शोधकर्ताओं ने दक्षिण अमेरिकी देश पराग्वे में सांप की एक नई खूबसूरत प्रजाति खोजी है, जो विषरहित है। विज्ञान के लिए बिलकुल नई इस प्रजाति 'फलोट्रिस शॉनेला' को पैराग्वे के एक गैर-सरकारी संगठन पैरा ला टिएरा के शोधकर्ताओं द्वारा गायरा पराग्वे और इंस्टिट्यूटो डी इन्वेस्टिगैसिओन बायोलोजिका डेल पराग्वे के सहयोग से खोजा गया है।
सांप की यह प्रजाति जीनस 'फलोट्रिस' से सम्बन्ध रखती है, जिसमें मध्य दक्षिण अमेरिका में पाई जाने वाली 15 अन्य प्रजातियां शामिल हैं। देखा जाए तो सांपों का यह समूह अपने लाल, काले और पीले रंग के चटकीले पैटर्न के साथ अपने आकर्षक रंगों के लिए जाना जाता है। इस बारे में विस्तृत जानकारी जर्नल जूसिस्टमेटिक्स एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुई है।
सांप की यह प्रजाति 2014 में संयोग से उस समय सामने आई जब शोधकर्ता जीन-पॉल ब्रौर्ड अपने सहयोगियों के साथ रैंचो लगुना ब्लैंका में एक गड्ढा खोद रहे थे। शोधकर्ताओं ने इस सांप 'फलोट्रिस शॉनेला' का नाम दो बच्चों शॉन एरियल स्मिथ फर्नांडीज और एला बेथानी एटकिंसन के सम्मान में रखा है, जो उसी वर्ष पैदा हुए थे। इन बच्चों ने एनजीओ के संस्थापकों को पराग्वे में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया था।
दूसरे सांपों से कैसे अलग है यह प्रजाति
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस सांप को अपनी जीनस के अन्य सांपो से लाल सिर और पीले कॉलर से अलग पहचाना जा सकता है। इस सांप में पार्श्व भाग पर एक काला बेंड और उदर पर नारंगी स्केल होते हैं, इसके साथ ही इस सांप के शरीर पर कहीं-कहीं काले धब्बे भी होते हैं।
सांप की यह प्रजाति अत्यंत दुर्लभ मानी जा रही है क्योंकि अब तक इसके तीन ही नमूने मिले हैं। यह जो प्रजाति खोजी गई है वो पूर्वी पराग्वे में सेराडो जंगलों में पाई गई है जबकि दो अन्य नमूने 90 किलोमीटर दूर कोलोनिया वोलेंडम और लगुना ब्लैंका में पाए गए हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक सांप की यह प्रजाति लुप्तप्राय प्रजातियों की श्रेणी में आती है, जिसका मतलब है कि यही इनके संरक्षण पर ध्यान न दिया गया तो यह जल्द ही विलुप्त हो सकती है। देखा जाए तो यह प्रजाति केवल लगुना ब्लैंका में पाई गई है जोकि एक प्रमुख पर्यटक स्थल भी है। गौरतलब है कि इस क्षेत्र को उभयचर जीवों और सरीसृपों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में घोषित किया है।
पराग्वे के इस क्षेत्र में इस तरह की दुर्लभ प्रजातियों का पाया जाना एक बार फिर उस ओर इशारा करता है कि इस क्षेत्र में प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण कितना जरुरी है। शोधकर्ताओं के मुताबिक लगुना ब्लैंका को पांच वर्षों की अवधि के लिए एक नेचर रिजर्व के रूप में नामित किया गया था, लेकिन वर्तमान में यहां संरक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में उनका कहना है कि इस तरफ के दुर्लभ जीवों को बचाने के लिए इस साइट को संरक्षण के दृष्टिकोण से राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी जानी चाहिए।