दक्षिण-पूर्व एशिया के जंगलों को बचाने में नाकाफी साबित हो रहे हैं संरक्षित क्षेत्र : अध्ययन

अध्ययन में कहा गया है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में जिस दर से बिना संरक्षित क्षेत्रों में वनों का नुकसान हो रहा है लगभग वही हाल कई देशों के संरक्षित क्षेत्रों का भी है।
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
Published on

दक्षिण-पूर्व एशिया के आठ देशों में संरक्षित क्षेत्रों में वनों के नुकसान के बारे में एक नया अध्ययन किया गया है। अध्ययन में कहा गया है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में जिस तरह बिना संरक्षित क्षेत्रों में वनों का नुकसान हो रहा है उसी तरह कई देशों के संरक्षित वन क्षेत्रों में लगभग उसी दर से नुकसान हो रहा है।

जंगल कार्बन चक्र में एक अभिन्न भूमिका निभाते हैं, आजीविका में मदद करते हैं। जंगल वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करते हैं जो प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) के अनुसार सतत विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।

आईयूसीएन के मुताबिक एक संरक्षित क्षेत्र उस इलाके को कहा जाता है जो विशेष रूप से जैव विविधता के संरक्षण और रखरखाव के लिए समर्पित हो। अब तक संरक्षित क्षेत्र 1.7 करोड़ वर्ग किलोमीटर या पृथ्वी के 15 प्रतिशत भूमि क्षेत्र को कवर करते हैं। 

अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि इंडोनेशिया में संरक्षित क्षेत्रों में असुरक्षित क्षेत्रों की तुलना में सिर्फ 4 फीसदी कम नुकसान हुआ है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि दक्षिण-पूर्व एशिया में क्षेत्रीय वनों के काटे जाने के रुझान बड़े पैमाने पर इंडोनेशिया से प्रभावित हैं, जहां लगभग 40 फीसदी संरक्षित क्षेत्र हैं और वहां इस क्षेत्र के आधे से अधिक वन हैं।

जबकि 2000 से 2018 के दौरान दक्षिण-पूर्व एशिया में वनों के नुकसान की कुल दर संरक्षित क्षेत्रों के अंदर तीन गुना कम थी, यहां असुरक्षित परिदृश्य की तुलना में, महत्वपूर्ण भिन्नताएं हैं।

बिना संरक्षित क्षेत्रों की तुलना में मलेशिया के संरक्षित क्षेत्रों ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। इसने यहां कुल वन कवर की मात्रा का छठा हिस्सा बचाया, जिसका अन्यथा नुकसान हो गया होता। संरक्षित क्षेत्रों ने कंबोडिया, लाओस और वियतनाम को बिना संरक्षित क्षेत्रों की तुलना में दसवें भाग से अधिक वन कवर को बचाने में भी मदद की।

हालांकि पैमाने के दूसरे छोर पर, फिलीपींस में संरक्षित क्षेत्रों ने असुरक्षित क्षेत्रों की तुलना में अधिक जंगलों का नुकसान हुआ है। अध्ययन में कहा गया है कि इसके पीछे के कारण संरक्षित क्षेत्रों में मानव गतिविधि का अधिक होना है। यह प्रवृत्ति विशेष रूप से पालावान द्वीप पर दिखती है जहां अपेक्षा से अधिक वनों का नुकसान हुआ है।

ऑस्ट्रेलिया के मैक्वेरी विश्वविद्यालय में पृथ्वी और पर्यावरण विज्ञान विभाग के शोधकर्ता विक्टोरिया ग्राहम का कहना है कि निवेश की कमी के चलते जैसे-जैसे मानव दबाव तेज होता है, संरक्षित क्षेत्रों की जैव विविधता के संरक्षण में कम प्रभावी हो जाते हैं।  

ग्राहम ने कहा कि फिलीपींस के संरक्षित क्षेत्रों में अन्य देशों की तुलना में मानव दबाव का स्तर अधिक है। संरक्षित क्षेत्रों में उपलब्ध वन संसाधनों की कमी के कारण बढ़ते वनों के कटने के दबाव का सामना करना होगा।

संयुक्त राष्ट्र के एक रिपोर्ट वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स, 2019 के मुताबिक दक्षिण-पूर्व एशियाई इंसानी आबादी के चलते पिछले दशकों में जंगलों के नुकसान, क्षरण और विखंडन हुआ।

अकेले फिलीपींस में दशक के अंत तक दस लाख हेक्टेयर जंगलों में से लगभग एक तिहाई का नुकसान हो सकता है। यह तब तक जारी रहेगा जब तक कि वनों को काटे जाने से निपटने के लिए देश बदलाव नहीं लाता है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ थ्रेटन टैक्सा में प्रकाशित हुआ था।

भारत में हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में पर्यावरण शिक्षक और सहायक प्रोफेसर गीता गोपीनाथ का कहना है कि कार्बन उत्सर्जन में अधिक कमी और दक्षिण-पूर्व एशिया के जंगलों की सुरक्षा के लिए उच्च स्तर के प्रबंधन आवश्यक हैं। उन्होंने कहा सुशासन और प्रभावी प्रबंधन के लिए योजनाएं सफल संरक्षण परिणामों के मानक का आकलन करने के लिए उल्लेखनीय मानदंड हैं।

मैक्वेरी के ग्राहम ने कहा कि 2050 तक अनुमानित वन कवर और वन कार्बन हानि के अनुमानित प्रक्षेपवक्र को रोकने के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया के मौजूदा संरक्षित क्षेत्रों में मजबूत वन संरक्षण और संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता है।

बड़े पैमाने पर निवेश करने से दक्षिण-पूर्व एशिया में संरक्षित क्षेत्रों में अधिक व्यापक संरक्षण उद्देश्यों को प्राप्त करना संभव है, विशेष रूप से जिन पार्कों में जैव विविधता को खतरा है। यह अध्ययन नेचर में प्रकाशित हुआ है। 

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in