। मधुमक्खियां अपरिहार्य परागणक हैं, जो कई पौधों के प्रजनन के लिए आवश्यक हैं, जिनमें हमारी खाद्य आपूर्ति की रीढ़ बनने वाली फसलें भी शामिल हैं। दुनिया की लगभग 90 फीसदी जंगली फूलदार पौधों की प्रजातियां मधुमक्खियों पर निर्भर हैं।

मधुमक्खियां दुनिया के लगभग 75 फीसदी फूल वाले पौधों और लगभग 35 फीसदी दुनिया भर के खाद्य फसलों का परागण करती हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियां, मेवे और बीज शामिल हैं। मधुमक्खियों के बिना, इनमें से कई पौधों की उत्पादकता में भारी गिरावट आएगी, जिससे खाद्य असुरक्षा और अनुपलब्धता होगी।

परागणकर्ताओं के रूप में मधुमक्खियों का आर्थिक मूल्य अपार है। दुनिया भर में कृषि में परागणकर्ताओं का योगदान सालाना लगभग 19,646 से 48,237 अरब रुपये के बीच है। यह आंकड़ा परागण द्वारा सुगम फसलों की बढ़ी हुई उपज और गुणवत्ता को दर्शाता है। एक अध्ययन में, जहां परागण का प्रबंधन अच्छी तरह से किया गया था, वहां खेती की गई फसलों की उपज में 24 फीसदी की वृद्धि होती है।

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अंधाधुंद कृषि, भूमि-उपयोग में बदलाव, आवास का विनाश, एक-फसल, कीटनाशक, जलवायु परिवर्तन से जुड़ा उच्च तापमान, बीमारियां और परजीवी, ये सभी मधुमक्खियों की आबादी के लिए चुनौतियां पैदा करते हैं। अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो पौष्टिक फसलों, जैसे फल, मेवे और कई सब्जियों की जगह चावल, मक्का और आलू जैसी गैर-परागणकारी मुख्य फसलें ले लेंगी, जिसके कारण असंतुलित आहार पैदा होगा। हालांकि परागणकों के बिना, कई पौष्टिक खाद्य पदार्थ, जैसे फल, कुछ सब्जियां, बीज, मेवे और तेल, लुप्त हो जाएंगे।

मधुमक्खियां खतरे में हैं। मानवजनित प्रभावों के कारण वर्तमान में प्रजातियों के विलुप्त होने की दर सामान्य से 100 से 1,000 गुना अधिक है। लगभग 35 फीसदी अकशेरुकी परागणकर्ता, विशेष रूप से मधुमक्खियां और तितलियां और लगभग 17 फीसदी कशेरुकी परागणकर्ता, जैसे चमगादड़, दुनिया भर में विलुप्त होने के कगार पर हैं, जो मानव अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

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शहद एक सुनहरा, गाढ़ा तरल है जो मधुमक्खियों द्वारा फूलों वाले पौधों के रस का उपयोग करके बनाया जाता है। मधुमक्खियों को एक दिन में 7000 फूलों पर जाना पड़ता है और एक किलो शहद बनाने के लिए 40 लाख फूलों से रस इकट्ठा करना पड़ता है।

एक मधुमक्खी को एक पाउंड शहद बनाने के लिए लगभग 90,000 मील - दुनिया भर में तीन बार - उड़ना पड़ता है। औसत मधुमक्खी अपने जीवनकाल में केवल एक चम्मच शहद का 1/12वां हिस्सा ही बना पाती है। एक मधुमक्खी एक संग्रह यात्रा के दौरान 50 से 100 फूलों पर जाती है। मधुमक्खियां जिस प्रकार के फूलों पर जाती हैं, उसका शहद की बनावट, गंध और स्वाद पर प्रभाव पड़ता है।

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मधुमक्खियां केवल शहद उत्पादक ही नहीं हैं, वे हमारी खाद्य सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और जैव विविधता के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। मधुमक्खियां और मधुमक्खी पालन पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्जनन में मदद करते हैं जिससे हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार होता है।

क्योंकि मधुमक्खियों का हमारे ग्रह पर बहुत महत्व है और वे लुप्तप्राय प्रजातियां भी हैं, इसलिए हमें एक स्थायी पर्यावरण के लिए इन मेहनती मित्रों के संरक्षण हेतु मिलकर काम करने की जरूरत है।

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🐝 मधुमक्खियों की अहमियत

  • दुनिया में 20,000 प्रजातियां

  • 90% जंगली फूलदार पौधे और 75% खाद्य फसलें परागण पर निर्भर

  • वैश्विक खाद्य फसलों का 35% परागण मधुमक्खियां करती हैं

💰 आर्थिक योगदान

  • परागण का वार्षिक मूल्य: ₹19,646 से ₹48,237 अरब

  • परागण प्रबंधन से फसल उत्पादन में 24% वृद्धि

🔄 जीवनचक्र

  • रानी मधुमक्खी: 16 दिन में विकसित

  • श्रमिक मधुमक्खी: 18–22 दिन

  • ड्रोन मधुमक्खी: 24 दिन

🍯 शहद उत्पादन

  • 1 किलो शहद = 40 लाख फूलों का रस

  • 1 पाउंड शहद = 90,000 मील उड़ान

  • एक मधुमक्खी जीवनभर में सिर्फ 1/12 चम्मच शहद बनाती है

⚠️ चुनौतियां

  • अंधाधुंध कृषि, कीटनाशक, भूमि उपयोग परिवर्तन

  • जलवायु परिवर्तन और आवास विनाश

  • 35% अकशेरुकी (मधुमक्खियां, तितलियां) और 17% कशेरुकी परागणकर्ता (चमगादड़) विलुप्ति के कगार पर

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