जिला वन अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पश्चिमी घाट में प्रस्तावित सड़क का पूरा हिस्सा अन्नामलाई टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र में आता है। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट 18 जुलाई, 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष दायर की गई है।
यह सड़क तमिलनाडु में तिरुपुर जिले की धाली नगर पंचायत के उडुमलाई में थिरुमूर्ति पहाड़ियों से गुरुमलाई या कुरुमलाई तक के लिए प्रस्तवित है। रिपोर्ट के मुताबिक यह निर्माण अन्नामलाई टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र के लिए एक बड़ा खतरा है, जो कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है। इनमें पेड़-पौधों से जीव जंतुओं की कई प्रजातियां शामिल हैं, जो पहले ही गंभीर खतरे का सामना कर रही हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह भूभाग बेहद खड़ी चढ़ाई और उतार-चढ़ाव वाला है। इसमें कई जल चैनल हैं जो पलार नदी में मिलते हैं। वहीं पलार नदी थिरुमूर्ति बांध में मिलती है। यह पूरा क्षेत्र कावेरी की सहायक नदियों का जलग्रहण क्षेत्र है। ऐसे में इस भूदृश्य में कोई भी बदलाव या भूभाग में हुई गड़बड़ी मिट्टी के कटाव की वजह बन सकती है। इसकी वजह से पूरे जलग्रहण क्षेत्र पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एक सड़क ऊपरी अलियार होते हुए कुरुमलाई से अट्टाकट्टी तक जाती है। यह सड़क छह बस्तियों को अट्टाकट्टी या वालपराई-पोलाची सड़क से जोड़ती है।
यह क्षेत्र बाघ, हाथी, तेंदुओं और अनुसूची 1 में दर्ज अन्य प्रजातियों का घर है। इसके साथ-साथ यहां उभयचरों, सरीसृपों और पक्षियों की कई प्रजातियां भी बसती हैं।साथ ही इस क्षेत्र में पौधों की कई सामान्य और स्थानिक प्रजातियां भी पाई जाती हैं।
जैव विविधता और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए पैदा हो सकता है गंभीर खतरा
यह क्षेत्र तमिलनाडु के राज्य पशु नीलगिरि तहर का भी निवास स्थान है। ऐसे में इस क्षेत्र में सड़क निर्माण से पारिस्थितिकी तंत्र और वन्यजीवों के आवासों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक इस सड़क के लिए आवश्यक वन्यजीव और वन मंजूरी भी नहीं ली गई है
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस सड़क के निर्माण से वन्यजीवों के आवास, जैव विविधता और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। इसकी वजह से इंसानों और जंगली जीवों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ सकती हैं। नतीजन स्थानीय समुदायों और वन्यजीवों की सुरक्षा और कल्याण को खतरा हो सकता है। इससे जंगल के किनारे रहने वाले ग्रामीणों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिन्हें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जंगल और मौजूद जैव विविधता से फायदा होता है।