वैज्ञानिकों ने खोजी थैलाटोसॉरस की नई प्रजाति, 20 करोड़ साल पहले थे जिंदा!

वैज्ञानिकों का दावा है कि समु्द्र में रहने वाली एक ऐसी प्रजाति का पता लगाया है, जो डायनासोर से मिलती जुलती है
Photo credit: Nature
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यूनिवर्सिटी ऑफ अलास्का फेयरबैंक्स के वैज्ञानिकों ने थैलाटोसॉरस की एक नई प्रजाति की पहचान की है, जो एक समुद्री सरीसृप है, जो 20 करोड़ साल पहले समुद्र में रहते थे।वैज्ञानिकों को 2011 में दक्षिणपूर्व अलास्का में इसका जीवाश्म मिला था। यह शोध साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में प्रकाशित हुई है। 

वैज्ञानिकों का दावा है कि थैलाटोसॉरस समुद्री सरीसृप थे, जो 20 करोड़ साल पहले रहते थे। मध्य काल से लेकर अंत में ट्रायसिक काल तक जब उनके दूर के रिश्तेदार-डायनासोर पहली बार उभर रहे थे। वे 3-4 मीटर की लंबाई तक बढ़े और दुनिया भर के भूमध्यरेखीय महासागरों में रहते थे।

पृथ्वी विज्ञान क्यूरेटर यूनिवर्सिटी ऑफ़ अलास्का, म्यूजियम ऑफ द नॉर्थ के मुख्य खोजकर्ता पैट्रिक डुनाकेमिलर ने कहा कि जब हमें कोई नई प्रजाति मिलती हैं, तो हम लोगों को इनके वंश (फैमिली ट्री) के बारे में बताते है। इसलिए हमने इसकी फैमिली ट्री को खोजने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि गुनकादित जोसे प्रजाति की खोज से दो दशक पहले वैज्ञानिकों ने थैलाटोसॉरस के अंतर्संबंधों के बारे में अच्छी तरह से बताया था।

एक प्रागैतिहासिक जानवर के वंश (फैमिली ट्री) की फिर से जांच करने की प्रक्रिया में दुनिया भर में जीवाश्म नमूनों से दर्जनों बड़े-बड़े संरचनात्मक विशेषताओं का विश्लेषण करना शामिल है। कंप्यूटर का उपयोग करके जानकारी का विश्लेषण किया जाता है, जिसमें विभिन्न प्रजातियों का एक दूसरे से संबंध के बारे में जाना जाता है।

केटल ने कहा कि थलैटोसॉरस समुद्र में जीवन के लिए वास करने वाले सरीसृपों के पहले समूहों में से थे। वे लाखों वर्षों तक रहे, लेकिन उनके जीवाश्म दुर्लभ हैं, इसलिए यह नया नमूना उनके विकास और अंततः विलुप्त होने की कहानी को पूरा करने में मदद कर सकता है।

यह जीवाश्म का मिलना अनूठा था। यह इंटरटाइडल ज़ोन में चट्टानों में स्थित था। यह क्षेत्र आम तौर पानी के नीचे रहता है लेकिन साल के कुछ दिनों यह पानी के उपर दिखता है।

दक्षिणपूर्व अलास्का में, जब अत्यधिक निम्न ज्वार आते हैं, तो तब इस तरह की तलाश के लिए लोग समुद्र तटों पर जाते हैं। तलाश को जारी रखते हुए, अमेरिकी वन सेवा के टोंगास नेशनल फॉरेस्ट के भूविज्ञानी जिम बाइचैट ने ठीक यही किया, जब 18 मई 2011 को -3.7 फीट के निम्न ज्वार की भविष्यवाणी की गई थी।

जिम बाइचैट और कुछ सहयोगियों, कार्यालय की सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवर, जीन प्राइमाकी सहित, काके के गाँव के पास केकु द्वीपों की ओर जीवाश्मों की तलाश में निकल पड़े। प्राइमाकी ने एक चट्टान पर कुछ अजीब देखा और बाइकाल्ट को बुला कर दिखाया, यह क्या है?" बाइकाल्ट ने इसे तुरंत जीवाश्म कंकाल के रूप में मान्यता दी। इस जीवाश्म को साफ कर अध्ययन के लिए तैयार करने में कई साल लगे।

जब उन्होंने जीवाश्म की खोपड़ी को देखा, तो उन्होंने बताया कि यह अपने अत्यंत नुकीली थूथन के कारण कुछ नया था, जो कि उथले समुद्री वातावरण के लिए अनुकूल था जहां यह रहता था।

ड्रुकेंमिलर ने कहा कि यह प्राणी संभवतः रीफ्स की दरारों में रहने वाले नरम शरीर के जीवों को अपने नुकीले थूथन से दबा कर यह उनको अपना भोजन बनाता हो। हमें लगता है कि ये जानवर उथले पानी के वातावरण में भोजन करने के लिए अत्यधिक सक्षम थे, लेकिन जब समुद्र का स्तर गिरा और खाद्य स्रोत बदल गए, तो वे कहीं और नहीं गए, और इस तरह यह प्रजाति विलुपत हो गए। 

एक बार जीवाश्म को एक नई प्रजाति के रूप में पहचाने जाने के बाद अब इसे एक नाम देने की आवश्यकता थी। स्थानीय संस्कृति और इतिहास तथा केके में सीलास्का कॉर्प के प्रतिनिधि का सम्मान करने के लिए, इसका नाम टलिंगिट पर सहमति जताई गई जिसे "गुनाकादित" कहा गया। गुनकादित टलिंगिट किंवदंती का एक समुद्री राक्षस है, इसे देखने वालों के लिए सौभाग्य लाने के रूप में जाना जाता है।

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