संसद में आज: भारत में 73 प्रजातियों को गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया

संसद में आज: भारत में 73 प्रजातियों को गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया

देश में वर्तमान में 8700 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 11 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों का निर्माण चल रहा है
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भारत में गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियां

कुछ स्तनपायी, पक्षी, सरीसृप, उभयचर भारत में खतरे में या गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं लेकिन भारतीय पानी के मूंगे की चट्टानों के गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की जानकारी नहीं है। आईयूसीएन के आंकड़ों के अनुसार, स्तनधारियों की 9 प्रजातियों, पक्षियों की 18 प्रजातियों, सरीसृपों की 26 प्रजातियों और उभयचरों की 20 प्रजातियों सहित 73 प्रजातियों को भारत में गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया है, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में दी।

यमुना नदी में प्रदूषण

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता की निगरानी सीपीसीबी द्वारा राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (एनडब्ल्यूएमपी) के तहत उत्तराखंड के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी), प्रदूषण नियंत्रण समितियों (पीसीसी) के सहयोग से हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 33 स्थानों पर की जाती है, यह आज जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने लोकसभा में बताया।

पटेल ने कहा 2019-2021 के दौरान बीओडी की सांद्रता के आधार पर यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि बीओडी की उच्चतम सांद्रता दिल्ली में यमुना नदी में सभी तीन वर्षों (यानी 2019-2021 से) के दौरान देखी गई है, इसके बाद उत्तर प्रदेश के नदी के निचले स्थानों में 2020 के दौरान अधिकतम सांद्रता 114 मिलीग्राम प्रति लीटर देखी गई है।

सोलर पार्कों की स्थापना

राज्यों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर, सरकार ने देश में मध्य प्रदेश सहित 13 राज्यों को 39,285 मेगावाट की कुल क्षमता के 57 सौर पार्कों को मंजूरी दी है। मध्य प्रदेश सरकार ने जानकारी दी है कि सौर संयंत्रों की योजना और उनको लगाने के लिए बंजर भूमि के हिस्सों की उपलब्धता के आधार पर यह निर्भर करता है, इस बात की जानकारी आज ऊर्जा और नवीन नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने लोकसभा में दी।

सिंह ने आगे बताया कि अब तक, मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में कोई सौर संयंत्र प्रस्तावित नहीं है।

सोलर रूफटॉप

इस कार्यक्रम में केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान करके आवासीय क्षेत्र में 4,000 मेगावाट रूफटॉप सौर (आरटीएस) क्षमता की स्थापना करना, पिछले वर्ष की स्थापित क्षमता से अधिक एक वर्ष में अतिरिक्त आरटीएस क्षमता की उपलब्धि के लिए डिस्कॉम को प्रोत्साहन देने की परिकल्पना की गई थी। कार्यक्रम के तहत कार्यान्वयन एजेंसियों को सेवा शुल्क सहित 11814 करोड़ रुपये की कुल केंद्रीय वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है, जिसे शुरू में 2022 तक पूरा करने के लिए निर्धारित किया गया था। हालांकि, 30.11.2022 तक कुल 7.3 गीगावॉट आरटीए क्षमता हासिल की जा चुकी है। इस बात की जानकारी आज ऊर्जा और नवीन नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने लोकसभा में दी।

दिल्ली में स्टॉर्म जल का प्रबंधन

मास्टर प्लान के अनुसार, दिल्ली में, वर्षा जल सहित अनुमानित बारिश के बहते पानी का 175 मिलियन क्यूबिक मीटर में से 24 मिलियन क्यूबिक मीटर का उपयोग भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए किया जा सकता है। शेष बहते पानी का उपयोग  करने के लिए, 12 नग चेक डैम, 22,706 नग रिचार्ज शाफ्ट, रिचार्ज ट्रेंच और 3,04,500 नग रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर की परिकल्पना की गई थी। इसका कार्यान्वयन राज्य सरकारों की मौजूदा योजनाओं के माध्यम से किया जाना है और केंद्र सरकार द्वारा कार्यान्वयन के लिए किसी तरह की अलग योजना या फंड की परिकल्पना नहीं की गई है, यह आज  जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने लोकसभा में बताया।

पार्टिकुलेट मैटर में सुधार वाले शहर

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत, 24 राज्यों के 131 शहरों में 2024 तक पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा में 20 से 30 फीसदी की कमी के लक्ष्य को हासिल करने की परिकल्पना की गई है। 131 शहरों में से, 95 शहरों में वित्त वर्ष 2021-22 में पार्टिकुलेट मैटर 10 (पीएम10) की मात्रा के मामले में आधार वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले वायु गुणवत्ता में सुधार दिखाई दिया है, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में दी।

नामीबिया से चीता का आयात और पुन: स्थापित करने से जुड़ी लागत

प्रोजेक्ट चीता के तहत, प्रारंभिक चरण में, भारत में आठ चीतों को लाया गया है। प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत चल रही केंद्र प्रायोजित योजना के तहत, पांच साल के लिए 38.7 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है। प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (कैम्पा) के तहत 29.47 करोड़ रुपये का वित्त पोषण किया गया है, जिसमें चीता को फिर से जोड़ना, रखरखाव, प्रबंधन और लागत शामिल है। यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।

एनजीटी द्वारा राज्यों को दंडित किया गया

अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड आदि राज्यों के द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार उन्हें राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा दंडित किया गया है। इसके अलावा, जैसा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जानकारी दी गई है, एनजीटी-दिल्ली द्वारा मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल राज्यों पर मूल आवेदन 606/2018 और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों में ठोस अपशिष्ट और सीवेज उपचार योजना का कार्यान्वयन से संबंधित पर्यावरण मुआवजा (ईसी) लगाया गया है, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में दी।

परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली उत्पादन

देश में वर्तमान स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता में 6780 मेगावाट की क्षमता वाले 22 रिएक्टर शामिल हैं। 6780 मेगावाट की स्थापित क्षमता में से, आरएपीएस-एक (100 मेगावाट) वर्तमान में विस्तारित खामियों को दूर करने के अधीन है। टीएपीएस एक और दो  (2X160 मेगावाट) और एमएपीएस-एक (220 मेगावाट) अपने प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए सुधार के चरण में हैं, यह आज कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन और प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में  बताया।

सिंह ने कहा कि वर्तमान में 8700 मेगावाट (भाविनी द्वारा 500 मेगावाट सहित) की कुल क्षमता वाले 11 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों का निर्माण चल रहा है।

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