एनजीटी ने 10 अगस्त को राजस्थान के अलवर जिले के सरिस्का टाइगर रिजर्व में अवैध खनन के मामले की जांच के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया।
इस समिति में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला मजिस्ट्रेट अलवर और राजस्थान के प्रधान मुख्य संरक्षक (वन बल के प्रमुख) अधिकारी शामिल होंगे।
एनजीटी ने अवैध खनन के अनुमान, क्षेत्र में स्वीकृत खानों की संख्या और पर्यावरणीय आधार पर संवेदनशील क्षेत्रों में अवैध खनन की जांच के लिए नियम बनाने और दो महीने के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
यह आदेश 27 जुलाई की एक अखबार की रिपोर्ट के मद्देनजर आया, जिसमें सरिस्का रिजर्व के अंदर संदिग्ध खनन माफिया से संबंधित एक ट्रैक्टर द्वारा वन होमगार्ड को नीचे गिराने की सूचना मिली थी। यह घटना उस समय घटी जब होमगार्ड ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर खनन माफियाओं को रोकने का प्रयास किया था।
अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व 1,281 वर्ग किलोमीटर में फैला है। क्षेत्र छह श्रेणियों में विभाजित है। वहां सिर्फ 108 वन रक्षक है, जबकि उनकी स्वीकृत संख्या 132 है। इसके अलावा, सरिस्का में लगातार हमलों के खतरे बढ़ रहे हैं। यहां अवैध खनन करने वाले, जानवरों को चराने वालों के साथ निहत्थे वन रक्षक क्षेत्र की रक्षा के लिए अक्सर संघर्ष करते रहते हैं। यह घटना पहली बार नहीं हुई थी इससे पहले भी ग्रामीणों ने वन अधिकारियों पर हमला किया था।
ट्रिब्यूनल ने उम्मीद जताई कि राजस्थान उच्च स्तर पर कानून को लागू कर निगरानी करेगा और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय संबंधित राज्य अधिकारियों के साथ समन्वय करेगा।
रखवाली करने वाले (गार्ड) और अन्य अधिकारियों के मनोबल को बनाए रखने के लिए और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए, मृतक के परिवार को उचित रूप से पुनर्वासित किया जाना चाहिए। पुलिस तन्त्र को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दोषी को शीघ्र पकड़ कर उसे उसके द्वारा किए गए अपराध की सजा मिले। आदेश में आगे कहा गया कि बाघों के लिए संरक्षित/आरक्षित क्षेत्र में अवैध खनन करने वालों के साथ कड़ाई से निपटा जाना चाहिए।